पोथी पढ़ ली, पैसा गिन लिया
माना सबकुछ हैं जाना
कहाँ से आए कहाँ हैं जाना
ना जाना तो क्या जाना ...
कौन देस से आया प्राणी
कहाँ हैं तेरा बसेरा रे
उजियारे में भटक रहा तू
हो नहीं तेरा सवेरा रे
अपने को पहचान ले बंदे
औरों को पहचाना क्या
कहाँ से आए.....
बस तू इतना जान लें बंदे
सपना हैं संसार
भूलभुलैया से बचना तू
अपना आप उबार
संत मिले जो सदगुरू जैसे
जीवन से घबराना क्या
कहाँ से आए.....
मस्त फकीर हैं मौला मेरा
मालिक मेरा साँई रे
योगलीला हैं जीवन उसका
मैं उसकी परछाई रे
राम का दाना राम की चिड़िया
चुग गई तो पछताना क्या
कहाँ से आए.....
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