आते न वह परमेश जो गुरूदेव के आकार में
रहता अँधेरा ही अँधेरा मोह के संसार में...
अन्तःकरण तम नाश हित निज वचन किरण प्रकाश के
हैं इस तरह से कौन लगता जीव के उद्धार में
आते न वह परमेश जो....
होते सभी रत भोग में अपना ही स्वार्थ साधते
हैं कौन निष्कामी बना देता लगा उपकार में
आते न वह परमेश जो....
गुरुदेव के चरणारविन्दों की शरण जबतक नहीं
दिन जिंदगी के इसतरह कितने गए बेकार में
आते न वह परमेश जो....
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