मेरे गुरूदेवा करूँ तेरी सेवा, करूँ सब मैं अर्पण
शरण ले लो देवा - - -
तेरी वाणी गुरूवर ये सुख का है सागर
तेरी भक्ति से होता, सत्य उजागर
तेरा ही सहारा, तू है सबसे प्यारा
तेरी सेवा से मिलता, मुक्ति का मेवा
तुझे प्रेम करने से मन होता पावन
तू लगता हमें जैसे खुशियों का सावन
तू ही प्यास सबकी, तू ही आस सबकी
तेरी प्रीती का हमको रस दे दो देवा
तेरी दृष्टि जैसे है दुख दोष नाशक
तू ही हितकारी है संकट विनाशक
तू ही
बातों में है तू ही ऑंखों में है
मुझे तुझमें श्रद्धा अटल दे दो देवा
जो भटका हुआ भी शरण तेरी आता
वो रहमत से तेरी है सब कुछ पाता
तू सबका है मालिक, तू दीन दयाला
हमें अपनी भक्ति का वर दे दो देवा
तेरा प्रेम जन्मों की बेड़ी है काटे
तू अपनी कृपा को सहज में ही बॉंटे
तू है भोला भाला, सभी से निराला
जो तुमको ही देखे नजर दे दो देवा
तेरे दर पे गुरूवर है जन्नत हमारी
तेरे चरणों में बसती है दुनिया हमारी
तू ही साथ मेरे, तुम्ही नाथ मेरे
जो तुमसे मिला दे डगर दे दो देवा
तेरे दर्शन से मिले मन को शांति
तेरे ज्ञान से मिटती सबकी है भ्रांति
तू साहस बधॉंता, है जीवन सजाता
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