गाड़ी चली है गुरु के दरबार
जिसको चलना है वो हो जाए तैयार
वो हो जाए तैयार वो हो जाए तैयार -3
तुम हो गुरुवर प्राणों से प्यारे
मेरे हो तुम सबके दुलारे
देखो मेरे दिल से न जाना
तुमको मैने अपना माना
तेरी कृपा है हितकारी
मधुर-मधुर है तेरी वाणी
भटक-भटक के मैं हूँ हारा
मिल गया मुझको तेरा सहारा
भक्ति की गाड़ी में जो भी बैठा
आत्म मस्ती में वो है रहता
गुरु शरण ही राम शरण है
मिट जाते सब जन्म-मरण है
भक्ति भरा है गुरु तेरा द्वारा
रहमत हुई जो मिला है सहारा
पाया है गुरुवर प्यार तुम्हारा
पकड़ा दामन जब से तुमहारा
प्रभु की प्रीति दिल में बसाते
हर दिल में गुरु भक्ति जगाते
सच्चे दिल से याद जो करते
उनको गुरु जी दर्शन दे जाते
बड़ा प्यारा है गुरु का दरबार - - -
तुम भी अपना भाग्य बना लो
जीते जी मुक्ति को पा लो
आके सदगुरु दर्शन पालो
जिसने किया सदगुरु दीदार
उसका हुआ है बेड़ा पार
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