वीर तू महान है देश की तू शान है
काहे को डरता है तू तो नौजवान है
बाधाएँ कितनी हो साहस न छोड़ना
राहे गर मुश्किल हो, हिम्मत न तोड़ना
ईश्वर की, शक्ति तो, सबमें विद्यमान है
भोग और प्रलोभन को ठोकर तू मारना
संयम से रहना तू जग से न हारना
न घबरा, बढ़ता जा, तेरे साथ भगवान है
मीरा व शबरी सा, तुमको महकना
माया की दुनियाँ में तू न बहकना
शाश्वत है सदब्रम्ह ही तेरी पहचान है
रात अंधियारी हो चाहे घटा काली हो
गुरु भक्ति से तेरा, हृदय न खाली हो
अटल है अडिग है, तू वो धड़कन है
देहे काचा कुम्भ है इक दिन ये टूटेगा
अपने परायों का साथ यही छूटेगा
आया है, जाएगा चार दिन का मेहमान है
No comments:
Post a Comment