गर इसी जन्म में प्रभु को जाना नहीं
तेरे नर तन के पाने से क्या फायदा ॥
ज़िन्दगी की अगर शर्त पूरी ना हो ।
ज़िन्दगी यूँ गंवाने से क्या फायदा ॥
तेरे सौभाग्य से शुभ समय मिल गया ।
इसके उपयोग का योग कर ना सके ॥
जो समय पर समय को ना समझा सही ।
व्यर्थ अवसर बिताने से क्या फायदा ॥
गर इसी जन्म में ..............
तेल साबुन से धोया है मल मल के तन ।
प्रयाग काशी अयोध्या गाए वृन्दावन ॥
फिर भी निर्मल हुआ ना अगर तेरा मन ।
तेरे गंगा नहाने से क्या फायदा ॥
गर इसी जन्म में ..............
मीठी वाणी ना जानी कभी बोल के ।
विष भरी बोली है विष घोल के ॥
तेरी बोली में गोली का हो गर असर ।
तेरे गाने बजाने से क्या फायदा ॥
गर इसी जन्म में ..............
आने-जाने का प्रतिफल जितेन्द्रिय हो ।
आने-जाने के बंधन से निर्मुक्त हो ॥
आना-जाना जो जग में लगा ही रहा ।
तेरे आने व जाने से क्या फायदा ॥
गर इसी जन्म में ..............
तेरे नर तन के पाने से क्या फायदा ॥
ज़िन्दगी की अगर शर्त पूरी ना हो ।
ज़िन्दगी यूँ गंवाने से क्या फायदा ॥
तेरे सौभाग्य से शुभ समय मिल गया ।
इसके उपयोग का योग कर ना सके ॥
जो समय पर समय को ना समझा सही ।
व्यर्थ अवसर बिताने से क्या फायदा ॥
गर इसी जन्म में ..............
तेल साबुन से धोया है मल मल के तन ।
प्रयाग काशी अयोध्या गाए वृन्दावन ॥
फिर भी निर्मल हुआ ना अगर तेरा मन ।
तेरे गंगा नहाने से क्या फायदा ॥
गर इसी जन्म में ..............
मीठी वाणी ना जानी कभी बोल के ।
विष भरी बोली है विष घोल के ॥
तेरी बोली में गोली का हो गर असर ।
तेरे गाने बजाने से क्या फायदा ॥
गर इसी जन्म में ..............
आने-जाने का प्रतिफल जितेन्द्रिय हो ।
आने-जाने के बंधन से निर्मुक्त हो ॥
आना-जाना जो जग में लगा ही रहा ।
तेरे आने व जाने से क्या फायदा ॥
गर इसी जन्म में ..............
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