मनमुख तो बनकर देख लिया
अब गुरुमुख तो बनकर देख जरा
चेतन अविनाशी होकर भी,
तुम जीव कहाते आए हो,
देहाध्यास में रहकर देख लिया,
गुरुज्ञान में टिककर देख जरा..
मरना जीना बनना मिटना
हम इसको जाननेवाले है,
तूने कर्ता बनकर देख लिया
अब दृष्टा बनकर देख जरा,
जीने का असली मकसद तो,
गुरुदेव ही हमे बताते है,
मैं मेरे में फस कर देख लिया,
परोपकारी बनकर देख जरा,
दीवाना हुआ क्यूं माया में,
क्यों अटक गया इस काया में,
दुनिया में रूककर देख लिया,
अब खुद को आकर देख जरा...
गुरुनाम ही सबसे प्यारा है,
बाकी जग नश्वर सारा है,
अभिमानी बनकर देख लिया
तू ध्यानी बनकर देख जरा,
दुनिया के झंझट दुखदायी
गुरुशरण ही है बस सुखदायी,
बंधन में बंधकर देख लिया,
अब मुक्ति पाकर देख जरा...
गुरुकृपा से वंचित रहेकर,
दुःख सुख ही अब तक भोगे है..
तूने भोगी बनकर देख लिया
अब योगी बनकर देख जरा,
तेरा तन धन तो झटके में
ये मौत बहा ले जाएगी,
तुने नश्वर पाकर देख लिया
अब शाश्वत पाकर देख जरा
गुरुनाम को भज, अभिमान को तज,
यह समय नहीं है सोने का
मिथ्या में जीकर देख लिया
अब सत्य को पीकर देख जरा,
ब्रह़मज्ञान की ज्योत जगा कर के
''गुरु'' तिमिर को दूर भगाते है,
तूने सब का बनकर देख लिया,
गुरुवर का बनकर देख जरा...
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