संस्कृति का मान बचाने जिसने जगाई हर दिल में आग
जिसका जीवन जग को सिखाता क्या हैं धर्म क्या हैं त्याग
धर्म ध्वजा फहराई जगत में जिसने विवेकानंदजी के बाद
खुद को संस्कृति पे वारा हिंदुत्व की दिलाई हैं याद
ये गाथा हैं उस योगी की जिसका सबकुछ जगहित अर्पण
जो जग को सत मार्ग दिखाता जिसकी वाणी वेदांत का दर्पण
राष्ट्र का सम्मान हैं बापू संस्कृति के प्राण हैं बापू
हम सबका अभिमान हैं बापू मातृभूमि की शान हैं बापू
जान हैं बापू मान हैं बापू शान हैं बापू आन हैं बापू
दशकों से दिन रैन तपे खुद मातृभूमि को बचाते रहे
हर मानव के भीतर झाँका सोये हिंदू को जगाते रहे
बापू का संकल्प हैं भारत विश्वगुरु के पद पे आएगा
शांति प्रेम सौहार्द्र सहिष्णुता ये गीत सारा जग गायेगा
इनकी नाई अडिग सदा जो संस्कृति का हर युध्द लड़े
उनके सब उपकार भुला के धर्म द्रोही विरुद्ध ख़ड़े
राष्ट्र का सम्मान हैं बापू....
खत्म करो अब दौर अन्याय का सत्य खुद भी चीख खड़ा
क्यों आँखों पर पट्टी बाँधे बुद्धि पर क्यों पर्दा पड़ा?
जो जीते हैं सबकी खातिर क्यों उनकी परवाह ही नहीं
झूठे आरोपों में फँसाया क्या सत्कर्मों का सिला यही?
मानव तो हैं धरती पर लेकिन मानवता धूल मिली
क्यों वयोवृद्ध संत जेल में ,क्यों न्याय की नींव हिली?
राष्ट्र का सम्मान हैं बापू...
इतिहास का काला युग हैं जहाँ अन्याय ने गगन छुआ
पीड़ा से कहरा रहे दिल फिरभी ना कोई न्याय हुआ
बापू पे अत्याचार हुआ हर दिल से ये चित्कार उठी
खून के आँसू रोती हैं धरती प्रकृति की पुकार उठी
युगों युगों तक याद रहेगा दौर ये अत्याचार का
बापू का तो डंका ही बजेगा,भेद खुलेगा कुप्रचार का
राष्ट्र का सम्मान हैं बापू...
No comments:
Post a Comment