आ दरस दिखा दे गुरूदेव
तुझे तेरे लाल बुलाते हैं
तुझे रो रो पुकारें मेरे नैन
तुझे तेरे लाल बुलाते हैं
आ दरस दिखा दे गुरूदेव...
आँखों के आँसूं सूख चुके हैं
अब तो दरश दिखा दे
कबसे खड़े हैं दर पर तेरे
मन की तू प्यास बुझा दे
तेरी लीला निराली गुरुदेव
तुझे तेरे लाल बुलाते हैं...
बीच भँवर में नैय्या पड़ी हैं
आकर तू पार लगा दे
तेरे सिवा मेरा कोई नहीं हैं
आकर गले से लगा ले
क्यों देर लगाते गुरुदेव
तुझे तेरे लाल बुलाते हैं...
डूब रहा हैं सुख का ये सूरज
गम की बदरिया हैं छाई
उजड़ गई बगिया जीवन की
मन की कली मुरझाई
करें विनती ये बालक आज
तुझे तेरे लाल बुलाते हैं...
वैसे तो तुम हो मन में हमारे
ऑंखें नहीं मानती हैं
एक पल गुरू से ये अब बिछुड़ कर
रहना नहीं चाहती हैं
बरबस बरसाए नीर
तुझे तेरे लाल बुलाते हैं...
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