रहना
तेरी शरण में, रहना तेरी शरण में
सुख
है तेरे वरण में, मिले
शांति तेरी शरण में
तू ही अंतःकरण में, रहना तेरी शरण में
कब
तक रहोगे अपने, जग के दिखे जो नाते
कभी
साथ न निभाया, करते बड़ी ये बातें
अब
चाह न कोई भी, तुम ही हृदय को भाते
इच्छाओं
के भँवर से, हम कैसे निकल पाते
न
थी नौका न किनारा, कैसे पार जाते
संसार
के ये सुख दुख, हमको यूँ ही रुलाते
कोई
दिखता न था अपना, अपनी जिसे सुनाते
खाते
थे धोखा उससे, जिससे भी दिल लगाते
तुमने
किया सवेरा, वरना थी काली रातें
ये
दिल दुखों का घर था, जो तुमको न हम बिठाते
जन्मों
से लादा बोझा, उसे हम यूँ ही उठाते
तुमने
ही सब संभाला, वरना हम बिखर ही जाते
जब
भी पड़े हैं विपदा, बस तुम ही काम आते
जीवन
के इस सफर को, भक्ति से तुम सजाते
उनकी
है ऊँची किस्मत, तेरा नाम जो भी पाते
तेरी
दया से हमको, सुख भोग न लुभाते
कैसे
भी हो नजारे, हमको नही सुहाते
चाहे
तुम्ही से तुमको दाता, दिल से यही है गाते
तू ही
दिल-जिगर में, तू ही है हर नजर में
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