मुझे
प्राणों से प्यारा है, गुरु का द्वारा – 2
मुझे
गुरु बिन न लागे है कोई प्यारा, कोई प्यारा – 2
करते
कृपा ये हैं, भरते झोली ये हैं
इनके
चरणों में ही मिलता, सुख है सारा – 2
तन
मन में बस जाओ गुरुवर ये है मेरी मर्जी
इनको
मेरा भाव समझ लो, या समझो खुदगर्जी
मुझको
दे दो शरण, पूजूँ तेरे चरण
सारे
जग से तेरा ही है प्रेम न्यारा, प्रेम न्यारा – 2
योग
वेदांत मैं शास्त्र न जानूँ, सबमें तुम को ही देखूँ
तीर्थ
मन्दिर धाम तुम्ही हो, चरणों में मस्तक टेकूँ
मुक्ति
चाहूँ ना मैं चाहूँ तुमको ही मैं
मैने
जीवन ये सारा है तुमपे वारा तुमपे वारा – 2
मैने
मन बुद्धि की गुरुवर सौंप दी तुमको डोरी
तुम
बिन जग में सार नही है, सारी दुनिया कोरी
आए
धरती पे हो रहते, कण-कण में हो
हमको
मिलता रहे यूँ ही, संग तुम्हारा संग तुम्हारा
सागर
से मिलने को जैसे, तरसे हैं सारी नदियाँ
तुमसे
जुदाई ऐसी ही लगती, जैसे हो बीती सदियाँ
तुम्ही
साँसों में हो, तुम ही यादों में हो
तुमने
थामा सदा, मैने जब पुकारा जब पुकारा – 2
तुम
बिन सब वीरान है लगता तुम्ही
ताकत मेरी
चाह
कुछ ना तुमसे गुरुवर भक्ति
करूँ बस तेरी
तेरी
सेवा करूँ ध्यान तेरा धरूँ
तू ही नैया का मेरी तो, है किनारा, है किनारा
तुमसे
सारे लोक है बसते तुमसे
ही ये सृष्टि
सुरज
चाँद ब्रह्माड ये सारा चाहे
इक तेरी दृष्टि
तेरी
प्यास रहे, तु ही पास रहे
तेरे
बिन हमको अब न है कुछ गवारा
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