Sant Shri Asharamji Bapu

Sant Shri Asharamji Bapu is a Self-Realized Saint from India, who preaches the existence of One Supreme Conscious in every human being.

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संत श्री आशारामजी बापू

भारत के संत श्री आशारामजी बापू आत्मज्ञानी संत हैं, जो मानवमात्र मे एक सच्चिदानंद इश्वर के अस्तित्व का उपदेश देते है

गुरुभक्तों के खुल गये भाग




गुरुभक्तों के खुल गये भाग

गुरुभक्तों के खुल गये भाग जब गुरुसेवा मिले |

गुरुभक्तों के खुल गये भाग जब गुरुसेवा मिले || धृ ||

सेवा मिली थी राजा हरिश्चंद्र को |

दे दिया राज और ताज जब गुरु सेवा मिले |

दे दिया राज और ताज जब गुरुसेवा मिले ||१||

हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ

आप भी बिके राजा रानी को बेच दिया |

आप भी बिके राजा रानी को बेच दिया |

बेच दिया रोहितकुमार जब गुरुसेवा मिले |

बेच दिया रोहितकुमार जब गुरुसेवा मिले ||२||

हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ

सेवा करी थी भिलनी भक्त ने |

सेवा करी थी भिलनी भक्त ने |

रामजी पहुँच गये द्वार जब गुरुसेवा मिले |

रामजी पहुँच गये द्वार जब गुरुसेवा मिले ||३||

राम राम ॐ राम राम ॐ

राम राम ॐ राम राम ॐ

तुमको भी मौका गुरूजी ने दीना |

हमको भी मौका गुरूजी ने दीना |

हो जाये भव से पार जब गुरुसेवा मिले |

हो जाये भव से पार जब गुरुसेवा मिले ||४||

हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ 


चिंता मिट जायेगी



चिंता मिट जायेगी

चिंता मिट जायेगी चौरासी कट जायेगी |

हो चिंता मिट जायेगी चौरासी कट जायेगी ||धृ||

एक बार तू आ जा सत्संग में |

यहाँ घनश्याम भी है, यहाँ प्रभुराम भी है |

यहाँ घनश्याम भी है, यहाँ प्रभुराम भी है |

सब बैठे है गुरुवर के संग में ||१||

चिंता मिट जायेगी चौरासी कट जायेगी |

जो नियम से सुने गुरुवाणी वो हरि दर्शन पाये |

जो नियम से सुने गुरुवाणी वो हरि दर्शन पाये |

गूंगा भी हरि ॐ कहे जो गुरुकृपा हो जाये |

शिक्षा चाहे तो, वो दीक्षा चाहे तो, वो शिक्षा चाहे तो, वो दीक्षा चाहे तो |

मन रंग दे तू गुरुवर के रंग में ||२||

वो चिंता मिट जायेगी चौरासी कट जायेगी |



किस्मतवाले यहाँ आते है अभागा क्या आयेगा |

किस्मतवाले यहाँ आते है अभागा क्या आयेगा |

बावरे गंगा तट से तू प्यासा क्यूँ जायेगा |

डोरी श्रद्धा की, सेवा निष्ठा की, वो डोरी श्रद्धा की सेवा निष्ठा की |

तू मोझरी घर की पतंग में ||३||

वो चिंता मिट जायेगी चौरासी कट जायेगी |

वो चिंता मिट जायेगी चौरासी कट जायेगी |



साधू होगा तू जब आत्मा से, तू भव तर जायेगा साधू होगा |

हो साधू होगा तू जब आत्मा से, तू भव तर जायेगा |

आँखे होगी पावन तेरी तब ही देख पायेगा |

आये बजरंगी बनके सत्संगी |

वो आये बजरंगी बनके सत्संगी |

सत्संग की शक्ति अंग अंग में ||४||

वो चिंता मिट जायेगी चौरासी कट जायेगी |

एक बार तू आ जा सत्संग में |

यहाँ घनश्याम भी है, यहाँ प्रभुराम भी है |

सब बैठे है गुरुवर के संग में ||५||

वो चिंता मिट जायेगी चौरासी कट जायेगी |

वो चिंता मिट जायेगी चौरासी कट जायेगी |

पा लिया है मैंने सबकुछ




पा लिया है मैंने सबकुछ

पा लिया है मैंने सबकुछ तेरे द्वारे गुरुदेवा

बाँध लिया है मैंने मन को तेरे द्वारे गुरुदेवा

गुरुदेवा, गुरुदेवा करूं तेरी मै सेवा

पा लिया है मैंने सबकुछ तेरे द्वारे गुरुदेवा ||धृ||

तेरे द्वारे मैं आया नहीं चाह रही कोई बाकी

तेरे द्वारे मैं आया नहीं चाह रही कोई बाकी

मेरे मन मंदिर में बसी है गुरुवर तेरी ही झाँकी

मेरे मन मंदिर में बसी है गुरुवर तेरी ही झाँकी

पा लिया है मैंने सबकुछ तेरे द्वारे गुरुदेवा ||१||

तेरे दर्शन कर ना पावुं फिर बेचैनी बढ़ जाती

चाहे कही जाऊं बस याद तेरी ही आती

चाहे कही जाऊं बस याद तेरी ही आती

बाँध लिया है मैंने मन को तेरे द्वारे गुरुदेवा ||२||

तुम बिन तो अब दाता मूरत न किसी की भाति

तुम बिन तो अब दाता मूरत न किसी की भाति

तुम ने जो नैया सम्भाली तुम बिन न ये तर पाती

तुम ने जो नैया सम्भाली तुम बिन न ये तर पाती

पा लिया है मैंने सबकुछ तेरे द्वारे गुरुदेवा ||३ ||

मैं भटका था जग में तुम से अब लगन लगा ली

मैं भटका था जग में तुम से अब लगन लगा ली

मेरे बगियाँ के गुरुवर तुम ही रक्षक तुम ही माली

मेरे बगियाँ के गुरुवर तुम ही रक्षक तुम ही माली

बाँध लिया है मैंने मन को तेरे द्वारे गुरुदेवा ||४ ||

तुमसे ही सब महका तुम चंदन हो मै पानी

तुमसे ही सब महका तुम चंदन हो मै पानी

जो निगुरा भटके जगमे गुरुमहिमा न जानी

बाँध लिया है मैंने मन को तेरे द्वारे गुरुदेवा || ५ || 

मेरे मन में ज्योत जगा दो



मेरे मन में ज्योत जगा दो

मेरे मन में ज्योत जगा दो गुरुवर ज्योत जगा दो

मेरे मन में ज्योत जगा दो गुरुवर ज्योत जगा दो

ज्योत जगा दो ज्योत जगा दो

मेरे मन में ज्योत जगा दो गुरुवर ज्योत जगा दो

जो भी तेरी शरण में आया पलट गई जीवन की काया

तू दाता मेरा खुशियाँ बांटे चुभते ना कष्ट के काटे

मुझ सच की राह दिखा दो गुरुवर ओ गुरुवर राह दिखा दो

राह दिखा दो राह दिखा दो

मेरे मन में ज्योत जगा दो गुरुवर ज्योत जगा दो

आर्चन वंदन तुमको हमारे तुमही सबकी आँखों के तारे

पर हित सेवा का मार्ग दिखाते हमको जग में जीना सिखाते

हमे आत्म शांति दिला दो गुरुवर शांति दिला दो

तेरे नाम से पाप कटे है बाधाएँ मार्ग से हटे है

दे दो ऐसा आशीष हमको श्रद्धा से बस ध्यायें तुमको

मेरी प्रेमा भक्ति बढ़ा दो गुरुवर भक्ति बढ़ा दो

भक्ति बढ़ा दो भक्ति बढ़ा दो

मेरी प्रेमा भक्ति बढ़ा दो गुरुवर भक्ति बढ़ा दो 

कितनी महिमा गाऊं

कितनी महिमा गाऊं

कितनी महिमा गाऊं कितना करूँ सत्कार

कितनी महिमा गाऊं कितना करूँ सत्कार ||धृ||

महिमा अपरंपार तेरी महिमा अपरंपार

महिमा अपरंपार तेरी महिमा अपरंपार

एक है जिव्हा मेरी गुण है बेशुमान

कितनी महिमा गाऊं कितना करूँ सत्कार

महिमा अपरंपार तेरी महिमा अपरंपार ||१||

तेरी कृपा से मेरे गुरु मन को मिला करार

जाग उठा मेरा तनमन में गुरुवर तेरा प्यार

तू दाता है सबका गुरुवर तू ही तारणहार

कितनी महिमा गाऊं कितना करूँ सत्कार

महिमा अपरंपार तेरी महिमा अपरंपार ||२||

तेरा भक्त ना हिम्मत हारे दुःख हो चाहे हजार

तुमसे ही खुशियाँ सारी तुमसे ही है बहार

तेरी कृपा से मिटते गुरुवर सबके दोष विकार

कितनी महिमा गाऊं कितना करूँ सत्कार

महिमा अपरंपार तेरी महिमा अपरंपार ||३||



तुम ही साहिल मेरे में डूब रहा है मझधार

तुम बिन कौन सहारा तुम सबके तारणहार

हम भी आये शरण में गुरुवर हम को लगा दो पार

कितनी महिमा गाऊं कितना करूँ सत्कार

महिमा अपरंपार तेरी महिमा अपरंपार ||४ ||

आयेगा जब मौत का झटका सब देंगे बिसार

बिखरेंगे रिश्ते और नाते तुटेंगे सब काल

तुमही एक हमारे गुरुवर मिट जाये संसार

कितनी महिमा गाऊं कितना करूँ सत्कार

महिमा अपरंपार तेरी महिमा अपरंपार ||५ ||

तेरी भक्ति में है शक्ति तेरा ज्ञान है सार

तेरे नाम की कुंजी से फूले है मुक्ति द्वार

हम भक्तों के तुम को गुरुवर वंदन बारंबार

कितनी महिमा गाऊं कितना करूँ सत्कार

महिमा अपरंपार तेरी महिमा अपरंपार ||६|| 

कितना सुंदर कितना प्यारा



कितना सुंदर कितना प्यारा

देते है नित्य नवीन ख़ुशी है हमको ये हर बार

देते है नित्य नवीन ख़ुशी है हमको ये हर बार

जग पे नहीं भरोसा हमको इन्ही पे है ऐतबार

जग पे नहीं भरोसा हमको इन्ही पे है ऐतबार

कभी ये द्वार न छुटे कभी ये विश्वास न टूटे

गहरा है भवसागर और तुमही तारणहार

गहरा है भवसागर और तुमही तारणहार

तूफानों में कष्ट और तुमही ठेवन तारणहार

तेरे हाथों सौंप दी हमने जीवन की पतवार

कितना सुंदर कितना प्यारा है गुरु का दरबार

हम करते है इस द्वारे को वंदन बारंबार

कभी ये विश्वास न टूटे कभी ये द्वार न छुटे

तेरी भक्ति से बनते है बिगड़े कारज सारे

तुम ही मुकुट मणि हो तुम ही सरताज हमारे

तेरी शरण में आकर हमने पाया सच्चा साथ

कितना सुंदर कितना प्यारा है गुरु का दरबार

हम करते है इस द्वारे को वंदन बारंबार

तेरे श्रीचरणों बहती है प्रेम की धारा

उनमे सब तीर्थ ये तीर्थराज हमारा

बिना तुम्हारे अपने में भी जीना है बेकार

कितना सुंदर कितना प्यारा है गुरु का दरबार

हम करते है इस द्वारे को वंदन बारंबार

कभी ये द्वार न छुटे कभी ये विश्वास न टूटे