हे हरि हे हरि, जय-जय नाराय़ण हरि
तुमने लाखों को है तारा, तू कहे वो खरी
तुमसा साथी न कोई, तुमही ईश्वर मेरे
तुम ही प्राणों से प्यारे, मुझको गुरुवर मेरे
तन दिया, मन दिया, तुमने जीवन दिया
तुमपे सब कुछ वारे, तू कहे वो खरी
तू ही सबका सहारा, तू ही मालिक मेरा
दिल में तू ही है रहता, रूप पावन तेरा
आए जो, दर तेरे, अपनी झोली भरे
नाथ तुम ही हो हमारे, तू कहे वो खरी
तेरे ज्ञान से दुर्गुण, मन के मिटते गए
तेरे ध्यान से परदे, सारे हटते गये
तू करे, जो करे, सबका मंगल करे
सबके तुम रखवारे, तू कहे वो खरी
तेरा प्रेम निराला, है ये हितकर बड़ा
तेरे बिन था ये जीवन, खाली बोझिल
तू कहे जो कहे सबके हित में कहे
तू ही तीर्थ धाम सारे, तू कहे वो खरी
तू ही सबको संभाले, दूर दिखते भले
सँवरे तकदीर उसकी, तेरी राह जो चले
आके दर पे तेरे, जन्म सार्थक हुआ
तुम तो सबसे हो न्यारे, तू कहे वो खरी
सत्य हो शिव हो, सबसे सुन्दर तुम्ही
तुम ही साँसों में बसते, साथ हर दम तुम्ही
कहती है, धड़कनें, सुन लो मालिक मेरे
तुमसे सूरज चाँद तारे, तू कहे वो खरी
ब्रम्हा हो विष्णु हो, तुम ही शंकर मेरे
पाये शाश्वत की पूँजी, आए जो दर तेरे
दाता हो, माता हो, तुम विधाता भी हो
तुम ही सबके सहारे, तू कहे वो खरी
तेरे प्रेम ने कितनों, को निहाल किया
पल में बदली मेरी दुनियां, क्या कमाल किया
आगे अब, क्या कहें, मेरे स्वामी तुम्ही
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