हम आपके हुए गुरुवर स्वीकार लेना .....
हम आपके हुए गुरुवर स्वीकार लेना
बस आपके हुए गुरुवर पनाह देना
अन्धकार से भरा था निगुरा जीया था जीवन
में तो भटक रहा था भटका हुआ था ये मन
मेरे इस पापी मन को गुरुवर अब तुम संवार देना
झूठे है रिश्ते नाते कुछ काम में न आते
माया के सब खिलोने जाल में फ़ंसाते
बार बार उलझ रहे थे, जीवन का सार देना....
विषयों में मुझको घेरा में तो उलझ रहा था
पीछे लगी थी माया और माया में फंस रहा था
गुरूद्वारे में अब हूँ आया, दुर्गुणों को मार देना
तुम्ही तो हो मेरे कृष्णा मेरे राम भी तुम्ही हो,
तीरथ मुझे क्या करना तीन देवता ही तुम्ही हो,
हो पूरण मेरे प्यारे गुरुवर, अपना बनाये रखना
चाहे जगत ये छूटे, गुरुनाम की लगन हो,
नश्वर का साथ छूटे गुरुप्रेम की अगन हो,
में तो चाहूं गुरुप्रीति को झोली में डाल देना
किरपा है तेरी गुरुवर मुझको शरण लिया है,
में तो रहा अनाड़ी अपना बना लिया है
हे गुरुवर मैं क्या गुण गाऊं?
वंदन स्वीकार लेना
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