सपना ये संसार, जप ले नाम हरि
सच्चा है गुरु का ही प्यार, गुरु ॐ राम हरि
कभी किसी से वैर न करना
मिलेगा फल उसका वरना
प्रभु से जोड़ ले तार
इस काया पे नहीं तु अकड़ना
शाश्वत को ही सदा पकड़ना
तू भुल को अपनी सुधार
नश्वर की जो पूँजी कमाई
क्यूं श्वांसे ये व्यर्थ गवाँई
क्यूं गिरता है हर बार
गुरुभक्ति में अपार ताकत
इसमें क्या तेरी लगेगी लागत
बिगड़ी तू अपनी सँवार
गुरु बिन कोई पार न होता
समय जो बीता फिर क्यूँ रोता
गुरु ही है करतार
पाप कर्म की फसल जो बोई
जैसा उगाया मिलेगा वो ही
तू कर अपना उद्धार
मानव तन इक सुन्दर मौका
बाकी सब धोखा ही धोखा
बात यही है सार
जल्दी से अब चेत जा बंदे
चौरासी के काट ले फँदे
तू छोड़ दे व्यर्थ विचार
असली नकली का भेद समझ ले
दिल से हरि का नाम तू भज ले
तू सत्य को अब तो स्वीकार
खुद पे कड़ी तू नजरे रखना
कभी कहीं भी नहीं बिखरना
तू खुद को जरा निखार
पीछे लगी हो दुख की सेना
समर्थ का तू आश्रय लेना
गुरु सम न कोइ आधार
तूफानों में फँसी हो नौका
चाहे
मार्ग कष्टों ने रोका
गुरु नाम की ले पतवार
No comments:
Post a Comment