सदगुरू के चरणों में हमने
जिस दिन से शीश झुकाया हैं
उस दिन से मेरा जन्म हुआ
और सफल हुई ये काया हैं
जग की मुझको परवाह नहीं
माया की भी कोई चाह नहीं
धनवान तरसते जिस धन को
उस धन को हमने पाया हैं
सदगुरू के चरणों में हमने...
हम मुक्त देश में रहते हैं
जहाँ प्रेम की गंगा बहती हैं
कोई मर के स्वर्ग जो पाता है
हम जीते जी स्वर्ग में रहते हैं
सदगुरू के चरणों में हमने...
हम चाल अनोखी चलते हैं
निराली मस्ती में रहते हैं
गुरू कृपा में शक्ति इतनी
भव बंधन से छुड़ाया हैं
सदगुरू के चरणों में हमने...
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