गुरुवर तू ही प्यारा, तेरा नाम हरे दुख सारा
तु ही कृष्ण श्याम, पुरुषोत्तम राम, तेरा ही
पसारा सारा
काँटों में फूल खिलाते हो
तुम ज्ञान की गंगा बहाते हो
तुम प्रेम के दीप जगाते हो
तुम्ही जीना हमें सिखाते हो
तुमको प्रणाम, तुमको सलाम
तु ही सबसे है न्यारा गुरुवर
चरणों में शीश नवाए हम
इस मन में तुम्हे बसाए हम
चाहे जीवन में हो कितने गम
पर प्रीत बढ़े कभी हो न कम
तु सुबह शाम खुशियों का जाम
तेरे बिन कुछ भी नहीं न्यारा
तेरे नाम की महिमा क्या गायें
वाणी ये वहाँ तक न जाये
जो भी प्रीती से है ध्याये
दुर्लभ को प्राप्त वो कर पाए
शांति विश्राम देता ये नाम
जिसने भी इसे पुकारा
कितनों को तुमने तार दिया
है कितनों का उद्धार किया
हर किसी को है स्वीकार किया
अमृत बाँटा खुद जहर पिया
तुम ही विराम, देते आराम
हम सबका तु ही सहारा गुरुवर - - -
आँखों मे नूर तेर ही है
इस दिल में धड़कन तुमसे है
तुमसे ही साँसें चलती है
तेरी कृपा बिन सब मिट्टी है
मन पे लगाम देते पैगाम
तुमने ही हमें सवारा
तेरे नाम की महिमा क्या गाएं
वाणी ये वहाँ तक न जाएं
जो भी प्रीती से है ध्याए
दुर्लभ को प्राप्त वो कर पाए
शांति विश्राम, देता ये नाम
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