प्रेम जब गुरु से हो गया,
समझ रब से तार जुड़ गया ।
राग द्वेष व्यापे नहीं, काम क्रोध तापे नहीं ।
ऐसा तुझको जब से हो गया, समझ रब को तू भा गया ।।
सेवा को तत्पर रहे, परहित की नीति कहे ।
ऐसा तुझको जब से हो गया, समझ द्वन्द मोह छूट गया ॥
गुरु ज्ञान भाने लगे, भक्ति रस छाने लगे ।
ऐसा तुझको जब से हो गया, समझ मन शुद्ध हो गया ॥
दुःख में तू रोये नहीं, सुख में तू सोये नहीं ।
ऐसा तुझको जब से हो गया, समझ रब को तू भा गया ॥
आँखों से आंसू बहे, वाणी भी कुछ ना कहे ।
ऐसा तुझको जब से हो गया, समझ घट में फूल खिल गया ॥
संसार फीका लगे हरि नाम प्यारा लगे ।
ऐसा तुझको जब से हो गया, समझ भक्ति रंग चढ़ गया ॥
गुरुवर ही प्रभु लगे मन में गुरु भक्ति जगे ।
ऐसा तुझको जब से हो गया, समझ तेरा काम बन गया ॥
राग द्वेष व्यापे नहीं, काम क्रोध तापे नहीं ।
ऐसा तुझको जब से हो गया, समझ रब को तू भा गया ।।
सेवा को तत्पर रहे, परहित की नीति कहे ।
ऐसा तुझको जब से हो गया, समझ द्वन्द मोह छूट गया ॥
गुरु ज्ञान भाने लगे, भक्ति रस छाने लगे ।
ऐसा तुझको जब से हो गया, समझ मन शुद्ध हो गया ॥
दुःख में तू रोये नहीं, सुख में तू सोये नहीं ।
ऐसा तुझको जब से हो गया, समझ रब को तू भा गया ॥
आँखों से आंसू बहे, वाणी भी कुछ ना कहे ।
ऐसा तुझको जब से हो गया, समझ घट में फूल खिल गया ॥
संसार फीका लगे हरि नाम प्यारा लगे ।
ऐसा तुझको जब से हो गया, समझ भक्ति रंग चढ़ गया ॥
गुरुवर ही प्रभु लगे मन में गुरु भक्ति जगे ।
ऐसा तुझको जब से हो गया, समझ तेरा काम बन गया ॥
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