शिवही गुरु है, गुरु ही शिव है
दोनो एक है कही भेद नही है
ॐनमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
शिवजी तो गंगाधारी है
गुरुसबके मंगलहारी है
केदारमें, कैलाश में
कण-कणमें बसे त्रिपुरारी है
शिवसंघारक कहलाते हैं
गुरुमुक्ति हमें दिलाते हैं
नहीद्वैत है नही भेद है
दोनोही पार लगाते हैं
शिवशून्य में हमें टिकाते हैं
गुरुउलझन सारी मिटाते हैं
क्यासार है, क्या निस्सार है
हमेंइसकी परख कराते हैं
शिवज्योतिर्लिंगों में साजे हैं
गुरुसबके हृदय विराजे हैं
यहीईश है, जगदीश है
इन्हेंहम भावो से नवाजे है
गुरुसबसे ज्यादा गहरे हैं
गुरुसदा स्वयं में ठहरे हैं
तनमे भी है, मन में भी है
गुरुसागर है हम लहरे है
गुरुसबका आत्म – रूप है
गुरुही तो ब्रम्हस्वरूप है
रातोमे है, दिन में भी है
गुरुसागर है हम लहरे है
गुरुसबका आत्म – रूप है
गुरुही तो ब्रम्हस्वरूप है
रातोमे है, दिन में भी है
चाँदनीयेही यही धूप है
पावनशिवरात्रि आई है
गुरुदर्श का अवसर लाई है
श्रद्धाबढ़े, प्रीती बढ़े
1 comment:
Hari om prabhuji shiv hi guru hai guru hi shiv hai is Bhajan me aapse ek galati Hui hai vah ye hai aapne Mangalkari ki jagah mangalhari likh Diya hai
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