गुरू बिना ज्ञान न होवे
सद्गुरु महिमा भारी
भवसागर से पार लगावे
हमें जीवन की क्यारी
सद्गुरु महिमा भारी....
अंधकार था चारों ओर
जब भटक रहा था मन
राह दिखाई गुरूवर ने
मिटा दिया सब उलझन
चरणों में इनके स्वर्ग विराजे
मिलती हैं शांति सारी
भवसागर से पार लगावे...
तन को सौंपा, मन को सौंपा
कर दिया सबकुछ अर्पण
प्रेमसुधा बरसाई ऎसी
हो गया जीवन दर्पण
हर श्वास में नाम तुम्हारा गुरूजी
ये जीवन हैं बलिहारी
भवसागर से पार लगावे....
मोहमाया के बंधन काँटे
तोडी झूठी आस
सत्य का दर्शन करवाया
गुरू ने किया विश्वास
कहे सेवक ये बार बार
रखना कृपा तुम्हारी
भवसागर से पार लगावे...
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