कृपासिन्धु बापू जो समझा रहें हैं,
वो वाणी भुलाना महा मूढ़ता है ।
बड़े भाग्य से ऐसा अवसर मिला हैं,
निरर्थक बिताना महा मूढ़ता है ॥
किसी का सुखद प्यार कब तक रहेगा,
ये संसार व्यवहार कब तक रहेगा ।
जो माना है अधिकार कब तक रहेगा,
तू ना समझ पाया महा मूढ़ता है ॥
हरि ॐ, हरि ॐ, गुरुदेव, गुरुदेव
जहाँ रह रहे हो निकलना पड़ेगा,
नहीं चाहने पर भी चलना पड़ेगा ।
विषय भोग फिर हाथ मलना पड़ेगा,
वहां मन फ़ंसाना महा मूढ़ता है ॥
कृपासिन्धु बापू जो...............
जो हैं शास्त्र, सज्जन और संत विरोधी,
सदा लोभ से ग्रस्त अत्यंत क्रोधी ।
भले घूम आया हो मथुरा या काशी,
वो साथी बनाने के काबिल नहीं है ।
वो घर में बुलाने के काबिल नहीं है ।
कृपासिन्धु बापू जो...............
तेरी मेहरबानी का है बोझ इतना,
मैं तो उठाने के काबिल नहीं हूँ ।
सदा शांति रहती है समता के पीछे,
ये समता ना रहती विषमता के पीछे ।
विषमता रहा करती ममता के पीछे,
ममता बढ़ाना महा मूढ़ता है ॥
कृपासिन्धु बापू जो...............
वो वाणी भुलाना महा मूढ़ता है ।
बड़े भाग्य से ऐसा अवसर मिला हैं,
निरर्थक बिताना महा मूढ़ता है ॥
किसी का सुखद प्यार कब तक रहेगा,
ये संसार व्यवहार कब तक रहेगा ।
जो माना है अधिकार कब तक रहेगा,
तू ना समझ पाया महा मूढ़ता है ॥
हरि ॐ, हरि ॐ, गुरुदेव, गुरुदेव
जहाँ रह रहे हो निकलना पड़ेगा,
नहीं चाहने पर भी चलना पड़ेगा ।
विषय भोग फिर हाथ मलना पड़ेगा,
वहां मन फ़ंसाना महा मूढ़ता है ॥
कृपासिन्धु बापू जो...............
जो हैं शास्त्र, सज्जन और संत विरोधी,
सदा लोभ से ग्रस्त अत्यंत क्रोधी ।
भले घूम आया हो मथुरा या काशी,
वो साथी बनाने के काबिल नहीं है ।
वो घर में बुलाने के काबिल नहीं है ।
कृपासिन्धु बापू जो...............
तेरी मेहरबानी का है बोझ इतना,
मैं तो उठाने के काबिल नहीं हूँ ।
सदा शांति रहती है समता के पीछे,
ये समता ना रहती विषमता के पीछे ।
विषमता रहा करती ममता के पीछे,
ममता बढ़ाना महा मूढ़ता है ॥
कृपासिन्धु बापू जो...............
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