हे सदगुरु भगवान तुमको बारम्बार प्रणाम है ।
सतचित आनंद धाम तुमको बारम्बार प्रणाम है ।
जो अखंड अविनाशी ईश्वर सारे जग में समाया है ।
उस बिछड़े प्यारे से मिलाने तू धरती पर आया है ।
है तेरे अनोखे काम तुमको बारम्बार प्रणाम है ।
ये संसार है वृक्ष निराला जो भी इस पर चढ़ते हैं ।
विषयों के फल खाते-खाते नरक कुंड में गिरते हैं ।
बस तू ही बचाए जान तुमको बारम्बार प्रणाम है ।
हर कोई हैरान यहाँ है दुनिया रूपी जंगल में ।
फंसा हुआ हर कोई यहाँ पर माया के इस दलदल में ।
तुम करते मुक्ति प्रदान तुमको बारम्बार प्रणाम है ।
जब दुनिया दुश्मन बन जाती विकट परिस्थिति आ जाती ।
उस दुखदायी घड़ियों में एक तू ही निर्मल साथी ।
देता शांति आराम तुमको बारम्बार प्रणाम है ।
तीनों तापों की अग्नि में झुलस रहा संसार है ।
घोर अशांति छाई सूझे ना कोई उपचार है ।
है चन्दन तेरा ज्ञान तुमको बारम्बार प्रणाम है ।
सतचित आनंद धाम तुमको बारम्बार प्रणाम है ।
जो अखंड अविनाशी ईश्वर सारे जग में समाया है ।
उस बिछड़े प्यारे से मिलाने तू धरती पर आया है ।
है तेरे अनोखे काम तुमको बारम्बार प्रणाम है ।
ये संसार है वृक्ष निराला जो भी इस पर चढ़ते हैं ।
विषयों के फल खाते-खाते नरक कुंड में गिरते हैं ।
बस तू ही बचाए जान तुमको बारम्बार प्रणाम है ।
हर कोई हैरान यहाँ है दुनिया रूपी जंगल में ।
फंसा हुआ हर कोई यहाँ पर माया के इस दलदल में ।
तुम करते मुक्ति प्रदान तुमको बारम्बार प्रणाम है ।
जब दुनिया दुश्मन बन जाती विकट परिस्थिति आ जाती ।
उस दुखदायी घड़ियों में एक तू ही निर्मल साथी ।
देता शांति आराम तुमको बारम्बार प्रणाम है ।
तीनों तापों की अग्नि में झुलस रहा संसार है ।
घोर अशांति छाई सूझे ना कोई उपचार है ।
है चन्दन तेरा ज्ञान तुमको बारम्बार प्रणाम है ।
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