आ
देखें जरा, किसमें कितना है दम
जम
के रखना कदम, हम है किसी से न कम
लहरों
ने देखो कभी, सागर को ललकारा है
मिट
जाती इक पल में है, टूटे गर्व सारा है
क्यूँ सीखे नही, करता क्यूँ उलटे करम
उल्टी
ये बाजी तेरी, तुझपे ही भारी पड़ी
सामर्थ्य कुछ भी नही, बातें बड़ी बड़ी
जो
करता है तू, परिणाम उसका है गम
परवाने
जल जाते हैं, शमा डरे उनसे क्या
मेरू
की ऊँचाई पे, चींटी है पहुँचेगी क्या
हाँ
जागो जरा, तोड़ो ये अपना भरम
कागज
की कश्ती तेरी, पायेगी साहिल नही
डूबेगी
पल भर में ये, इसका भरोसा नही
जा
डरते नही, कर ले तू कितने सितम
जिस
डाल पे बैठा है, उसको ही काटे है क्यूँ
हानि
तेरी ही तो है, दुख खुद ही छाँटे है क्यूँ
हाँ
रुक जा जरा, कर ले तू कुछ तो शरम
बादल
जो गरजे घना, वो तो है बरसे नही
दीपक
की लौ को तेरी, सूरज है तरसे नही
न
हिलता कभी, सच तो सदा रहता सम
गुस्ताखियाँ
ये तेरी, कब तक चलेगी यूँ ही
होगा
सफल तू नहीं, तेरी है मंजिल नही
ये
सच्चाई है, होगी तुझे न हजम
तूने
है देखा है कभी, आकाश झुकता हुआ
डरता
किसी से नही, न है किसी ने छुआ
न
पहुचा वहाँ ये तो है तेरा वहम
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