भूल पे भूल सदा हूँ करता
पापों से झोली हूँ भरता
आके मुझे बचा ले सदगुरु आसाराम
सच्ची राह दिखा दे सदगुरु आसाराम
भूल पे भूल सदा हुँ करता...
काम का रावण बैठा हैं तन में
क्रोध का कंस हैं रहता मन में
दुष्कर्मों से मैं नहीं डरता
धन दौलत पे मैं हुँ मरता
आके मुझे बचा ले ...
पर निंदा का मैं हुँ दिवाना
हरि भक्ति से हुँ अनजाना
छल की नगरी में हुँ विचरता
पुण्य गली में पैर न धरता
आके मुझे बचा ले ...
लोभ ने मुझको घेर लिया हैं
मोह ने मुझमें डेरा किया हैं
धर्म की बातें मैं नहीं करता
बड़ा अधम हुँ नहीं सुधरता
आके मुझे बचा ले ...
No comments:
Post a Comment