मैं आया तेरी शरणी मेरे गुरुदेवा ।
तुम दाता दीन दयालु मेरे गुरुदेवा॥
करूँ तेरी सेवा गुरुवर-२
तुम दाता दीन दयालु मेरे गुरुदेवा
तेरा है गुरु प्रेम निराला, कर देता है दिल में उजाला ।
भक्तों को है तूने संभाला, तू खोले तकदीर का ताला ।
शीश में झुकाऊं मैं गुरुवर-२
मैं आया तेरी शरणी.........
तुम ही सहारा तुम ही साथी, तुम्हीं दीपक तुम्हीं बाती ।
तुमसे रोशन दिन और राती, महिमा तेरी कही ना जाती ॥
भक्ति तेरी पाऊं गुरुवर-२
मैं आया तेरी शरणी.........
जिसने दर्शन इनका पाया, उसने अपना भाग्य बनाया ।
जिसने पाई इनकी ममता, उनकी मिट गयी लौकिक ममता ॥
महिमा तेरी गाऊं गुरुवर-२
मैं आया तेरी शरणी.........
चरणों में तेरा वंदन करते, तेरा ही हम सुमिरन करते ।
दर्शन तेरा हम सब करते, अपना दिल भक्ति से भरते ॥
जपूँ नाम तेरा गुरुवर-२
मैं आया तेरी शरणी.........
तेरी दृष्टि सुख बरसाती, भक्ति आनंद रस छलकाती ।
तुमको ही पाऊं तुमको ही ध्याऊं ॥
मैं आया तेरी शरणी.........
अंतर्यामी तुम हो पालनहारे तुम हो ।
ज्ञान के दाता तुम हो आनंद दाता तुम हो ॥
दिल में बसाऊं तुमको-२
मैं आया तेरी शरणी.........
ये है ज्ञान की अखंड ज्योति, मुक्ति इनके बिन ना होती ।
प्रीत मैं बढाऊं गुरुवर-२
तुमको रिझाऊं गुरुवर-२
मैं आया तेरी शरणी.........
तुम दाता दीन दयालु मेरे गुरुदेवा॥
करूँ तेरी सेवा गुरुवर-२
तुम दाता दीन दयालु मेरे गुरुदेवा
तेरा है गुरु प्रेम निराला, कर देता है दिल में उजाला ।
भक्तों को है तूने संभाला, तू खोले तकदीर का ताला ।
शीश में झुकाऊं मैं गुरुवर-२
मैं आया तेरी शरणी.........
तुम ही सहारा तुम ही साथी, तुम्हीं दीपक तुम्हीं बाती ।
तुमसे रोशन दिन और राती, महिमा तेरी कही ना जाती ॥
भक्ति तेरी पाऊं गुरुवर-२
मैं आया तेरी शरणी.........
जिसने दर्शन इनका पाया, उसने अपना भाग्य बनाया ।
जिसने पाई इनकी ममता, उनकी मिट गयी लौकिक ममता ॥
महिमा तेरी गाऊं गुरुवर-२
मैं आया तेरी शरणी.........
चरणों में तेरा वंदन करते, तेरा ही हम सुमिरन करते ।
दर्शन तेरा हम सब करते, अपना दिल भक्ति से भरते ॥
जपूँ नाम तेरा गुरुवर-२
मैं आया तेरी शरणी.........
तेरी दृष्टि सुख बरसाती, भक्ति आनंद रस छलकाती ।
तुमको ही पाऊं तुमको ही ध्याऊं ॥
मैं आया तेरी शरणी.........
अंतर्यामी तुम हो पालनहारे तुम हो ।
ज्ञान के दाता तुम हो आनंद दाता तुम हो ॥
दिल में बसाऊं तुमको-२
मैं आया तेरी शरणी.........
ये है ज्ञान की अखंड ज्योति, मुक्ति इनके बिन ना होती ।
प्रीत मैं बढाऊं गुरुवर-२
तुमको रिझाऊं गुरुवर-२
मैं आया तेरी शरणी.........
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