Sant Shri Asharamji Bapu

Sant Shri Asharamji Bapu is a Self-Realized Saint from India, who preaches the existence of One Supreme Conscious in every human being.

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संत श्री आशारामजी बापू

भारत के संत श्री आशारामजी बापू आत्मज्ञानी संत हैं, जो मानवमात्र मे एक सच्चिदानंद इश्वर के अस्तित्व का उपदेश देते है

तुळसी माता आरती मराठी

आरती श्री तुळसी मातेची 

विष्णुप्रिया वृंदावनजींची

आरती श्री तुळसी मातेची ...


सुरवर मुनीजन महिमा गाती

नारद शारद शीश नमविती

सर्व मिळूनी जयकार हो करती

तुळसी मातेची आरती गाती

आरती श्री तुळसी मातेची 

विष्णुप्रिया वृंदावनजींची

आरती श्री तुळसी मातेची ...


निशदिन प्रेमाने जल जो अर्पितो

अरोग्य आनंद सहज मिळवितो

प्रभु हृदयी विराजितो 

भक्ति फळाचा आनंद घेतो

आरती श्री तुळसी मातेची 

विष्णुप्रिया वृंदावनजींची

आरती श्री तुळसी मातेची ...


तूळसी सेवन नित्य जो करतो

बळ बुद्धि आणि तेज वढवितो

तुळसी सर्व रोग मिटवी

घरोघरी सुख समृद्धि आली

आरती श्री तुळसी मातेची ...


तुजविण हरिला भोग ना आवडे

प्रभु हृदयीं प्रेम हो वाढे

बने प्रभुची दिव्य प्रसादी

मिळे ज्याला तो धन्य होई

आरती श्री तुळसी मातेची ...


तुळसी माळा ज्याच्या कंठी

प्रभु नामाचा गजर हो मुखी

यम भीतीतून मुक्ति मिळवी

पुण्य पवित्रता शुभ गती मिळवी  

आरती श्री तुळसी मातेची ... 


बापूजींनी संकल्प केला

तुळसी महिमा जगाने ओळखिला

घरोघरी लाविली तुळसी 

मना मना मध्ये प्रभुंची प्रीती

आरती श्री तुळसी मातेची ...


माह डिसेंबर 25 येता

तुळसी पूजन करितो साजरा

तो नर अमिट पुण्यफळ मिळवी

जीवन आपले धन्य बनवी

आरती श्री तुळसी मातेची ...

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तुलसी माता आरती

जय तुलसी माता मैय्या जय तुलसी माता

तुमको निशदिन सेवत हरिविष्णु विधाता

 ॐ जय तुलसी माता...


जिस घर तुम रहती हो सब सदगुण आता

मैय्या सब सदगुण आता 

सब संभव हो जाता विवेक निखर जाता

 ॐ जय तुलसी माता...


जो ध्यावे फल पावै दुःख विनसे मन का

मैय्या दुःख विनसे मन का

सुख संपत्ती घर आवे, रोग मिटे तन का

ॐ जय तुलसी माता...


जहाँ भी तुम रहती हो यमदूत नहीं आता 

यमदूत नहीं आता 

नित्य बढ़े हरि भक्ति चरण रति पाता

ॐ जय तुलसी माता...


पत्र प्रसादी जो कोई नित पाता 

महाभयानक रोग भी उससे भय पाता

ॐ जय तुलसी माता...


वृंदावनी वृंदा  विश्वव्यापिनी  हरिप्रिया

कृष्णाजीवनी तुलसी तुम ही पापांकुशा

ॐ जय तुलसी माता...


तुलसी माता की आरती जो कोई नित गावे

कहत संत जन सब ही , भुक्ति मुक्ति पावे

ॐ जय तुलसी माता...


जय तुलसी माता मैय्या जय तुलसी माता

तुमको निशदिन सेवत हरिविष्णु विधाता

 ॐ जय तुलसी माता...

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जय जय जय तुलसी माता

गुणों की खान धरा पे वरदान

हे तुलसी माता तुम्हें प्रणाम 

गुणों की खान हो धरा पे वरदान हो

हे तुलसी माता तुम्हें प्रणाम 

जय जय जय तुलसी माता  ...


कुदरत का मानवता को सबसे बड़ा उपहार हैं

दिव्य गुणों से पूर्ण करती सबका उपकार हैं

आज तेज अरोग्यदायिनि वृंदावनी

विनती हैं हमारी , नित करें तुम्हारी वंदना

हे कृष्णजीवनी

घर घर जाकर के तेरा गुणगान करेंगे

वृंदा अभियान करेंगें, वृंदा अभियान करेंगें, वृंदा अभियान करेंगें


साधारण वृक्ष नहीं तुम एक वरदान हो

दुःख चिंता सब नष्ट हो जाए रहती जिस द्वार हो

दुष्ट शक्तियों की नाशक हे पुष्पसारा

विपदा को भगाए कष्टों को मिटाए ये तेज तुम्हारा

माँ तुलसी 

हर एक क्यारी को तेरी खुशबू से भरेंगे

वृंदा अभियान करेंगें

जय जय जय तुलसी माता  ... 


हे तुलसी माता तेरी महिमा अपार हैं

तुझमें समाया सब रोगों का उपचार हैं

यमदंड से भी बचाए हे नंदिनी 

दर्शन से तुम्हारे मिटे पाप सारे

वंदन हे विष्वपावनी

संस्कृति की हो रक्षा ये आवाहन करेंगे

वृंदा अभियान करेंगें, वृंदा अभियान करेंगें, वृंदा अभियान करेंगें

जय जय जय तुलसी माता  ... 

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तुलसी माँ तेरे बिना आँगन मेरा

 तुलसी माँ तेरे बिना आँगन मेरा सूना लागे रे ।

सूना लागे रे,सूना लागे रे, ओ मैय्या सूना लागे रे ।।

तेरे बिना,तेरे बिना,तेरे बिना मुझे कुछ भाए नहीं रे

तुलसी माँ तेरे बिना आँगन मेरा सूना लागे रे

सूना लागे रे,सूना लागे रे, ओ मैय्या सूना लागे रे ...


तेरे पूजा के बिना दिन मेरा सँवरना

जल चढाए बिना तृप्ति मुझे मिले ना

तेरे बिना,तेरे बिना,तेरे बिना सुबह कुछ होता नहीं रे

तुलसी माँ तेरे बिना आँगन मेरा सूना लागे रे

सूना लागे रे,सूना लागे रे, ओ मैय्या सूना लागे रे ...


तेरे बिना बगिया की शोभा नहीं रे

इत्र गुलाब भी फीका लागे रे

तेरे बिना,तेरे बिना,तेरे बिना आरोग्य टिके नहीं रे

तुलसी माँ तेरे बिना आँगन मेरा सूना लागे रे

सूना लागे रे,सूना लागे रे, ओ मैय्या सूना लागे रे ...


विश्व पावनी मैय्या तुझे कहते हैं 

हरिप्रिया वृंदावनी तेरे नाम हैं

देवों ने भी महिमा तेरी गाई हैं

तुलसी माँ तेरे बिना आँगन मेरा सूना लागे रे

सूना लागे रे,सूना लागे रे, ओ मैय्या सूना लागे रे ...


भक्ति मुक्ति गुरू बिना फले नहीं रे

ऊँचा ज्ञान सच्चा सुख मिले नहीं रे

गुरू बिना गुरू बिना गुरू बिना ईश कोई पाए नहीं रे

गुरू के नाम बिना ये जीवन ये कैसे तारेगा

कैसे तारेगा, ये जीवन कैसे तारेगा 

गुरू बिना, सदगुरू बिना ,गुरू बिना ब्रह्मज्ञानी कैसे मिलेगा

गुरू के नाम बिना ये जीवन ये कैसे तारेगा

कैसे तारेगा, ये जीवन कैसे खिलेगा

गुरू के नाम बिना ये जीवन ये कैसे तारेगा

कैसे तारेगा, ये जीवन कैसे तारेगा

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तुलसी नामाष्टकम

 वृन्दां वृन्दावनीं विश्वपावनीं विश्वपूजिताम् ।

पुष्पसारां नन्दिनीं च तुलसीं कृष्णजीवनीम् ॥

एतन्नामाष्टकं चैतत्स्तोत्रं नामार्थसंयुतम् ।

यः पठेत्तां च संपूज्य सोऽश्वमेधफलं लभेत् ॥

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हर जनम में बापू तेरा साथ चाहिए

 कि सिलसिला ये टूटना नहीं चाहिए

कि मुझको तो बस इतनी सी सौगात चाहिए

कि हर जनम में बापू तेरा साथ चाहिए 

और सर पे मेरे नाथ तेरा हाथ चाहिए


मेरी आँखों के तुम तो तारे हो

जान से ज्यादा मुझे प्यारे हो 

रूठे सारी दुनिया तुम रूठना नहीं

मुझको तेरे प्यार की बरसात चाहिए 

हर जनम में बापू तेरा साथ चाहिए 

सर पे मेरे नाथ तेरा हाथ चाहिए


भर दें झोली मेरी एक पल में

बात बापू की मेरे निराली 

आए हैं जब भी आँखों से आँसू 

कर दिए दूर दर्दो को पल में 

मैंने जब भी पुकारा गुरू को 

आके डोरी उन्होंने सँभाली

भर दें झोली मेरी एक पल में

बात बापू की मेरे निराली 


मुझपे तरी कृपा ये कम ना हैं

फिर भी छोटीसी एक तमन्ना हैं

मर न जाए बापू तुम्हें याद करके

और जीते जी एक तुमसे मुलाकात चाहिए

हर जनम में बापू तेरा साथ चाहिए 

सर पे मेरे नाथ तेरा हाथ चाहिए


मेरी दुनिया को तुम बसाए हो 

मेरी साँसों में तुम समाए हो

दिन में साथ साथ तुम रहो मेरे

और सपनों में आते रहो वो रात चाहिए 

हर जनम में बापू तेरा साथ चाहिए 

सर पे मेरे नाथ तेरा हाथ चाहिए 


सिलसिला ये टूटना नहीं चाहिए

मुझको तो बस इतनी सी सौगात चाहिए 

हर जनम में बापू तेरा साथ चाहिए 

सर पे मेरे नाथ तेरा हाथ चाहिए

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थोड़ा ध्यान लगा गुरूवर दौड़े दौड़े आएँगे

थोड़ा ध्यान लगा गुरूवर दौड़े दौड़े आएँगे

थोड़ा ध्यान लगा गुरूवर दौड़े दौड़े आएँगे 

तुझे गले से लगाएँगे।

अखियाँ मन की खोल, तुझको दर्शन वो कराएँगे

अखियाँ मन की खोल, तुझको दर्शन वो कराएँगे

थोड़ा ध्यान लगा...


हैं राम रमिया वो, हैं कृष्ण कन्हैया वो, वही मेरा ईश है।

सत्कर्म राहों पे चलना सिखते वो, वही जगदीश हैं।

प्रेम से पुकार तेरे पाप को जलाएँगे, 

थोड़ा ध्यान लगा...


किरपा की छाया में बिठाएँगे तुझको, कहाँ तुम जावोगे।

उनकी दया दृष्टि जब जब पड़ेगी तुम ये भव तर जावोगे।

ऐसा है विश्वास मन में ज्योत वो जगायेंगे, 

मन में ज्योत वो जलाएँगे॥

थोड़ा ध्यान लगा...


मुनिओं ने ऋषिओं ने, गुरु शिष्य महिमा का, किया गुणगान है।

गुरूवर के चरणो में, झुकती सकल सृष्टि, झुके भगवान है।

महिमा है अपार, सत की राह वो दिखलाएँगे

तुझे गले से लगाएँगे।।

थोड़ा ध्यान लगा...

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देख लिया संसार हमने देख लिया

 देख लिया संसार हमने देख लिया 

सब मतलब के यार हमने देख लिया  


 तन निरोग धन जेब में जबतक 

 मन से सेवा केरेंगे तबतक

मानेगा परिवार हमने देख लिया 

देख लिया संसार हमने देख लिया 

देख लिया संसार हमने देख लिया 

सब मतलब के यार हमने देख लिया   


जिस जिस पे विश्वास किया

उसने हमें निराश किया 

बनके रिश्ते दार हमने देख लिया 

देख लिया संसार हमने देख लिया 

बनके रिश्ते दार हमने देख लिया 

सब मतलब के यार हमने देख लिया


प्रतिभा का कोई मोल नहीं 

सफल सिद्ध अनमोल वहीं 

जिसका प्रबल प्रचार हमने देख लिया 

देख लिया संसार हमने देख लिया 

जिसका प्रबल प्रचार हमने देख लिया 

सब मतलब के यार हमने देख लिया 


सरल संत का मूल न आँके

कुटिलों के दरवाजे झाँके 

हो जाए दीदार हमने देख लिया

देख लिया संसार हमने देख लिया 

हो जाए दीदार हमने देख लिया

देख लिया संसार हमने देख लिया 


सतगुरू का उपदेश यहीं हैं

महामंत्र भक्तों यहीं हैं 

हरि स्मरण हैं सार हमने देख लिया

देख लिया संसार हमने देख लिया 

हरि  स्मरण हैं सार हमने देख लिया

देख लिया संसार हमने देख लिया 


देख लिया संसार हमने देख लिया 

सब मतलब के यार हमने देख लिया  

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साबरमती के बीहड़ में हैं बसा गाँव मोटेरा

 साबरमती के बीहड़ में हैं बसा गाँव मोटेरा 

बसा गाँव मोटेरा ...

सुनसान और बड़ा भयंकर कोई न डाले डेरा

यहीं एक पावन योगी ने छोटी सी कुटी छवाई

भूमि हुई पुलकित और वह मोक्ष कुटीर कहाई

साबरमती के बीहड़ में हैं बसा गाँव मोटेरा 


अर्थ जनों को देख जगत के संत ने दृढ़ संकल्प किया 

आश्रम एक बनाकर उसने लक्ष्य अपना सिद्ध किया 

पुलकित हुई प्रकृति सारी और सूर्य ने शीश नवाया 

अद्भुत प्रवेश द्वार आश्रम का मोक्ष द्वार कहलाया 

साबरमती के बीहड़ में हैं बसा गाँव मोटेरा 

बसा गाँव मोटेरा ...


नदी किनारे नीरवता में निःसीम ध्यान ले आया 

बापूजी के शांत स्वभाव सा शांति कुटीर लहराया 

जुड़ा हुआ उससे हैं पावन व्यासभवन हैं मनभाया

आयोजन ध्यान शिविरों का बुध रवि होता आया

साबरमती के बीहड़ में हैं बसा गाँव मोटेरा 

बसा गाँव मोटेरा ... 


किए स्पर्श मौन मंदिर का कल्पतरू सा अटल हैं 

बड़बदशाह नाम प्यार का मनोकामना सफल हैं 

प्रदक्षिणा कर भक्त माँगते जो भी मिलता फल हैं 

आशाराम का आत्मानंद ही इसमें देता तरंग हैं  

साबरमती के बीहड़ में हैं बसा गाँव मोटेरा 

बसा गाँव मोटेरा ...


आश्रम से कुछ ही दूरी पर महिला आश्रम बना हुआ 

नाम रखा अनुसुया आश्रम साबर जल भी पावन हुआ 

महासती श्री माँ लक्ष्मी ने आश्रम का उद्धार किया 

नारी की सोई शक्ति को तपोनिष्ठ ने जाग्रत किया 

साबरमती के बीहड़ में हैं बसा गाँव मोटेरा 

बसा गाँव मोटेरा ... 


लौकिक सुख को छोड़ वे धाई पूज्यश्री पदचिन्हों पर 

उनके आदर्शों को पाला गहन साधना अपना कर 

चंदन कर डाला जीवन को घिसकर सेवा के पथ पर 

हुई सुगंधित सारी दुनिया वो भी चली ईश पथ पर 

साबरमती के बीहड़ में हैं बसा गाँव मोटेरा 

बसा गाँव मोटेरा ... 


त्रस्त हुई जीवन से घर से उलझे मन की महिलाएँ 

माँ के श्री चरणों में आने पर वो भी चंदन बन जाए 

शांति प्राप्त कर, ध्यान प्राप्त कर, प्रेम प्राप्त कर माता का 

जीवन उनका बन जाता हैं महकी फूली बगिया सा 

साबरमती के बीहड़ में हैं बसा गाँव मोटेरा 

सुनसान और बड़ा भयंकर कोई न डाले डेरा 

साबरमती के बीहड़ में हैं बसा गाँव मोटेरा 

बसा गाँव मोटेरा ... 

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एक रात दुःखी मैं होके

 एक रात दुःखी मैं होके ,सो गया था रोते रोते

सपने में गुरूवर आके बोले कि मैं हूँ ना

क्यों चिंता करता हैं मेंरे होते क्यों डरता हैं 


जब जब गुरूवर को देखा धीरज मैंने खोया 

लिपट गया चरणों से और फूट फूट के रोया 

मुस्कुराके हौले हौले गुरूवर भक्तों से बोले 

कि मैं हूँ ना क्यों चिंता करता हैं     

मेरे होते क्यों डरता हैं 


छोड़ के मोहमाया को जो मेरी शरण में आया

गुरूवर के उपकारों को जीवन भर भूल न पाया 

मानव मंदिर हैं बनाया भक्तों के दुखड़े मिटाया 

कि मैं हूँ ना क्यों चिंता करता हैं मेंरे होते क्यों डरता हैं 

जहाँ में नहीं हैं गुरू बिन गुजारा

 जहाँ में नहीं हैं गुरू बिन गुजारा

गुरू सच्चा साथी हमारा तुम्हारा 

ज्ञानी गगन का सतगुरु सितारा 

गुरू सच्चा साथी हमारा तुम्हारा 

जहाँ में नहीं हैं गुरू बिन गुजारा

गुरू सच्चा साथी हमारा तुम्हारा 


मेरे गुरू मेरे गुरू प्यारे गुरू प्यारे गुरू


गुरू बिन प्रभु से मिलना हैं मुश्किल

गुरू के सहारे मिल जाती मंजिल

अँधियारी राहों में गुरू उजियारा

गुरू सच्चा साथी हमारा तुम्हारा

जहाँ में नहीं हैं गुरू बिन गुजारा

गुरू सच्चा साथी हमारा तुम्हारा 


मेरे गुरू मेरे गुरू प्यारे गुरू प्यारे गुरू


भला क्या बुरा क्या गुरू ही सिखाते

भरम सारे मन के गुरू ही मिटाते

गुरू ज्ञान गंगा अमृत की धारा 

गुरू सच्चा साथी हमारा तुम्हारा

जहाँ में नहीं हैं गुरू बिन गुजारा

गुरू सच्चा साथी हमारा तुम्हारा  

 

मेरे  गुरू मेरे गुरू प्यारे गुरू प्यारे गुरू

  

धरम ध्यान शांति गुरू से ही मिलते

सतगुरू के दर्शन जीवन बदलते

दुःख और दुविधा से गुरू ने उबारा 

गुरू सच्चा साथी हमारा तुम्हारा

जहाँ में नहीं हैं गुरू बिन गुजारा

गुरू सच्चा साथी हमारा तुम्हारा    


ज्ञानी गगन का सतगुरु सितारा 

गुरू सच्चा साथी हमारा तुम्हारा 

जहाँ में नहीं हैं गुरू बिन गुजारा

गुरू सच्चा साथी हमारा तुम्हारा 

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तेरी कृपा ही मेरा सबकुछ

 तेरी कृपा ही मेरा सबकुछ ओ मेरे सतगुरू देवा

मुझे नहीं चाहिए अब कुछ ओ मेरे सतगुरू देवा

तेरी कृपा ही मेरा सबकुछ ओ मेरे सतगुरू देवा


गैरों की बात करें क्या हमें अपनों ने ठुकराया

बन गया नाथ तू मेरा तूने पल पल साथ निभाया

तेरा साथ ही मेरा सबकुछ ओ मेरे सतगुरू देवा

तेरी कृपा ही मेरा सबकुछ ओ मेरे सतगुरू देवा


मैय्या बनकर के तूने मुझे गोद में ले दुलराया

बन गया पिता तू मेरा तूने चलना मुझे सिखाया 

तेरा  प्यार ही मेरा सबकुछ ओ मेरे सतगुरू देवा 

मुझे नहीं चाहिए अब कुछ ओ मेरे सतगुरू देवा


मैं किसीसे क्या कुछ माँगू बिन माँगे ही सब पाऊँ 

जब द्वार मिला मुझे तेरा मैं किसीके दर क्यों जाऊँ 

तेरा द्वार ही मेरा सबकुछ ओ मेरे सतगुरू देवा

तेरी कृपा ही मेरा सबकुछ ओ मेरे सतगुरू देवा

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चलो चलो नाम गाओ रे

चलो चलो नाम गाओ रे हरि ॐ हरि ॐ गाओ रे

हरि नाम में शक्ति अपार हरि ॐ हरि ॐ ...

चलो चलो नाम गाओ रे


शंख बजे करताल बजे ,मंजीरा झन-झन बाजे

हर मन में प्रेम समाए रे, भक्ति की धार बहाए रे

धूल उडती चरणों की रे, इकरार है प्रेम की रे

हर मन में हरि बसा हैं रे, हर मुख नाम सुहाए रे

भक्ति रंग में भीग गए, भूल गए सब झगड़े

नाचे गाएं झूम झूम के, हरि नाम में रम गए

अंतर पाजण संग चले, भक्तों के मन रंगण चले

हर दिल में उजियारा है हरि ॐ हरि ॐ प्यारा हैं हरि ॐ हरि ॐ


अंधकार को जलाओ रे, मन का दीप जलाओ रे

हरि के चरण बुलाओ रे, हरि ॐ हरि ॐ गाओ रे

सत्संग की डगर प्यारी, भक्ति में सुख भारी

गुरू चरणों की छाया में, मिले अमर कहानी

नाचो गाओ प्रेम के संग हरि नाम ही मधुर रंग

भक्ति रस में झूमो रे, हरि ॐ हरि ॐ गाओ रे

हरिनाम का जाप अमर भक्तों का हैं यह आधार

जहाँ जहाँ नाम पुकारा वहाँ वहाँ प्रेम की धारा

चलो चलो नाम गाओ रे हरि ॐ हरि ॐ गाओ रे...

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जब आएँगे बापू प्यारे

 जब आएँगे बापू प्यारे 

जब आएँगे राजदुलारे

खुशियाँ मनाएँगे नाचेंगे गाएँगे


बापूजी के दर्शन होंगे 

सोए भाग फिर से जगेंगे

चेहरे पे छाएगी लाली 

रोज मनाएँगे होली दीवाली

जब आएँगे बापू प्यारे 

जब आएँगे राजदुलारे

जब आएँगे अँखियों के तारे

खुशियाँ मनाएँगे नाचेंगे गाएँगे


फिर से बापू की गाड़ी चलेगी

मुरझाई कलियाँ फिर से खिलेगी

हरि नाम का कीर्तन भी होगा

जोगी रे का भजन भी होगा  


महा जयजयकार महा जयजयकार

मेरे गुरू की जयजयकार

लिया अवतार लिया अवतार

मेरे गुरू ने लिया अवतार

महा जयजयकार महा जयजयकार

मेरे गुरू की जयजयकार


चाहे कितनी विपदा आए

साधक हैं नहीं घबराए

महिमा अपार , महिमा अपार

मेरे गुरू की महिमा अपार

महा जयजयकार महा जयजयकार

मेरे गुरू की जयजयकार

मेरे बापू की जयजयकार

मेरे साँई की जयजयकार

मैं वारी जाऊँ रे

 वारी जाऊँ रे , बलिहारी जाऊँ रे

म्हारे सतगुरु आँगण आया, मैं वारी जाऊँ रे

हो वारी जाऊँ रे , बलिहारी जाऊँ रे

म्हारे बापू आँगण आया, मैं वारी जाऊँ रे


हो सतगुरु आँगण आया , हैं गंगा गोमती लाया रे

म्हारी निर्मल हो गयी काया, मैं वारी जाऊँ रे


सब सखी मिलकर हालो, केसर तिलक लगावो रे

घड़ी हेत सूं लेवो बधाई, मैं वारी जाऊँ रे

म्हारे बापू आँगण आया, मैं वारी जाऊँ रे...


बापू दर्शन दीन्हा, भाग उदय कर दीन्हा रे

मेरा भरम करम सब छीना, मैं वारी जाऊँ रे

म्हारे बापू आँगण आया, मैं वारी जाऊँ रे


सत्संग बन गयी भारी, मंगला गाऊँ चारी रे

म्हारी खुली  हृदय  की ताली, मैं वारी जाऊँ रे

हो  वारी जाऊँ रे , बलिहारी जाऊँ रे

म्हारे बापू आँगण आया, मैं वारी जाऊँ 

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गुरू बिना ज्ञान न होवे

 गुरू बिना ज्ञान न होवे

सद्गुरु महिमा भारी

भवसागर से पार लगावे

हमें जीवन की क्यारी

सद्गुरु महिमा भारी....


अंधकार था चारों ओर

जब भटक रहा था मन

राह दिखाई गुरूवर ने

मिटा दिया सब उलझन

चरणों में इनके स्वर्ग विराजे

मिलती हैं शांति सारी

भवसागर से पार लगावे...


तन को सौंपा, मन को सौंपा

कर दिया सबकुछ अर्पण

प्रेमसुधा बरसाई ऎसी

हो गया जीवन दर्पण

हर श्वास में नाम तुम्हारा गुरूजी

ये जीवन हैं बलिहारी

भवसागर से पार लगावे....


मोहमाया के बंधन काँटे

तोडी झूठी आस

सत्य का दर्शन करवाया

गुरू ने किया विश्वास

कहे सेवक ये बार बार

रखना कृपा तुम्हारी

भवसागर से पार लगावे...

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सदगुरू मेरे जीवन में आए

 सद्गुरु मेरे जीवन में आए

अंधकार मिटा ज्योति जलाए

मिट गया मोह मिटा अज्ञान

नाम भजन में मन लहराए

सद्गुरु मेरे जीवन में आए...


जब जब डूबा मायासगर में

गुरू ने हाथ बढ़ाया रे

भूल भटक के राहों में

दीपक प्रेम जलाया रे

अब तो हर साँस में नाम तेरा

हर पल तेरा साया रे

सद्गुरु मेरे जीवन में आए...


मिटे कर्म के काले बादल

सच्चे प्रेम की वर्षा छाई

मन का मृग अब शांत हुआ हैं

आत्मा ने शांति पाई

नाम जपूँ तो नयन भर आए

आँखो में प्रेम समाए

 सद्गुरु मेरे जीवन में आए...


ना मंदिर में ना मूरत में

गुरू ही सच्चे नारायण हैं

उनकी वाणी उनका चेहरा

सबमें दिखते भगवान हैं

 जो बोले राम वही बोले गुरू

दोनों एक समान हैं

सद्गुरु मेरे जीवन में आए...


अब तो यहीं अरमान हैं मेरा

गुरू चरणों में रह जाऊँ

तेरे नाम की धुन गाता गाता

जीवन तेरा बन जाऊँ

साँस साँस में बसी तेरी वाणी

अब तो तुझमें समा जाऊँ

 सद्गुरु मेरे जीवन में आए...

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पोथी पढ़ ली पैसा गिन लिया

पोथी पढ़ ली, पैसा गिन लिया

माना सबकुछ हैं जाना

कहाँ से आए कहाँ हैं जाना

ना जाना तो क्या जाना ...


कौन देस से आया प्राणी 

कहाँ हैं तेरा बसेरा रे

उजियारे में भटक रहा तू

हो नहीं तेरा सवेरा रे

अपने को पहचान ले बंदे

औरों को पहचाना क्या

कहाँ से आए.....


बस तू इतना जान लें बंदे

सपना हैं संसार

भूलभुलैया से बचना तू

अपना आप उबार

संत मिले जो सदगुरू जैसे

जीवन से घबराना क्या

कहाँ से आए.....


मस्त फकीर हैं मौला मेरा

मालिक मेरा साँई रे

योगलीला हैं जीवन उसका

मैं उसकी परछाई रे

राम का दाना राम की चिड़िया

चुग गई तो पछताना क्या

कहाँ से आए.....

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एक बार आ जाओ गुरुदेव आ जाओ

एक बार आ जाओ गुरुदेव आ जाओ

अँखियाँ हैं दर्शन की प्यासी अब ना तरसाओ

एक बार आ जाओ....


शाम सलोनी सूरत तेरी लागे प्यारी प्यारी

नजर किसीकी लगें नहीं मैं जाऊँ तुझपे वारी

कबसे राह निहारूँ गुरूवर अब ना देर लगाओ

एक बार आ जाओ....


दिल में दर्द जुदाई का हाय किसको जाके दिखाऊँ

मैं हूँ अधम अधीन गुरूवर कैसे दर्शन पाऊँ

आया शरण तुम्हारी गुरूवर अब तो गले लगाओ

एक बार आ जाओ....


जैसा भी हूँ तेरा हूँ मैं मुझको ना ठुकराना

तेरे दर से खाली गया तो गुरूवर क्या कहेगा जमाना

अब क्या लिखूँ मैं आगे गुरूवर तुम ही समझ ये जाओ

एक बार आ जाओ....

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सर्व फलदाई श्री गणेश स्तोत्र

गजाननं भूत गणादि सेवितं,

कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम् ।

उमासुतं शोक विनाशकारकम्,

नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम् ॥


विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं।

नागाननाथ श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥


श्री गणेश संकट नाशन स्तोत्र

नारद उवाच 

प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम ।

भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये ॥1॥


प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम ।

तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम ॥2॥


लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च ।

सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम् ॥3॥


नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम ।

एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम ॥4॥


द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर: ।

न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो ॥5॥


विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।

पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥


जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत् ।

संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय: ॥7॥


अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां य: समर्पयेत ।

तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत: ॥8॥

॥ इति श्रीनारदपुराणे संकष्टनाशनं गणेशस्तोत्रं सम्पूर्णम्‌ ॥

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श्री गणेश पंचरत्न स्तोत्र

 मुदा करात्त मोदकं सदा विमुक्ति साधकम् ।

कलाधरावतंसकं विलासिलोक रक्षकम् ।
अनायकैक नायकं विनाशितेभ दैत्यकम् ।
नताशुभाशु नाशकं नमामि तं विनायकम् ॥ 1 ॥
नतेतराति भीकरं नवोदितार्क भास्वरम् ।
नमत्सुरारि निर्जरं नताधिकापदुद्ढरम् ।
सुरेश्वरं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरम् ।
महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम् ॥ 2 ॥

समस्त लोक शङ्करं निरस्त दैत्य कुञ्जरम् ।
दरेतरोदरं वरं वरेभ वक्त्रमक्षरम् ।
कृपाकरं क्षमाकरं मुदाकरं यशस्करम् ।
मनस्करं नमस्कृतां नमस्करोमि भास्वरम् ॥ 3 ॥

अकिञ्चनार्ति मार्जनं चिरन्तनोक्ति भाजनम् ।
पुरारि पूर्व नन्दनं सुरारि गर्व चर्वणम् ।
प्रपञ्च नाश भीषणं धनञ्जयादि भूषणम् ।
कपोल दानवारणं भजे पुराण वारणम् ॥ 4 ॥

नितान्त कान्ति दन्त कान्ति मन्त कान्ति कात्मजम् ।
अचिन्त्य रूपमन्त हीन मन्तराय कृन्तनम् ।
हृदन्तरे निरन्तरं वसन्तमेव योगिनाम् ।
तमेकदन्तमेव तं विचिन्तयामि सन्ततम् ॥ 5 ॥

महागणेश पञ्चरत्नमादरेण योऽन्वहं ।
प्रजल्पति प्रभातके हृदि स्मरन् गणेश्वरम् ।
अरोगतामदोषतां सुसाहितीं सुपुत्रताम् ।
समाहितायु रष्टभूति मभ्युपैति सोऽचिरात् ॥ 6 ॥
श्रीमत् शंकर भगित्पादकृत श्रीगणेशपञ्चरत्न स्तोत्रम् संपूणकम्।

श्री गणेश स्तुति

 गजाननं भूत गणादि सेवितं,

कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम् ।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्,
नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम् ॥

आले करुणेचे अवतार

आले करुणेचे अवतार 

बापू नारायण साकार

उदार ह्रदय दिलदार 

करी भक्तानां भवपार

विठ्ठल विठ्ठल विठ्ठल विठ्ठला...


जणू खरोखर मानव आहे

अशी तर लीला करतात

करुणेची तर खाणच आहे

रोग शोक भय हरतात

आले कोणी दीन दुःखी

त्याला करी निहाल

आले करुणेचे अवतार...


त्रेतायुगी राम बनूनी 

केला दुष्टांचा संहार

द्वापरयुगी कॄष्ण बनूनी 

दिले प्रेम आणि ज्ञान अपार

कलियुगात होऊन आले 

बापू आसाराम

आले करुणेचे अवतार...


ब्रह्मा विष्णु रूद्र स्वरूप

तिघांचे तुम्ही एकच रूप

मनोहर मूर्ती आनंद रूप

पाहतो मी त्रिभुवन रूप

दर्शन आपुले करता मला

होतो आनंद अपार

आले करुणेचे अवतार...


साधन भजनी मन लावूनी

जीवन आपुले तू सुधार

सद्गुरुंच्या शरणी येऊन

कर आपुला तू उद्धार

येणार नाही पुन्हा मौका

इतके याद राख

आले करुणेचे अवतार...


आपल्या नावाचे ऐकून सूर

षड्रिपू तर होतात दूर

आशा तृष्णांचा करा नाश

तुझ्या दर्शन ची एक आस

एकच मागणी आहे मला

दर्शन वारंवार

आले करुणेचे अवतार...

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सांज सकाळी एकच काम

सांज सकाळी एकच काम

करू तुझी पूजा घेऊ तुझे नाम...


गुरू नामचा लागला छंद

गुरू प्रेमाचा वाहे सुगंध

विकारांनी घेतला पूर्ण विराम

करू तुझी पूजा घेऊ तुझे नाम...


सुटले हो सारे नातेगोते

कळले मला सारे जग हे खोटे

पावन पावन गुरू तुझे धाम

करू तुझी पूजा घेऊ तुझे नाम...


गुरू माझे विट्ठल गुरू माझे प्राण

विरहात येता बापू असे गान

नाम तुझे घेता जावे माझे प्राण

करू तुझी पूजा घेऊ तुझे नाम...


गुरू दर्शनाने भरूनी ह्रदय

प्रेमात जाहली आसवे उदय

गुरू चरणी आहे माझे चार धाम

करू तुझी पूजा घेऊ तुझे नाम...

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आम्ही साधक नाही हलणार

आम्ही साधक नाही हलणार

हर भक्कम टक्कर देणार

अरे आहे पाठीशी हात माझ्या

गुरूरावाचा गुरूदेवाचा


मोक्ष द्वाराची भेटली वाट

आहे विश्वास होईल पहाट

वाटेत काटे येवो दाट

नाही करणार पिछेहाट

अरे पुढे तर आम्ही जाणार 

अर्ध्या रसत्यात नाही थांबणार

अरे आहे पाठीशी हात माझ्या

गुरूरावाचा गुरूदेवाचा


आहे निंदक मतिमंद

अकलेचे तर द्वारच बंद

कसे सुटणार मायेचे फंद

डोळे असून आहेत अंध

अशा अंधांचे डोळे उघडणार

त्यांचे अकलेचे द्वार खोलणार

अरे आहे पाठीशी हात माझ्या

गुरूरावाचा गुरूदेवाचा


संत शरणी जे पण गेले 

ते खरोखर तरुन गेले

संत निंदक जे पण झाले

अंती काळे तोंडच झाले

श्रीकृष्ण पण संतांना सेवतात

श्रीराम पण संतांना पुजतात

अरे आहे पाठीशी हात माझ्या

गुरूरावाचा गुरूदेवाचा


प्रलोभनांला वावच नाही

कशी ही मस्ती ठावच नाही

पुढे भले होवो काही

याची आम्हा चिंता नाही

आम्ही मस्तीत आमच्या राहणार

आम्ही वेड्याना वेडे वाटणार

अरे आहे पाठीशी हात माझ्या

गुरूरावाचा गुरूदेवाचा

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मी हिंडलो ज्याच्यासाठी

 मी हिंडलो ज्याच्यासाठी

ते आले मझ्यासाठी

गुरू माऊली, माझी गुरू माऊली...


मनाच्या मंदिराच्या आहे गुरू मूर्ती

सकाळ संध्याकाळ करू त्याची आरती

ठाव नाही मला देव पावला की देवी पावली

गुरू माऊली, माझी गुरू माऊली...


तुम्ही नेहमी सोबत माझ्या पण ऐकत नाही मन

राहून राहून करतो हे तुझी आठवण

रडत्या बाळाची हाक ऐकुनी आई धावली

गुरू माऊली, माझी गुरू माऊली...


तुझ्या चरणी प्रीती आहे जीवनाचे आधार

राहू तुझ्यापाशी तू आम्हा कर स्वीकार

भक्तांनी तुझ्या या किती वाट पाहिली

गुरू माऊली, माझी गुरू माऊली...

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खोट्या मायेचे हे रंग खोटे

 खोट्या मायेचे हे रंग खोटे

गुरू भक्तीचा रंग खरा हो

खऱ्या रंगात रंगू चला हो

गुरू रंगात रंगू चला हो

  

गुरू ज्ञानाची पिचकारी मारे

क्षणात हरतात हे पाप सारे

तप्त ह्रदय हे शीतल करा हो

गुरू रंगात रंगू चला हो


गुरू गुरू मनाने गाऊ

गुरू चरणी हे मन लावू

गुरू ज्ञानाचा गंगेश्वरा हो 

गुरू रंगात रंगू चला हो


गुरूवर आहे कॄष्ण मुरारी

आम्ही आहोत त्यांचे पुजारी

पजतात अमृत अधरा हो 

गुरू रंगात रंगू चला हो


नाही मिळणार कोठे हा रंग

होऊन जातील भवभय भंग

चला चला तर त्वरा करा हो

गुरू रंगात रंगू चला हो

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मझ्या गुरूदेवा

 किती दयाळू किती कृपाळू किती उदार तू 

माझ्या गुरुदेवा

किती मायाळू किती प्रेमाळू किती दिलदार तू 

मझ्या गुरूदेवा....


तुझ्या या नामाची महिमा आहे भारी 

ऐकून हे तुझे नाम आलो तुझ्या दारी

दिसते निःसार सर्व संसार 

कर मला भवपार तू 

मझ्या गुरूदेवा...


धरा व नभात तू, कणाकणात तू

मझ्या मनात तू बस एकच नाथ तू

इकडे तिकडे आता चोहिकडे 

दिसतो तूच तू

मझ्या गुरूदेवा...


ज्ञान ध्यान मला काही नाही ठावं

एकच येते मना बस तुलाच पहावं

करनी दर्शन जीवन अर्पण हृदय दर्पण

मझ्या गुरूदेवा....

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दर्शन दे रे दे रे भगवंता

 दर्शन दे रे दे रे भगवंता

सुंदर स्वरूप तेजस्वी काया

लागे जशी मातेची छाया

छाया सदा राहो हे दयावंता

दर्शन दे रे....


प्रेमळ मधुर स्वभाव तुमचा

मिळे सदा आंनद कृपेचा

कृपा सदा रहो हे कृपावंता

दर्शन दे रे....


आले धरावर अवतार घेऊनी

बापू आशाराम बनूनी

भवपार केले हे भगवंता

दर्शन दे रे....


देऊनी दीक्षा गुरू मंत्राची

पूर्ण हो केली इच्छा अंतरीची

अर्पण जीवन तुम्हा माझ्या संता

दर्शन दे रे....


लीला तुमची कुणाला न कळली

जीवनाची दिशा माझी वळली

नामाचे धन दिले हे धनवंता

दर्शन दे रे....

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साँस देना प्रभू इतनी तो कमसे कम

साँस देना प्रभू इतनी तो कमसे कम

तुमसे मिलने से पहले न निकले ये दम....


जो चलाता ये सारे संसार को

मैं भी कर लूँ जरा उनके दीदार तो

क्या पता फिर  मिले न मिले ये जनम

तुमसे मिलने से पहले न निकले ये दम

साँस देना प्रभू....


आज जो कुछ हूँ मैं तेरा उपकार हैं

मेरे जीवन का एक तू ही आधार हैं

तेरा कर दूँ अदा शुक्रिया कम से कम

तुमसे मिलने से पहले न निकले ये दम

साँस देना प्रभू....


जितनी सेवा तेरी करनी थी वो न की

मुँह दिखाने के मैं तुझको काबिल नहीं

फिर भी मुझ्को यकीन तू करेगा रहम

तुमसे मिलने से पहले न निकले ये दम

साँस देना प्रभू....


बस इसी आस में बीते जीवन मेरा

एक दिन तो प्रभू होगा दर्शन तेरा

अब तरसते हैं तुझको देखने को नयन

तुमसे मिलने से पहले न निकले ये दम

साँस देना प्रभू....

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आते न वह परमेश जो गुरुदेव के आकार में

आते न वह परमेश जो गुरूदेव के आकार में

रहता अँधेरा ही अँधेरा मोह के संसार में...


अन्तःकरण तम नाश हित निज वचन किरण प्रकाश के

हैं इस तरह से कौन लगता जीव के उद्धार में

आते न वह परमेश जो....


होते सभी रत भोग में अपना ही स्वार्थ साधते

हैं कौन निष्कामी बना देता लगा उपकार में

आते न वह परमेश जो....


गुरुदेव के चरणारविन्दों की शरण जबतक नहीं

दिन जिंदगी के इसतरह कितने गए बेकार में

आते न वह परमेश जो....

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हे परम् गुरो महान

 हे समर्थ शक्तिमान

हे परम् गुरो महान....

हे निज जन मनरंजन

हे सत्वर भय भंजन

हे समर्थ शक्तिमान...


हे नरहरी मदगंजन

परम् वन्द्य जगत प्राण

कोमल करुणा अवतार

सर्वोपरि सुख आधार

हे समर्थ शक्तिमान...


सबके प्रति अमित प्यार

दुःखहारी दयावान

अतिशय गम्भीर धीर

हे सुंदर परमवीर

तुम तम का ह्रदय चीर

देते हो दिव्य ज्ञान

हे समर्थ शक्तिमान...


हे निर्भय परम बुद्ध

माया और ममता विरुद्ध

हे प्रभु सर्वांग शुद्ध

चाहे यह पथिक ध्यान

हे समर्थ शक्तिमान...

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जो गुरू कृपा करें

 जो गुरु कृपा करें 

कोटी का कर्म कटत पलछिन में ...


प्रथम नमन करूँ गुरु चरणन में

अड़सठ तीरथ उन चरणन में

पूरण होत मनोरथ मन के

जो गुरु कृपा करें ....


गुरू की महिमा हरिसो भायी

वेद पुराणन सबही बखानी 

ब्रह्मा व्यास राचे पलछिन में 

जो गुरु कृपा करें ...

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अब तो यहीं कहीं बापू

 अब तो यहीं कहीं बापू मेरे आस पास हो

आते नजर नहीं पर मेरे साथ-साथ हो...


बहते पवन के झोंके एहसास ये दिलाते

संग संग हो तुम हमारे महसूस ये कराते

ह्रदय में जोगी आप ही करते निवास हो 

आते नजर नहीं पर मेरे साथ-साथ हो

अब तो यहीं कहीं बापू....


हम तो ये मानते हैं आज्ञा में चल रहे हैं

पर हैं सच ये जोगी कृपा पे पल रहे हैं

बच्चों को अपने प्यार का देते सकास हो 

आते नजर नहीं पर मेरे साथ-साथ हो

अब तो यहीं कहीं बापू....


करते हैं प्रेम तुमसे मेरी तुम हो उपासना

यादें अनोखी ऐसी मिट जाए वासना

बनकर के ज्ञान चंद्रमा देते प्रकाश हो

आते नजर नहीं पर मेरे साथ-साथ हो

अब तो यहीं कहीं बापू....

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श्रीकृष्णाष्टकं

 श्रीः॥ नन्दनन्दन-श्रीकृष्णाष्टकम्॥

भजे व्रजैकमण्डनं समस्तपापखण्डनं

स्वभक्तचित्तरञ्जनं सदैव नन्दनन्दनम्।

सुपिच्छगुच्छमस्तकं सुनादवेणुहस्तकं

अनङ्गरङ्गसागरं नमामि कृष्णनागरम् ॥ १ ॥

मनोजगर्वमोचनं विशाललोललोचनं

विधूतगोपशोचनं नमामि पद्मलोचनम्।

करारविन्दभूधरं स्मितावलोकसुन्दरं

महेन्द्रमानदारणं नमामि कृष्णवारणम् ॥ २ ॥

कदम्बसूनकुण्डलं सचारुगण्डमण्डलं

व्रजाङ्गनैकवल्लभं नमामि कृष्णदुर्लभम्।

यशोदया समोदया सगोपया सनन्दया

युतं सुखैकदायकं नमामि गोपनायकम्॥ ३॥

सदैव पादपङ्कजं मदीय मानसे निजं

दधानमुत्तमालकं नमामि नन्दबालकम् ।

समस्तदोषशोषणं समस्तलोकपोषणं

समस्तगोपमानसं नमामि नन्दलालसम्॥ ४॥

भुवो भरावतारकं भवाब्धिकर्णधारकं

यशोमतीकिशोरकं नमामि दुग्धचोरकम् ।

दृगन्तकान्तभङ्गिनं सदासदालसङ्गिनं

दिनेदिने नवं नवं नमामि नन्दसंभवम् ॥ ५ ॥

गुणाकरं सुखाकरं कृपाकरं कृपावरं

सुरद्विषन्निकन्दनं नमामि गोपनन्दनम्।

नवीनगोपनागरं नवीनकेलिलम्पटं

नमामि मेघसुन्दरं तडित्प्रभालसत्पटम् ॥ ६ ॥

समस्तगोपनन्दनं हृदंबुजैकमोदनं

नमामि कुञ्जमध्यगं प्रसन्नभानुशोभनम्।

निकामकामदायकं दृगन्तचारुसायकं

रसालवेणुगायकं नमामि कुञ्जनायकम्॥ ७॥

विदग्धगोपिकामनोमनोज्ञतल्पशायिनं

नमामि कुञ्जकानने प्रवृद्धवह्निपायिनम्।

किशोरकान्तिरञ्जितं दृगञ्जनं सुशोभितं

गजेन्द्रमोक्षकारिणं नमामि श्रीविहारिणम् ॥ ८ ॥

यदा तदा यथा तथा तथैव कृष्णसत्कथा

मया सदैव गीयतां तथा कृपा विधीयताम्।

प्रमाणिकाष्टकद्वयं जपत्यधीत्य यः पुमान्

भवेत्स नन्दनन्दने भवे भवे सुभक्तिमान् ॥ ९ ॥

॥ इति नन्दनन्दन - - श्रीकृष्णाष्टकं समाप्तम् ॥

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मुरलीमनोहर गोविंद गिरधर

 तेरा नाम हैं मुरलीधारी

तू ही ब्रह्मा तू मुरारी

सब दुःख हरते हैं मेरे बाँके बिहारी 

मुरलीमनोहर गोविंद गिरधर

नमामी कॄष्णम नमामी कॄष्णम ...

राजीव लोचन अतीव सुंदर

ये कृष्ण प्रेमी कहे निरंतर

मुरलीमनोहर गोविंद गिरधर

नमामी कॄष्णम नमामी कॄष्णम 


सबके उर में रहते तुम हो 

तुम हो सबके स्वामी

फिर भी तुमको देख न पाते

ये कैसी कुर्बानी

भक्तों का सहारा तू बाँसुरी वाला

सबके दिल को तू मोहनेवाला

तेरी भक्ति में नाचे ता था थैया

मुरलीमनोहर गोविंद गिरधर

नमामी कॄष्णम नमामी कॄष्णम 

राजीव लोचन अतीव सुंदर

ये कृष्ण प्रेमी कहे निरंतर


बंदे दिल के तुम अवतारी

कहीं जन्मे कहीं पले मुरारी

सारी दुनिया तेरी दीवानी

हैं अद्भुत हर लीला तुम्हारी ...

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जहाँ ले चलोगे

 जहाँ ले चलोगे वहीं मैं चलूँगा

जहाँ नाथ रख दोगे वहीं मैं रहूँगा 


ये जीवन समर्पित चरण में तुम्हारे

तुम ही मेरे सर्वस्व तुम ही प्राण प्यारे

तुम्हें छोड़कर नाथ किससे कहूँगा

जहाँ ले चलोगे....


न कोई शिकायत नहीं कोई अर्जी

कर लो करा लो प्रभु जो हैं तेरी मर्जी

सुख दो या गम जो भी खुशी से रहूँगा

जहाँ ले चलोगे....

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गुरुजी दरश बिन जियरा मोरा तरसे

गुरुजी दरश बिन जियरा मोरा तरसे 

गुरुजी मेरे नैनन से जल बरसे....


पतित उद्धारण नाम तुम्हारा

दीजै गुरुजी शरण सहारा 

देखो जरा रजा की नजर से 

गुरुजी दरश बिन....


तुम बिन अब और कौन हैं मेरा 

ब्रम्हानंद भरोसा हैं तेरा 

देखो जरा रजा की नजर से 

गुरुजी दरश बिन....


पतित उद्धारण नाम तुम्हारा

दीजै गुरुजी शरण सहारा 

काया कंपत हैं तोरे डर से 

गुरुजी दरश बिन....


मैं पापन अवगुण की राशी 

कैसे करे प्रभू बिनती दासी 

काया कंपत हैं तोरे डर से 

गुरुजी दरश बिन....


पतित उद्धारण नाम तुम्हारा

दीजै गुरुजी शरण सहारा

देखो जरा रजा की नजर से 

गुरुजी दरश बिन....

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गुरू चरणों में हैं प्रार्थना

 वंदना वंदना गुरू चरणों में मेरी वंदना

आराधना आराधना करते रहे तेरी आराधना

नमः शिवाय नमः शिवाय हर हर भोले नमः शिवाय

वंदना वंदना गुरू चरणों में मेरी वंदना


सब ओर से मुख मोड़ कर, जग के सहारे सब छोड़कर

प्रार्थना प्रार्थना गुरू चरणों में मेरी ये प्रार्थना

नमः शिवाय नमः शिवाय हर हर भोले नमः शिवाय


निर्भय बनें निर्मल बनें,सुख दुःख का करें सामना

याचना याचना गुरू दर पे हैं मेरी याचना

वंदना वंदना गुरू चरणों में मेरी वंदना

नमः शिवाय नमः शिवाय हर हर भोले नमः शिवाय


संतोष की मुझे दौलत मिले, दुनिया से ना कामना

गुरू दर्शन मिले, गुरू वाणी मिले,भक्तों की हैं प्रार्थना

वंदना वंदना गुरू चरणों में मेरी वंदना

याचना याचना गुरू चरणों में हैं ये मेरी याचना

प्रार्थना प्रार्थना गुरू दर पे हैं ये मेरी प्रार्थना

नमः शिवाय नमः शिवाय हर हर भोले नमः शिवाय

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गुरूदेव मेरा जीवन

 गुरुदेव मेरा जीवन तेरे प्यार के लिए हो

जिंदगी हो लेकिन उपकार के लिए हो...


उपकार के लिए हो, तेरे प्यार के लिए हो

उपकार के लिए हो, तेरे ज्ञान के लिए हो

उपकार के लिए हो, तेरे नाम के लिए हो

गुरुदेव मेरा जीवन ...


हरि नाम की लगन हो,भक्ति में मन मगन हो

भक्ति में मन मगन हो

चाहे हमारी नैय्या संसार में फँसी हो

गुरुदेव मेरा जीवन ...


मेरे मन मंदिर में गुरुवर तुम ज्ञान की ज्योत जगा दो

मेरे प्राण भी न्यौछावर गुरुद्वार के लिए हो

भगवान मेरा जीवन ...


तेरा नाम हर पल गाऊँ , तेरी भक्ति में खो जाऊँ

वाणी हो जो मेरी गुणगान के लिए हो

गुरुदेव मेरा जीवन ...

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मैं बालक तेरा प्रभु

मैं बालक तेरा प्रभु जानू योग न ध्यान

गुरुकृपा मिलती रहे दे दो ये वरदान

एक घड़ी आधी घड़ी, आधी में पुनि आध

तुलसी संगत साधु की, हरे कोटि अपराध

संत मिलन को जाइये, तज माया अभिमान

ज्यों ज्यों पग आगे धरे कोटि यज्ञ समान

हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे 

हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे...


कबीरा कुआ एक है, पनिहारी अनेक

न्यारे न्यारे बर्तनों में, पानी एक का एक

साहिब तेरी साहिबी, घट घट रही समाय

जैसे मेहंदी बीच में, लाली रही छुपाय

रहिमन धागा प्रेम का, मत खींचो टूट जाय

टूटन से जोड़े नहीं जुड़े गाँठ पड़ जाय

हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे 

हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे...

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सबकुछ पा लिया गुरू के द्वार से

सबकुछ पा लिया गुरू के द्वार से

सर को झुका लिया गुरू के द्वार पे...


बीच भँवर में मेरी नैय्या न छोड़ना

तन से हो जितनी दूरी , मन से न करना

जिंदगानी हो दाता तेरे ही नाम की

सबकुछ पा लिया...


भक्ति का दान देना , श्रद्धा अपार देना

ये दुनिया भूल भुलैय्या,  मुझको उबार लेना

कि फँस न जाए हम इस मझधार में

सबकुछ पा लिया...


दर तेरा पाया जिसने भाग्य बनाया

उजड़े चमन को तूने फिरसे खिलाया

कि अँखियाँ तरस गई तेरे इंतजार में

तेरे इंतजार में...

ये अँखियाँ तरस गई तेरे इंतजार में...

Aidio


अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे

 अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे

तो कैसे लगेंगे भव से किनारे

अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे

हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे 

हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे


हमारे लिए क्यों देर किए हो

गणिका अजामिल को पल में मिले हो

अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे...


संत न होते तो जग दुःख में जलता

पग पग विकारों में मन ये फिसलता

अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे...


अगर ना होते संत प्यारे

ना धरती होती ना चाँद सितारे

अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे...

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गुरू मेरे पार लगैय्या

 गुरू का नाम हैं आधारा, देता सबको यही सहारा

गुरू मेरे ओ मेरे पार लगैय्या


गुरू की दृष्टि से कलियाँ मन की खिलती

सुख का सूरज उगता, दुःख की दिशा हैं ढलती

वो तो सबकी पार करे हैं नैय्या

गुरू सबकी पार करे हैं नैय्या..नैय्या

गुरू मेरे पार लगैय्या...


गुरू की करूणा से व्याधियाँ सारी कटती

गुरू के द्वारे पे दौलत नाम की लुटती

लगता हैं संग इन्हीं का प्यारा

हमें तो लगता हैं संग इन्हीं का प्यारा..प्यारा

गुरू मेरे पार लगैय्या...


गुरू की रहमत से भ्रांतियाँ सारी मिटती

बेड़ी जन्मों की गुरू द्वारे पे कटती

वो तो सबकी पार करे हैं नैय्या

गुरू सबकी पार करे हैं नैय्या..नैय्या

गुरू मेरे पार लगैय्या...

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पाके ये सुंदर तन

 पाके सुंदर ये तन कर प्रभु का भजन

पाके सुंदर ये तन कर हरि का भजन

जिंदगानी का कोई भरोसा नहीं

जो आए यहाँ फिर वो जाए कहाँ

दुनियाफानी का कोई भरोसा नहीं

पाके सुंदर ये तन कर प्रभु का भजन

जिंदगानी का कोई भरोसा नहीं

ॐ नमः शिवाय,ॐ नमः शिवाय...


खाली हाथों यहाँ से सिकंदर गया

दोनों हाथ खुले थे वो कहकर गया

जो यहीं से लिया वो यहीं पर दिया

लाभ हानी का कोई भरोसा नहीं

पाके सुंदर ये तन...


अरबों वाले गए ,खरबों वाले गए

ओ कितने राजा गए , महाराजा गए

श्रेष्ठ जीवन बना , कर सभी का भला

माटी के तन का कोई भरोसा नहीं

पाके सुंदर ये तन...


बालपन खेल-कूदों में ही खो दिया

जब आई जवानी भोगों में खो दिया

जब आई जवानी भोगों में रस लिया 

क्षणभंगुर ये तन करे इसमें जतन

इन श्वासों का कोई भरोसा नहीं

पाके सुंदर ये तन कर प्रभु का भजन

जिंदगानी का कोई भरोसा नहीं

जो आता यहाँ फिर वो जाता कहाँ

दुनियाफानी का कोई भरोसा नहीं

ॐ नमः शिवाय,ॐ नमः शिवाय...

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दुनिया के इस मेले में

 दुनिया के इस मेले में आना हैं और जाना हैं

मेरा तेरा कुछ भी नहीं हरि नाम साथ में जाना हैं।।


दुनिया एक तमाशा हैं यहाँ पूरी न होती आशा हैं

जोड़-जोड़  सब चले गए मिलती यहाँ निराशा हैं

माल खजाना कुछ भी नहीं गुरू नाम साथ में जाना हैं

गुरू मंत्र साथ में जाना हैं,गुरू ज्ञान साथ में जाना हैं

दुनिया के इस मेले में...


सूरज जो उदय हुआ साँझ को वो ढल जाता हैं

खिला जो फूल बगिया में एक दिन वो मुरझाता हैं

बसंत बहार कुछ भी नहीं आना हैं सो जाना हैं

दुनिया के इस मेले में...


खिला-पिला के देह बढ़ाई वो भी अग्नि जलाना हैं 

कर सत्संग अभी से प्यारे नहीं तो फिर पछताना हैं

पड़ा रहेगा माल खजाना ,छोड़ त्रिया-सुत जाना हैं

दुनिया के इस मेले में आना हैं और जाना हैं

सोना चाँदी कुछ भी नहीं हरि नाम साथ में जाना हैं

मेरा तेरा कुछ भी नहीं गुरू ज्ञान साथ में जाना हैं

गुरू मंत्र साथ में जाना हैं,गुरू ज्ञान साथ में जाना हैं

प्रभु नाम साथ में जाना हैं, तेरा कर्म साथ में जाना हैं

माल खजाना कुछ भी नहीं गुरू नाम साथ में जाना हैं

हरि ॐ, ह्री ॐ.....

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हिंदुत्व की शान हैं बापू

 संस्कृति का मान बचाने जिसने जगाई हर दिल में आग

जिसका जीवन जग को सिखाता क्या हैं धर्म क्या हैं त्याग

धर्म ध्वजा फहराई जगत में जिसने विवेकानंदजी के बाद

 खुद को संस्कृति पे वारा हिंदुत्व की दिलाई हैं याद

ये गाथा हैं उस योगी की जिसका सबकुछ जगहित अर्पण

जो जग को सत मार्ग दिखाता जिसकी वाणी वेदांत का दर्पण


राष्ट्र का सम्मान हैं बापू संस्कृति के प्राण हैं बापू

हम सबका अभिमान हैं बापू मातृभूमि की शान हैं बापू

जान हैं बापू मान हैं बापू शान हैं बापू आन हैं बापू


दशकों से दिन रैन तपे खुद मातृभूमि को बचाते रहे

हर मानव के भीतर झाँका सोये हिंदू को जगाते रहे

बापू का संकल्प हैं भारत विश्वगुरु के पद पे आएगा

शांति प्रेम सौहार्द्र सहिष्णुता ये गीत सारा जग गायेगा

इनकी नाई अडिग सदा जो संस्कृति का हर युध्द लड़े

उनके सब उपकार भुला के धर्म द्रोही विरुद्ध ख़ड़े

राष्ट्र का सम्मान हैं बापू....


खत्म करो अब दौर अन्याय का सत्य खुद भी चीख खड़ा

क्यों आँखों पर पट्टी बाँधे बुद्धि पर क्यों पर्दा पड़ा?

जो जीते हैं सबकी खातिर क्यों उनकी परवाह ही नहीं

झूठे आरोपों में फँसाया क्या सत्कर्मों का सिला यही?

मानव तो हैं धरती पर लेकिन मानवता धूल मिली 

क्यों वयोवृद्ध संत जेल में ,क्यों न्याय की नींव हिली?

राष्ट्र का सम्मान हैं बापू...


इतिहास का काला युग हैं जहाँ अन्याय ने गगन छुआ

पीड़ा से कहरा रहे दिल फिरभी ना कोई न्याय हुआ

बापू पे अत्याचार हुआ हर दिल से ये चित्कार उठी

खून के आँसू रोती हैं धरती प्रकृति की पुकार उठी

युगों युगों तक याद रहेगा दौर ये अत्याचार का

बापू का तो डंका ही बजेगा,भेद खुलेगा कुप्रचार का

राष्ट्र का सम्मान हैं बापू...

आया शरण ठोकरें जग की खा के

 आया शरण ठोकरें जग की खा के

हटूँगा प्रभू तेरी दया दृष्टि पाके

आया शरण ठोकरें जग की खा के...


पहले मगन हो सुखी नींद सोया

सबकुछ पाने का सपना संजोया

मिला तो वही जो लाया लिखा के

आया शरण...


मान ये काया का हैं बस छलावा

रावण सा मानी भी बचने न पाया

रखूँगा कहाँ तक मैं खुद को बचा के

आया शरण...


कर्मों की लीला बड़ी है निराली

हरिश्चंद्र मरघट की करे रखवाली

समझ में ये आया सबकुछ लुटाके

आया शरण...


न हैं चाह कोई न हैं कोई इच्छा

अपनी दया की मुझे दे दो भिक्षा

जिसे सबने छोड़ा उसे तू ही राखे


आया शरण ठोकरें जग की खा के

हटूँगा प्रभू तेरी दया दृष्टि पाके

आया शरण ठोकरें जग की खा के...

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साधकों ने हैं बाँधी प्रेम की डोरी

 साधकों ने हैं बाँधी प्रेम की डोरी

 सदगुरू आएँगे

हम सबकी लगी हैं प्रीत की डोरी

 सदगुरू आएँगे

अपना बनाते दर पे बुलाते

गिरते हुओं को उठाते हैं

मेरे सदगुरू हैं इतने महान 

जो रखते हैं सबका ध्यान


गहरा पावन दुर्लभ सत्संग 

सबको सहज में सुनाते हैं गुरूवर

नाम की दौलत मोक्ष की कुँजी

हम सबको दे देते हैं गुरूवर

सबसे निराले सबको संभाले

हम सबके रखवाले हैं

मेरे सदगुरू हैं इतने महान 

जो रखते हैं सबका ध्यान


धन दौलत और मान बढाई

इनका मोह छुडाते हैं गुरूवर

भीतर का सुख आनंद शांति

अंतर घट में दिलाते हैं गुरुवर

तन भी हैं तेरा मन भी हैं तेरा

तुम ही केवल हमारे हो

मेरे सदगुरू हैं इतने महान 

जो रखते हैं सबका ध्यान


द्वार पे इनके जो भी आता

खाली नहीं लौटाते हैं गुरूवर

झोली भरते दुःख भी  हरते 

दाता सभीके कहाते हैं गुरूवर

विघ्न विनाशी सब ऊर वासी

तुम ही जग से न्यारे हो

मेरे सदगुरू हैं इतने महान 

जो रखते हैं सबका ध्यान

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माझी गुरू माऊली

विट्ठल विट्ठल विट्ठला विट्ठल विट्ठल विट्ठला...

मी हिंडलो ज्याच्यासाठी ते आले मझ्यासाठी

सोबत माझ्या अशी राहते जशी हो सावली

गुरु माऊली माझी गुरु माऊली....

विट्ठल विट्ठल विट्ठला विट्ठल विट्ठल विट्ठला...


तुम्ही नेहमी सोबत माझ्या पण ऐकत नाही मन

अहो राहून राहून करतो तुझी आठवण

रडक्या बाळाची हाक ऐकुनी आई धावली

गुरु माऊली माझी गुरु माऊली....

विट्ठल विट्ठल विट्ठला विट्ठल विट्ठल विट्ठला...


तुझ्या चरणी प्रीती आहे जीवनाचे आधार

राहू तुझ्यापाशी तू आम्हा कर स्वीकार

भक्तांनी तुझ्या या किती वाट पहिली

गुरु माऊली माझी गुरु माऊली....

विट्ठल विट्ठल विट्ठला विट्ठल विट्ठल विट्ठला...


मनाच्या मंदिरात आहे गुरुमूर्ती

सकाळ सन्ध्याकाळ करू त्याची आरती

ठाव नाही मला देव पावला की देवी पावली

गुरु माऊली माझी गुरु माऊली....

विट्ठल विट्ठल विट्ठला विट्ठल विट्ठल विट्ठला...

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जय गुरू स्तुति

 जय गुरू आद्य निरंजन ईश्वर

जय गुरू पारब्रह्म परमेश्वर

जय गुरू अजर अखंड अविनाशी

जय गुरू राम सकल उरवासी (२)


जय गुरू सर्वेश्वर सचराचर

जय गुरूदेव दया करुणाकर

जय गुरूदेव साक्षी स्वतंत्र

जय गुरू व्यापक भीतर बाहर

जय गुरू राम जय गुरू राम ....


जय गुरू तत्वमसि पद तुरिया

जय गुरू ईश एक रस भरिया

जय गुरू शब्दातीत शुद्ध चेतन

जय गुरू पूर्णानंद पुरुषोत्तम

जय गुरू ज्ञान ध्यान विज्ञाना

जय गुरू भक्ति मुक्ति के दाता

जय गुरू जप तप वेद पुराणा

जय गुरू ब्रह्म रूप भगवाना


जय गुरू आद्य निरंजन ईश्वर

जय गुरू पारब्रह्म परमेश्वर

जय गुरूदेव जय गुरूदेव (२)

जय गुरू राम जय गुरू राम (२)


जय गुरू चतुर्दिशा अवतारा

जय गुरू मंत्र अधम उध्दारा

जय गुरू सकल सृष्टि के कर्ता

जय गुरू अष्टयोग के धर्ता

जय गुरू सकल ध्रुम सूर सरिता

जय गुरू पावन परम पुनीता

जय गुरू तीरथ ज्ञान प्रयागा

जय गुरू संयम व्रत वैरागा

जय गुरू आद्य निरंजन ईश्वर

जय गुरू पारब्रह्म परमेश्वर

जय गुरू राम जय गुरू राम (२)


श्रीमुख देव किए गुर जाई

जीवनमुक्त भये निधी पाई

पार्वती गुरू जबहिं चीन्हा

अमर आतम पदही दीन्हा

रामचंद्र पूरण ब्रह्म सोई

गुरू वशिष्ठ को इष्ट कराई

कृष्ण नाम सहजे अघ हरना

सो सेवे सद्गुरु के चरणा

जय गुरू राम जय गुरू राम ....


वेद बखाने गुरू की महिमा

पार न पावे हरिहर ब्रह्मा

श्रीगुरू सुजस करूँ निततारा

होये रसना जो अनंत अपारा

जैसे रवि बिन रात न जाई

गुरू बिन सुतन तरणहरी नाही 

सतगुरुचरण प्रीत नही लागी

सो प्राणी अति मंद भागी 

जय गुरू राम जय गुरू राम ....


जय गुरू आद्य निरंजन ईश्वर

जय गुरू पारब्रह्म परमेश्वर

जय गुरू अजर अखंड अविनाशी

जय गुरू राम सकल उरवासी (२)


जय गुरू सर्वेश्वर सचराचर

जय गुरूदेव दया करुणाकर

जय गुरूदेव साक्षी स्वतंत्र

जय गुरू व्यापक भीतर बाहर

जय गुरूदेव जय गुरूदेव 

जय गुरू राम जय गुरू राम ....


जय गुरू तत्वमसि पद तुरिया

जय गुरू ईश एक रस भरिया

जय गुरू शब्दातीत शुद्ध चेतन

जय गुरू पूर्णानंद पुरुषोत्तम

जय गुरू ज्ञान ध्यान विज्ञाना

जय गुरू भक्ति मुक्ति के दाता

जय गुरू जप तप वेद पुराणा

जय गुरू ब्रह्म रूप भगवाना


जय गुरू आद्य निरंजन ईश्वर

जय गुरू पारब्रह्म परमेश्वर

जय गुरूदेव जय गुरूदेव (२)

जय गुरू राम जय गुरू राम (२)

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मेरे गुरू का द्वार

 मेरी किस्मत में लिख दे,एक तू लिख़ने वाले

मेरा तन मन धन अर्पण,करूँ गुरू के हवाले

हुआ जो तू गुरू का,फिर क्यों चिंता पा ले

सुने फर्याद सबकी,साँई मोटेरा वाले

कोई जाए मथुरा कोई काशी कोई जाए हरिद्वार

मुझे प्यारा हैं नाम गुरू का और गुरू का द्वार

मेरे गुरू का द्वार, मेरे गुरू का द्वार...


गुरू के नाम से मिटती हैं जीवन की सारी समस्या

गुरू के ध्यान से बढ़कर हैं न कोई और तपस्या

गुरुचरणों की धूल ही मेरे माथे का श्रृंगार

मुझे प्यारा हैं नाम गुरू का और गुरू का द्वार

कोई जाए मथुरा कोई काशी कोई जाए हरिद्वार

मुझे प्यारा हैं नाम गुरू का और गुरू का द्वार

मेरे गुरू का द्वार, मेरे गुरू का द्वार...


किसीको नाम की चाहत,कोई हैं चाम का दीवाना

किसीको धन का लालच ,कोई इन सबसे बेगाना

किस्मत वालों को मिलता गुरुनाम दान उपहार

मुझे प्यारा हैं नाम गुरू का और गुरू का द्वार

कोई जाए मथुरा कोई काशी कोई जाए हरिद्वार

मुझे प्यारा हैं नाम गुरू का और गुरू का द्वार

मेरे गुरू का द्वार, मेरे गुरू का द्वार...


जिसने तुझको सताया तू मंगल उसका भी चाहे

ये कैसा हैं बाबा जो हरदम मुस्कुराए

एक झलक जोगी की देती बिगड़ा भाग्य सँवार

मुझे प्यारा हैं नाम गुरू का और गुरू का द्वार

कोई जाए मथुरा कोई काशी कोई जाए हरिद्वार

मुझे प्यारा हैं नाम गुरू का और गुरू का द्वार

मेरे गुरू का द्वार, मेरे गुरू का द्वार...


जग की सेवा में जिसने अपना जीवन ही लुटाया

इस दुनिया ने उसपर ही झूठा इल्जाम लगाया

क्यों मिलता वनवास राम को हर युग में हर बार 

मुझे प्यारा हैं नाम गुरू का और गुरू का द्वार

कोई जाए मथुरा कोई काशी कोई जाए हरिद्वार

मुझे प्यारा हैं नाम गुरू का और गुरू का द्वार

मेरे गुरू का द्वार, मेरे गुरू का द्वार...


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भला हो तेरा नींद से हमें जगाने वाले

 मातृ-पितृ पूजन की राह दिखाने वाले

भला हो तेरा नींद से हमें जगाने वाले


कलियुग में सतयुग को मोड़ के लानेवाले

भला हो तेरा नींद से हमें जगानेवाले


संयम शिक्षा का ज्ञान देके चमकाने वाले

रोग-शोक-भय मुक्त समाज बनाने वाले

घर-घर पावन प्रेम की सरिता बहाने वाले

भला हो तेरा सच्ची राह दिखाने वाले

जन-जन के जीवन में प्रभुरस लाने वाले

मातृ-पितृ पूजन की राह दिखाने वाले

भला हो तेरा ,भला हो तेरा 

भला हो तेरा सच्ची राह दिखाने वाले


टूटे बिखरे परिवारों को मिलाने वाले

करके अथक प्रयास धरा महकाने वाले

मात-पिता का खोया मान दिलाने वाले

भला हो तेरा सत्य का मार्ग बताने वाले

पूजन से बच्चों का ह्रदय खिलाने वाले

मातृ-पितृ पूजन की राह दिखाने वाले

भला हो तेरा ,भला हो तेरा 

भला हो तेरा ज्ञान की गंगा बहाने वाले

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गुरु की सेवा साधु जाने

गुरु की सेवा साधु जाने, गुरुसेवा कहाँ मूढ पिछानै।


गुरुसेवा सबहुन पर भारी, समझ करो सोई नरनारी।।


गुरुसेवा सों विघ्न विनाशे, दुर्मति भाजै पातक नाशै।


गुरुसेवा चौरासी छूटै, आवागमन का डोरा टूटै।।


गुरुसेवा यम दंड न लागै, ममता मरै भक्ति में जागे।


गुरुसेवा सूं प्रेम प्रकाशे, उनमत होय मिटै जग आशै।।


गुरुसेवा परमातम दरशै, त्रैगुण तजि चौथा पद परशै।


श्री शुकदेव बतायो भेदा, चरनदास कर गुरु की सेवा।।

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जिन्ह सद्गुरु मिल जाए

 जिन्ह सद्गुरु मिल जाए

तिन भगवान मिलो न मिलो


 जिन्ह सद्गुरु की सेवा कियो

तिन तीरथ व्रत कियो न कियो


जिन्ह सद्गुरु को प्यार कियो

तिन प्रभु को प्यार कियो न कियो


जिन्ह आत्मदेव को जान लियो

तिन वेदों को जान लियो न लियो


जिन्ह आत्मज्ञान में स्नान कियो

तिन गंगा में स्नान कियो न कियो


जिन्ह खुद ही खुद को जान लियो

तिन खुदा को जान लियो न लियो


जिन्ह सद्गुरु मिल जाए

तिन भगवान मिलो न मिलो

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जय गणेश देवा आरती

 जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा


जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा

बुद्धि के देवता विघ्नों के हर्ता


संयम तुम्हारा देवा सबसे हैं ऊँचा

धीर हो गंभीर देवा तुमसा न दूजा

मातृ-पितृ भक्ति देना गुरू प्रीति देना

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा


जय गुरुदेवा जय गुरुदेवा 

ब्रम्हा और विष्णु तुम्ही महादेवा


शक्ति भक्ति मुक्ति गुरू ज्ञान के प्रदाता

सद्गुण निखारे गुरू आनंद के दाता

दोषों को मिटाना गुरू-श्रद्धा बढाना

जय गुरुदेवा जय गुरुदेवा

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा


योग ध्यान नित्य करें स्वस्थ रहे काया

हरि ॐ जपते रहे दिव्य बने आभा

ब्रम्हज्ञान हमको मिले और गुरूसेवा

जय गुरूदेवा जय गुरूदेवा

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा


संस्कृति की रक्षा करें ऐसा वर देना

संतो की महिमा हमें सबको बताना

विश्व गुरू भारत हो बापू ने ठाना

आएगा बापू के बच्चों का जमाना

जय गुरूदेवा जय गुरूदेवा

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा

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तेरे तन मन धन की तपस्या

 ऐ मेरे सद्गुरु प्यारे

तेरा जन्म है कैसा रूहानी

तेरे तन मन धन की तपस्या

तेरे जीवन की कुर्बानी


जब हम बैठे थे सुखों में

तू सुखा रहा था तन को

जब हम बैठे थे घरों में

तू भुला रहा था मन को

जग में रहकर सब भूला

न भोजन चाहा न पानी

तेरे तन मन धन की तपस्या

तेरे जीवन की कुर्बानी


गुरू दर पर सेवा थे करते

हाथों से खून था बहता

पर गुरू सेवा में तत्पर

इस देह का भान था भुलता

संकल्प यही बस दृढ़ था 

गुरू आज्ञा प्रथम निभानी

तेरे तन मन धन की तपस्या

तेरे जीवन की कुर्बानी


गुरूदेव के प्रेम की खातिर

हर दिन सहते थे तितिक्षा

दिन रैन वो ज्वाला से थे

हर पल थी अग्नि परीक्षा

हर मूल्य पे लक्ष्य को पाना

ये बात थी मन में ठानी

तेरे तन मन धन की तपस्या

तेरे जीवन की कुर्बानी


नगरसेठ कहलाने वाला 

गुरुदर पे मरता मिटता

तेरी मर्जी पूरण हो

ये ध्यान हृदय में धरता

बस निराकार ने थामा

न होने दी कुछ हानी

तेरे तन मन धन की तपस्या

तेरे जीवन की कुर्बानी


वो कैसी रातें होंगी

प्रभुप्रेम में तू जब रोया

दुनिया थी नींद में सोती

तू अपने आप में खोया

अति दिव्य हैं और अलौकिक

तेरी महिमा न जाए बखानी

तेरे तन मन धन की तपस्या

तेरे जीवन की कुर्बानी


माँ का आँचल बिसराया

पत्नी का प्रेम ठुकराया

किन किन राहों पे चलके

इस ब्रह्मज्ञान को पाया

फिर आत्म में ही रहा तू

चालीस दिन की वो निशानी

तेरे तन मन धन की तपस्या

तेरे जीवन की कुर्बानी


था आसोज सुद दो दिन

और संवत बीस इक्कीस

मध्यान्ह ढाई बजे 

मिल गया ईश से ईश

पानी में मिल गया पानी

फिर दोनों हो गए फानी

तेरे तन मन धन की तपस्या

तेरे जीवन की कुर्बानी


ये रोशनी कैसी हैं फूटी

जग गई हैं सारी धरती

अंबर भी प्रकाश से फूटा

नस-नस में ज्योति भर दी

सब जड़ और चेतन जागा

लगे संत की बात फैलानी

तेरे तन मन धन की तपस्या

तेरे जीवन की कुर्बानी


गुरू सत्य का रस पिलाया

तन मन हृदय में समाया

हर नस-नस में पहुँचा वो

हर रूह को ॐ जपाया

वो रस मे ऐ मेरे सद्गुरु प्यारे

तेरा जन्म है कैसा रूहानी

तेरे तन मन धन की तपस्या

तेरे जीवन की कुर्बानी


हर तरफ हैं आत्म दर्शन

हर तरफ हैं नूर नूरानी

हर तरफ हैं तेरा उजाला

हर तरफ हैं तू ब्रह्मज्ञानी

सदियों तक जो गूँजेगी

हैं आज की तेरी कहानी

तेरे तन मन धन की तपस्या

तेरे जीवन की कुर्बानी


दरिद्र नारायण की सेवा करते

हैं अपना आपा लुटाया

गली -गली गाँव में जाकर

सबको ही सुख पहुँचाया

हैं विश्व शिखर पर चमका

भारत का रत्न नूरानी

तेरे तन मन धन की तपस्या

तेरे जीवन की कुर्बानी


हम ना भूलें उस तप को

कैसे तूने गुरू को रिझाया

किन-किन राहों पे चलके

इस ब्रह्मज्ञान को पाया

जन्मों की तपन मिटाए

ये ब्रह्म को छूती वाणी

तेरे तन मन धन की तपस्या

तेरे जीवन की कुर्बानी


इन कठिन पलों में भी तू

किस शान से हैं मुस्काया

जग को सत राह दिखाई

कष्टों में तन को तपाया

रो-रो इतिहास कहेगा

दी तूने जो कुर्बानी

तेरे तन मन धन की तपस्या

तेरे जीवन की कुर्बानी


सारी सृष्टि को उखाड़े

जब गुरू शेर हैं दहाड़े

इतना कुछ होने पर भी

ना जाने मौन क्यों धारे

दुनिया ने इतना सताया

फिर भी मुस्काए ज्ञानी

तेरे तन मन धन की तपस्या

तेरे जीवन की कुर्बानी


संस्कृति के रक्षक को ही

दुनिया ने जेल पहुँचाया

झूठे इल्जाम लगाकर

देखो संत को कैसे सताया

सूरज को कौन ढँकेगा

वो स्वयं प्रकाश का स्वामी

तेरे तन मन धन की तपस्या

तेरे जीवन की कुर्बानी


ऐ मेरे सद्गुरु प्यारे

तू दे रहा कैसा इशारा

जैसा तू ब्रह्म में स्थित हैं

वैसा हो बोध हमारा...

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ज्ञानी ब्रह्मज्ञानी

 ज्ञानी ब्रह्मज्ञानी 

परम गुरु और परमपिता परम दयालु स्वामी


सन १९४१ में आसूमल अवतारे

महँगीबा और थाऊमल के प्यारे बाल दुलारे

शुरू हो गई इस कलियुग में नए युग की कहानी

ज्ञानी ब्रह्मज्ञानी ...


बाल्यकाल से ही बापू में अद्भुत तेज समाया था

प्राणीमात्र के कारण हेतू योगी पुरूष एक आया था

स्थापित होने वाली थी ये संतों की भविष्यवाणी

ज्ञानी ब्रह्मज्ञानी ...


मोहमाया के सभी आवरण बापू ने उतारे हैं

सदैव सम और प्रसन्न रहना बापू के ही नारे हैं

साधना की अनुपम मस्ती बापू ने पहचानी

ज्ञानी ब्रह्मज्ञानी ...


परम पूज्य लीलाशाहजी के श्रीचरणों की सेवा में

आत्मसाक्षात्कार हो गया नाम आ गया देवों में

भारत विश्वगुरु बन जाए बापू ने ये ठानी

ज्ञानी ब्रह्मज्ञानी ...


साबरमती के तट बापू ने भक्तों से श्रमदान लिया

संत श्री आशारामजी आश्रम आगे चल के नाम हुआ

बापू के यश की गाथा को कैसे कहे जुबानी

ज्ञानी ब्रह्मज्ञानी ...

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सबकुछ पा लिया गुरू के द्वार से

 सबकुछ पा लिया गुरू के द्वार से

सर को झुका लिया गुरू के द्वार पे



बीच भँवर में मेरी नैय्या न छोड़ना

तन से हो जितनी दूरी मन से न करना

जिंदगानी हो दाता तेरे ही नाम की

सबकुछ पा लिया तेरे दीदार से

सबकुछ पा लिया गुरू के द्वार से...


भक्ति का दान देना श्रद्धा अपार देना

ये दुनिया भूल भुलैय्या मुझको उबार लेना

फँस न जाए हम इस मजधार में

सबकुछ पा लिया गुरू के द्वार से...


दर तेरा पाया जिसने भाग्य बनाया

उजड़े चमन को तूने फिर से खिलाया

ये अँखियाँ तरस गई तेरे इंतजार में

सबकुछ पा लिया गुरू के द्वार से

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ऐ जीवन प्राण हमारे

 ऐ जीवन प्राण हमारे 

बापू हम सबके प्यारे

हम सबके पास अब आओ

हर साधक तुम्हें पुकारें


हम रहते आस लगाए

बापू जल्दी आएँगे

अपने सद्गुरु का दर्शन

अति निकट से हम पाएँगे

पर समय बीतता जाता

हम किसके रहे सहारे

हम सबके पास अब आओ

हर साधक तुम्हें पुकारें

ऐ जीवन प्राण हमारे ...


हम सब बालक हैं तेरे

तुम हम सबके स्वामी हो

हम सबकी वेदना समझो

तुम तो अन्तर्यामी हो

निरुपाय यहाँ हैं सारे

अब आप ही संकट तारे

हम सबके पास अब आओ

हर साधक तुम्हें पुकारें

ऐ जीवन प्राण हमारे ...


हैं निजानंद में रमते

शाश्वत चैतन्य को पाया

निर्लेप आप हैं सबसे

हैं अद्भुत आपकी माया

लीला विस्तार समेटो

हैं परेशान हम सारे

हम सबके पास अब आओ

हर साधक तुम्हें पुकारें

ऐ जीवन प्राण हमारे ...


सूझता मार्ग ना कोई

क्या करें समझ न आता

अब जल्दी दर्शन दे दो

मन सबका तुम्हें बुलाता

आँसुओं की धारा से हम

सद्गुरु के चरण पखारे

हम सबके पास अब आओ

हर साधक तुम्हें पुकारें

ऐ जीवन प्राण हमारे ...

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विनती सुनिए नाथ हमारी

 विनती सुनिए नाथ हमारी 

ह्रदयेश्वर हरि हृदय विहारी

मोर मुकुट पीताम्बरधारी

विनती सुनिए नाथ हमारी ...


जनम जनम की लगी लगन है

साक्षी तारों भरा गगन हैं

गिन गिन श्वास श्वास कहती हैं

विनती सुनिए नाथ हमारी ...


सतत प्रतीक्षा अपलक लोचन

हैं भव बाधा विपत्ति विमोचन

स्वागत का अधिकार दीजिए

शरणागत हैं नयन पुजारी

विनती सुनिए नाथ हमारी ...


और कहूँ क्या अंतर्यामी

तन मन धन प्राणों के स्वामी

करुणा कर आकर ये कहिए

स्वीकारी बिनती स्वीकारी

विनती सुनिए नाथ हमारी ...

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तू बंदे क्या जाने

 तू बंदे क्या जाने बापू के चमत्कारों को

बापू के चमत्कारों को गुरुवर चमत्कारों को


वो हरे करे सुखों को मेवा बाँटे भूखों को

वो भक्ति का रंग लगाएँ ब्रह्मज्ञान का पान कराए

उस भक्ति को,उस शक्ति को कोई सुलझी आँख पहचाने

तू बंदे क्या जाने...



गर जीवन सागर तरना तूफानों से क्या डरना

गुरुवर की रजा में जीना गुरुवर की रजा में मरना

तू सुमिरन कर और जीवन भर माने जा उसके कहने

तू  बंदे क्या जाने...


ये सुख दुःख ऐसे गहने जो हर एक के संग रहने

ये दर्द जुदाईयोँ वाले सह ले जो पड़ गए सहने

बदलेगा समा तू जप ले नाम आएँगे खुद से मिलाने 

तू बंदे क्या जाने...


तू जो कर्म कमावै समझे कोई देख न पावै

बापू के नैन हजारों उसे सबकुछ नजर हैं आवै

जो गुरू कहे वो सेवा करें वो भक्त स्वरूप में जागे

बापू के चमत्कारों को

तू बंदे क्या जाने...

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गुरुदेव तुमको पाकर

 गुरुदेव तुमको पाकर धन्य धन्य हुआ ये जीवन

तुम्हरी कृपा को पाकर मंगल हुआ ये जीवन


बड़े भाग हमने पाए अवतरण हुआ जो जग में

अंधकारमय था जग यह कही आशा न थी दिल में

कोटि पुकार सुनकर बापू पधारे जग में

गुरुदेव तुमको पाकर...


कलियुग के विकट समय में दुष्कर हुआ था जीवन

छाई हुई उदासी हर ओर खड़ी उलझन

नई आशा की किरण बन अवतरण लिया धरा पर

गुरुदेव तुमको पाकर...


करुणा के तुम हो सागर भर भर पिलाते गागर

कोई कैसा भी पतित हो उसे थाम लेते गुरुवर

कईं बार जो पधारे दिया भक्ति ज्ञान गुरुवर

गुरुदेव तुमको पाकर...

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चंदन का ‌पलना रेशम की डोर

 चंदन का ‌पलना रेशम की डोर

झूले रे झूले मेरा महंगिबा किशोर ...

नन्हे नन्हे पग हैं छोटे छोटे हाथ
माथे पे टीका महंगिबा का साथ
बडा नटखट हैं बडा चितचोर
झूले रे झूले मेरा महंगिबा किशोर ...

शुभ दिन आया खुशियाँ लाया
सब भक्तों ने मंगल बनाया
हर तरफ हैं खुशियाँ हर तरफ हैं शोर
झूले रे झूले मेरा महंगिबा किशोर ...

महंगिबा के घर हैं आनंद छाया
थाऊमल के द्वारे लाल हैं जाया
बधाई हो बधाई हो लख लख बधाई हो
बापूजी के जन्म की लख लख बधाई हो
बधाई हो बधाई हो लख लख बधाई हो ...
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मेरे बापू

योगी तेरा ही ध्यान धरे ,करे भक्त पूजा उपवास
निराकार परब्रह्म वो बापू बनकर करे विलास
सपना जगत हैं एक आभास , आश्रम हो या कारावास
जब जब बापू तुम्हे पुकारा तुमको पाया अपने पास
मेरे बापू मेरे बापू मेरे बापू प्यारे बापू ...



दर्शन को तेरे ये तरसे, दो नैना दिन रात हैं बरसे
तूने ही सेवा की हमारी समझ गया अब जागा भ्रम से
मैं बालक तू मेरा पिता , तेरे वचन ही शास्र गीता
वही समय बस सफल हुआ जो तेरी यादों में हैं बीता
मेरे बापू मेरे बापू मेरे बापू प्यारे बापू ...



जानता हूँ ये राज की बात तू हैं मेरे हरदम साथ
क्यों करूँ मैं चिंता कल की जब हैं सर पर तेरा हाथ
सारे देव और तीरथ धाम करते बापू तुम्हें प्रणाम
जिसमें तेरी रजा न हो हम करें कभी न ऐसे काम
मेरे बापू मेरे बापू मेरे बापू प्यारे बापू ...



तपते दिल को मिले सावन, गुरु द्वार हैं ऐसा अति पावन
जी चाहे देखा ही करूँ, गुरू मूरत इतनी मनभावन
गाऊँ क्या तेरा गुणगान , बापू तू मेरा अभिमान
तेरे चरणों में ही रहना जबतक मेरे तन में प्राण
मेरे बापू मेरे बापू मेरे बापू प्यारे बापू ...



योगी तेरा ही ध्यान धरे ,करे भक्त पूजा उपवास
निराकार परब्रह्म वो बापू बनकर करे विलास
सपना जगत हैं एक आभास , आश्रम हो या कारावास
जब जब बापू तुम्हे पुकारा तुमको पाया अपने पास
मेरे बापू मेरे बापू मेरे बापू प्यारे बापू ...

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भरोसा मेरा नहीं हारेगा

गुरू मेरे ,गुरू मेरे, दाता मेरे, साँई मेरे

भरोसा मेरा नहीं हारेगा हैं भरोसा मुझे
गुरू मेरे, गुरू मेरे...

अपनों का बदल जाना दुनिया का हैं दस्तूर
अपनों को निभाने में मेरा गुरू बडा मशहूर
गुरू मेरे, गुरू मेरे, दाता मेरे, साँई मेरे
मेरा भी जीवन तू सँवारेगा हैं भरोसा मुझे
गुरू मेरे, गुरू मेरे...

इतिहास गवाह हैं ये जब जिसने पुकारा हैं
जीता हैं भरोसा ही जब गुरू सहारा हैं
गुरू मेरे, गुरू मेरे, दाता मेरे, साँई मेरे
मेरा भी जीवन तू सँवारेगा हैं भरोसा मुझे
मेरा भी गुलशन तू निखारेगा हैं भरोसा मुझे
गुरू मेरे, गुरू मेरे...

जो कुछ था पास मेरे सब अर्पण कर डाला
अब हाथ उठा करके समर्पण कर डाला
गुरू मेरे, गुरू मेरे, दाता मेरे, साँई मेरे
मेरा भी जीवन तू सँवारेगा हैं भरोसा मुझे
गुरू मेरे, गुरू मेरे...

अपनों का बदल जाना दुनिया का हैं दस्तूर
अपनों को निभाने में मेरा गुरू बडा मशहूर
मुझे भी अपना तू बनाएगा हैं भरोसा मुझे
गुरू मेरे ,गुरू मेरे ,दाता मेरे ,साँई मेरे
भरोसा मेरा नहीं हारेगा हैं भरोसा मुझे
मेरा भी जीवन तू सँवारेगा हैं भरोसा मुझे
गुरू मेरे, गुरू मेरे...