ये तन न साथ देगा ये धन न साथ देगा
सदगुरु बिन जहां में कोई न साथ देगा
मतलब के सारे नाते मात पिता सुत भ्राता
ममता में फंसके इनकी क्या हाथ तेरे आता
मृत्यु जो सर पे आए कोई न साथ जाता
सच जान ले तू प्राणी गुरु ही सबके विधाता
जब साथ सबका सहते गुरु नाम साथ देगा
सदगुरु बिन जहां में कोई न साथ देगा
विषयों में क्यों तू भटका गुरूद्वारे क्यों न आया
क्षणिक सुखों में फंसकर आयुष्य को गवांया
अनमोल है ये जीवन भोगों में क्यों बिताया
नश्वर के पीछे भागा शाश्वत को क्यों न पाया
पाया है जो हमने वो कब तक साथ देगा
सदगुरु बिन जहां में कोई न साथ देगा
सुख में साथी लाखों दुःख में न काम आते
माया के है ये बंधन झूठे है रिश्तेनाते
स्वार्थ पूरा करके सब साथ छोड़ जाते
गुरुवर ही सच्चे साथी शांति वही दिलाते
ये मित्र सगे सम्बन्धी कोई ना साथ देगा
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