मन हरि ॐ हरि ॐ गा ले,
नाम जपने की आदत बना ले ।
पुण्य तेरा बड़े, जब सत्संग मिले,
राम रहमत करे तब सतगुरु मिले ।
इस रीति से रब को रीझा ले,
नाम जपने की आदत ............
तन जिसने दिया उसका मालिक वही,
तू मुफ्त में रहे नाम जपता नहीं ।
कुछ किराया ही इसका चुका ले,
नाम जपने की आदत ............
कौन धड़कन ये दिल की चलाये रे मन,
कौन नाड़ी में रक्त बनाये रे मन ।
उस दाता का शुक्र मना ले,
नाम जपने की आदत ............
जग रिझाने में जीवन गवाना नहीं,
एक पल भी प्रभु को भुलाना नहीं ।
श्री सदगुरु को तू ही रीझा ले,
नाम जपने की आदत ............
धन अनीति का सुख तुझको देगा नहीं,
चोट कुदरत की तू सह सकेगा नहीं।
अब भी मौका है खुद को को बचा ले,
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