सतगुरु प्यारे हमारे साईं ब्रह्मस्वरुप
ये योगी और ज्ञानी बापू ईश्वर का रूप
इनको कह लो गुरूजी चाहे कह लो प्रभु जी
कहे लो स्वामी जी चाहे अंतर्यामी जी कह लो
सारे भक्तों के दिल में बैठे बापू नारायण रूप
सतगुरु ईष्ट हमारे प्राणों से भी प्यारे
हम है चरणों की धूल ये है चन्दन हमारे
जग में रहते हैं ऐसे जैसे जल में हो फूल
ये तो रहेमत है इनकी मानव देह में जो आये
क्या तो स्वार्थ है इनका घर-घर आके जगाये
बापू चाहते है सब जाने अपना स्वरुप
दुर्गुण दूर हटाते हम को अमृत पिलाते
अपना सब कुछ लुटा के हम को ऊपर उठाते
कष्ट उठाते हमारे लिए कैसे अवधूत
सबको ऊपर उठाना गुरु का शौक निराला
भक्ति ज्ञान जगाके करते दिल में उजाला
सब के दिल में बैठे है बापू ज्योति स्वरुप
मेरे गुरुवर की कृपा देखो रंग अनोखा
बाकी जग सारा झूठा सब धोखा ही धोखा
सत्य दिखाते है हम को साईं सत्यस्वरूप
माया जाल हटाकर मुक्ति मंत्र है देते
अपने वचनामृत से सबके दुःख हर लेते
खुशियों से भर देते साईं जीवन का कूप
गुरुवर संयम सेवा का सबको मार्ग दिखाते
अंतर ज्योत जगाकर निज रूप लखाते
बापू करते उजाला बनके ज्योति स्वरुप
गुरुवर जग से है न्यारे हम को प्राणों से प्यारे
बाकी जग के रिश्ते तो सब झूठे सहारे
बापू दिल में रहते है बनके आत्मस्वरूप
भक्ति ज्ञान प्रदाता सबके मंगलकारी
इनसा है ना जग में दूजा कोई हितकारी
जग में आये है लेकर इश्वर बापू का रूप
देह बुद्धि हटाते आत्मबोध कराते
इनकी शरण में आकर सब शांति है पाते
साधक जाने है इनसे अपना निजस्वरूप
इनकी कृपा से ही सच्चा ज्ञान है मिलता
इनके दर्शन से ही ह्रदय पुष्प है खिलता
वर्षा प्रेम की करते साईं आत्मस्वरूप
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