राम बने कभी कृष्ण बने
कभी साँई आसाराम हैं
पारब्रह्म परमेश्वर तुमको
बारंबार प्रणाम हैं
अलख निरंजन निराकार
साकार रूप में आया हैं
फैला हैं आलोक दिशाओं में
अमृत सरसाया हैं
धन्य धन्य भारत की धरती
लीला अति अभिराम हैं
पारब्रह्म परमेश्वर तुमको
बारंबार प्रणाम हैं
हिमगिरि से सागर तक
तेरी ही करुणा की छाया हैं
काम रूप से पंच नदी तक
तुमने रस बरसाया हैं
गूँज रहा धरती के कण कण में
पावन हरि नाम हैं
पारब्रह्म परमेश्वर तुमको
बारंबार प्रणाम हैं
अमी दृष्टि बरसाकर पल में
लाखों का उद्धार किया
दीन दुःखी कातर अनाथ का
तुमने बेड़ा पार किया
द्वार तुम्हारे जो भी आता
होता पूरणकाम हैं
पारब्रह्म परमेश्वर तुमको
बारंबार प्रणाम हैं
मनमंदिर पावन कर अपना
तुझको आज बिठाया हैं
दो नयनों के दीप जलाए
श्रद्धा सुमन चढाया हैं
तेरे चरणों में ही गुरूवर
अपने चारों धाम हैं
पारब्रह्म परमेश्वर तुमको
बारंबार प्रणाम हैं
गुरुदेव हे गुरुदेव
विश्वशांति का विजय पताका
लहराए ऐसा वर दो
तृषावन्त मानवता के उर में
फिर से अमृत भर दो
जगन्नियंता तेरे चरणों में
सच्चा विश्राम हैं
पारब्रह्म परमेश्वर तुमको
बारंबार प्रणाम हैं
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