आत्मशक्ति से ओतप्रोत
विद्या और ज्ञान से भर दो
गुरूवर ऐसा वर दो
रहे मनोबल अचल मेरू सा
तनिक नहीं घबराऊँ
प्रबल आँधियाँ रोक सके ना
आगे बढ़ता जाऊँ
उड़ जाऊँ निर्बाध लक्ष्य तक
गुरूवर ऐसे पर दो
गुरूवर ऐसा वर दो
हैं अज्ञान निशा अँधियारी
तुम दिनकर बन आओ
ज्ञान और भक्ति की शिक्षा
बालक को समझाओ
विनय भरा गुरू ज्ञान मुझे दो
मन ज्योतिर्मय कर दो
मन ज्योतिर्मय कर दो
सुमति सुजस सुख संपत्ति दाता
हे गुरूवर अपना लो
संत समागम चाहूँ मैं
मुझे अपने पास बिठा लो
जैसा भी तेरा ही हूँ
हाथ दया का धर दो
गुरूवर ऐसा वर दो
मैं अबोध शिशु हूँ गुरू तेरा
दोष ध्यान मत देना
सब भक्तों के साथ मुझे भी
शरण चरण की देना
हे गुरूवर सुख ज्ञान अभय और
मन भक्ति से भर दो
गुरूवर ऐसा वर दो
उड़ जाऊँ निर्बाध लक्ष्य तक
गुरूवर ऐसे पर दो
गुरूवर ऐसा वर दो
विनय भरा गुरू ज्ञान मुझे दो
मन ज्योतिर्मय कर दो
गुरूवर ऐसा वर दो
जैसा भी तेरा ही हूँ
हाथ दया का धर दो
गुरूवर ऐसा वर दो
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