गुरु मेरे परमात्मा, तेरे दरस को तरसे आत्मा ।
काम क्रोध ने है उलझाया, राग द्वेष ने है भरमाया ।
शक्ति दो करूँ सामना, तेरे दरस को तरसे आत्मा ।। राह दिखावे है अँधियारा, सूझता नहीं है कोई किनारा ।
स्वीकारो ये प्रार्थना, तेरे दरस को तरसे आत्मा ॥
तू ही मेरा भाग्य विधाता, हर पल मेरा साथ निभाता ।
तुम्हे पहचाने ये आत्मा, तेरे दरस को तरसे आत्मा ॥
जो कोई तेरा दर्शन पाए, राम कृष्ण को तुझमे पाए ।
सर्व व्याप्त तेरी आत्मा, तेरे दरस को तरसे आत्मा ॥
दर्शन के बिन रहा ना जाए, प्राण है अब बस कंठ में आये ।
स्वीकारो ये प्रार्थना, अब दरस दो गुरु परमात्मा ॥
दया धरम का मुझको वर दो, भक्ति से मेरी झोली भर दो ।
दुखो का करके खात्मा, तेरे दरस को तरसे आत्मा ॥
काम क्रोध ने है उलझाया, राग द्वेष ने है भरमाया ।
शक्ति दो करूँ सामना, तेरे दरस को तरसे आत्मा ।। राह दिखावे है अँधियारा, सूझता नहीं है कोई किनारा ।
स्वीकारो ये प्रार्थना, तेरे दरस को तरसे आत्मा ॥
तू ही मेरा भाग्य विधाता, हर पल मेरा साथ निभाता ।
तुम्हे पहचाने ये आत्मा, तेरे दरस को तरसे आत्मा ॥
जो कोई तेरा दर्शन पाए, राम कृष्ण को तुझमे पाए ।
सर्व व्याप्त तेरी आत्मा, तेरे दरस को तरसे आत्मा ॥
दर्शन के बिन रहा ना जाए, प्राण है अब बस कंठ में आये ।
स्वीकारो ये प्रार्थना, अब दरस दो गुरु परमात्मा ॥
दया धरम का मुझको वर दो, भक्ति से मेरी झोली भर दो ।
दुखो का करके खात्मा, तेरे दरस को तरसे आत्मा ॥
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