शुभ मंगल का आशीष पाओ
गुरु चरणन की आरती गाओ
गुरु के चरण हैं निर्मल निर्मल
दर्शन से हम होते पावन
चरणन रज निज शीश लगाओ
तीथो का है वास इन्हीं में
चरणामृत से भाग्य बनाओ
गंगाजल से चरण पखारो
फिर चंदन का तिलक लगाओ
सुमन माला से इन्हें सजाओ
जब भी कोई भय आ जाय
और चिंता का रोग सताये
निर्भय होकर बढते जाओ
गुरुचरणों को जो निशदिन ध्यावे
सुखशांति और वैभव पावे
मिलकर सब जयकारा लगाओ
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