तुलसीमाता तुम्हें प्रणाम
महिमा तेरी अपरंपार
विष्णुप्रिया वृंदा हैं नाम
जाने तुमको हैं संसार
चन्दन तिलक लगाएँ तुमको
अक्षद पुष्प चढाएँ हम
करें आरती श्रद्धा से हम
गुरू प्रीति न होवै कम
जिसके घर में वास तुम्हारा
प्रभु सदा हैं उसके पास
तेरे पूजन से बढ़ता हैं
हरि भक्ति में दृढ़ विश्वास
प्रातःकाल तुमको जल अर्पित
करता हैं जो नित्य प्रणाम
परिक्रमा तुलसी की करता
उसके होते पूरण काम
रोगनाशिनी गुणकारी हैं
औषधों में तुलसी नाम
नित्य सुबह जो सेवन करता
उसके मिटते रोग तमाम
तुलसी महके वृदांवन में
मधुमय पावन हो चितवन
ब्रह्मज्ञान अमृत रस पीकर
पावन होता हैं तन मन
तुलसीमाता तुम्हें प्रणाम
महिमा तेरी अपरंपार
विष्णुप्रिया वृंदा हैं नाम
जाने तुमको हैं संसार
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