गुरु सेवा करूँ दिन रात
गुरुवर पिता और मात
गुरु ज्ञान रटूँ, बन मस्त फिरूँ
गुरु सिजदा करूँ सुबहा शाम
गुरुवर मेरे श्री राम
गुरु चरणों में लगन लगाऊँ
मन को कहीं न मैं उलझाऊँ
गुरु की सेवा नित्त मैं पाऊँ
इनको ही निशदिन मैं ध्याऊँ
मैं न विचलुँ, गुरु राह चलुँ
सदा करता रहूँ इक ये बात, गुरुवर मेरे सब धाम
इनके प्रेम में नीर बहाऊँ
इनकी मूरत मन में बसाऊँ
इनकी प्रसन्नता लक्ष्य बनाऊँ
इक क्षण भी न व्यर्थ गवाऊँ
तत्परता रखु, अमृत मैं चखुँ
थामें ही रहूँ इनका हाथ
गुरुवर से मिले विश्राम
भोगों से अपना दामन बचाऊँ
जीवन को भक्ति से सजाऊँ
अंतर में दीदार मैं पाऊँ
खूद में शांति समता मैं लाऊँ
कभी भी न डरूँ, सत्कर्म करूँ मैं
मैं तो सतत करूँ इनका जाप
गुरुवर का पावन नाम - - -
इनके ही गुणगान मैं गाऊँ
इनसे ही रिशता मैं निभाऊँ
राग और द्वेष की तृष्णा बुझाऊँ
दिल में प्रेम की ज्योत जगाऊँ
तुम्हे नमन करूँ वन्दन मैं करूँ
विनती ये करूँ, रहना साथ
गुरुवर को मेरा प्रणाम
इनके बारे में क्या मैं बताऊँ
बस इन पर मैं बलि-बलि जाऊँ
इनकी महिमा सबको सुनाऊँ
कैसे इनके ऋण मैं चुकाऊँ
सदा हित हैं करे, झोली ये भरे
सबके है करें पुर्ण काम
गुरुवर मेरे निष्काम
इनकी याद में दिन मैं बिताऊँ
रात को सपनों में दर्शन पाऊँ
इनको हृदय में अपने बिठाऊँ
भावों के मैं पुष्प चढ़ाऊँ
कुछ भी न कहूँ, सब हँस के सहूँ
तेरे संग ही रहूँ, मेरे नाथ
तुम ही अंत तुम्ही शुरुआत
गुरुवर को सौंपू लगाम
No comments:
Post a Comment