आज गुरू के दर्शन कर लो
खुशियों से झोली को भर लो
गुरू ज्ञान जीवन में भर लो
अपना हित सब साधक कर लो
आज गुरू के दर्शन कर लो...
शबरी मीरा एकलव्य को
गुरुभक्ति ने तारा
आरुणि और ध्रुव को भी था
गुरू का मिला सहारा
ऐसे गुरूवर हमको मिले हैं
सद्गुरू की भक्तों कर लो
शुभ दर्शन गुरूवर के पाकर
मन का हर संताप मिटे
गुरूवाणी सुनने से कितने
जन्मों के हैं पाप कटे
गुरू ही पूरण ब्रह्म हैं भक्तों
गुरूप्रेम ह्रदय में भर लो
गुरू की मूरत अति निर्मल हैं
सबका मन मोह लेती हैं
गुरू चरणों की धूली पावन
बिगड़ी बना ये देती हैं
गुरू ही सारे तीरथ मंदिर
गुरू दर पे तुम सजदा कर लो
मोहमाया के रिश्ते सारे
चार दिनों का मेला हैं
गुरू बिना नहीं कोई साथी
जाना तुझे तो अकेला हैं
गुरूवर का दामन लेकर
भवसागर से तुम तो तर लो
आज गुरू के दर्शन कर लो...
No comments:
Post a Comment