गुरु के मुख से निकला वचन वरदान होता है
जो सुन के चल पड़े वही महान होता है
जैसे जल के बिन रहती है नदियाँ सारी सूखी
वैसे ही गुरु प्रेम बिना ये आत्मा रहती भूखी
गुरु की भक्ति से ही तो उद्धार होता है
भक्त ना चाहे धन दौलत ना चाहे चाँदी सोना
धन भागी हैं जिनको मिलता गुरु चरणों में कोना
कलयुग में गुरुनाम ही तो आधार होता है
तपते जीवों को देते “बापू” तरुवर सी छाया
मरु भूमि में जैसे “गुरुवर” ने झरना
बहाया
गुरु मंत्र ही साधक का
श्रृंगार होता है
गुरु चरणों में आकर मिटती
तन-मन की हर व्याधि
गुरु-शिष्य का रिश्ता ऐसा जैसे
चातक-स्वाति
गुरु-ज्ञान ही सब वेदों का सार
होता है
हमें बनाया ईश्वर ने देकर ये
दुर्लभ काया
घट में छिपकर बैठ गया और माया
जाल बिछाया
गुरु कृपा से ही उसका दीदार
होता है
स्वार्थ कपट के रिश्ते सारे
अंत में देते धोखा
माया खेले खेल निराले इसका रंग
अनोखा
गुरु बिना ये जीवन तो निस्सार
होता है
‘गुरु’ ही मात-पिता बंधु हैं
गुरु ही सच्चे साथी
’गुरु’ नाम है निर्मल-पावन गाओ
दिन और राती
’गुरु’ के दर पे खुशियों का
भंडार होता है
‘गुरु’ दर्शन से चमके हैं कितनों के भाग्य सितारे
श्रद्धा भक्ति से मिलकर आओ हम भी उन्हें पुकारे
”गुरु” बिना ना कोई तारणहार होता है
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