गुरु महिमा गुरु महिमा अपार महिमा गुरु महिमा
गुरु चरणों में खुशियाँ सारी, सुख आनंद अपार है
भक्तों को तो वैकुंठ लगता, गुरुवर का दरबार है
गुरु महिमा -2 अखण्ड है ये गुरु महिमा
गुरु बिन मुक्ति ना पाई किसी ने, गुरु ही तारणहार है
सार गुरु आधार गुरु और गुरु ही पालनहार है
गुरु महिमा -2 भक्तिदायिनी गुरु महिमा
देव भी आकर इस धरती पर, गुरु शरण में जाते हैं
दुर्लभ है जो ज्ञान का अमृत, गुरु के मुख से पाते हैं
गुरु ही छुड़ाते मोह तन धन का, दूर करे अंधकार है
गुरु ही किनारा गुरु ही सहारा, गुरु ही करते पार है
गुरु महिमा -2 सबसे निराली गुरु महिमा
सत्य प्रेम और धर्म की सूरत, गुरु ही तीर्थ धाम है
सब देवों के देव गुरु हैं, वही कृष्ण वही राम हैं
गुरु महिमा -2 वेदों ने गाई गुरु महिमा
गुरु द्वार पे आकर चमके भक्तों की तकदीर है
गुरु ही ब्रम्हा विष्णु शंकर ब्रम्ह की ये तस्वीर है
गुरु महिमा -2 अनंत महिमा गुरु महिमा
गुरु पूजन अर्चन से मिटता, मन का हर संताप है
गुरु मंत्र के जप से कटते, जन्म-जन्म के पाप हैं
गुरु महिमा -2 पुण्य बढ़ाती गुरु महिमा
गुरु कृपा से भक्त है तरता, गुरु ही सुखकर्ता दुखहर्ता
बिन माँगे सब कुछ है पाता, गुरु का ध्यान है जो भी धरता
गुरु महिमा -2 बरनी न जाये गुरु महिमा
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