गुरूवर अब मैं शरण तिहारी
गुरूवर हे गुरूवर,अब मैं शरण तिहारी
अनजाना पथ दूर नगरिया
रात कठिन अँधियारी
काम क्रोध मद लोभ मोह की
पग पग पर बँटमारी
गुरूवर अब मैं शरण तिहारी...
चौरासी का आना जाना
सिर पर गठरी भारी
जनम मरण की दुस्तर नदिया
जर जर नाँव हमारी
गुरूवर अब मैं शरण तिहारी...
स्वप्न लोक यह माया नगरी
भ्रमित सकल नर नारी
झूठे सारे रिश्ते नाते
झूठी दुनियादारी
गुरूवर अब मैं शरण तिहारी...
"मैं- मेरी" की भूल भुलैय्या
अहंकार अति भारी
करण- करावनधार तुमही हो
चरणन की बलिहारी
गुरूवर अब मैं शरण तिहारी...
No comments:
Post a Comment