एक तू ही आधार “गुरुवर” , एक तू ही आधार
तू ही तारणहार “गुरुवर” तू ही - - -
कोई नहीं है तुम बिन हमारा
तू ही पालनहार - - -
आत्म- बोध कराते मेरे “गुरुवर”
आत्म-शांति दिलाते मेरे “गुरुवर”
ईश से ईश मिलाने वाले
(तुम्हें) वन्दन बारम्बार
सबकी नैया बचाते मेरे “गुरुवर”
भव से पार लगाते मेरे “गुरुवर”
डूबतों को बचाने वाले
तुम्ही खेवनहार
भक्ति की जोत जगाते मेरे “गुरुवर”
दुर्गुण दोष भगाते मेरे “गुरुवर”
सबकी बिगड़ी बनाने वाले
तुम ही सर्जनहार
पावन निर्मल हैं मेरे “गुरुवर”
ईश की मूरत मेरे “गुरुवर”
सबपे करुणा करनेवाले, तुम ही हो अवतार
क्रोध की अग्नि बुझाते मेरे “गुरुवर”
मोह माया को छुड़ाते मेरे “गुरुवर”
गिरतों को उठाने वाले
तुम ही मददगार
सबका हित करते मेरे “गुरुवर”
झोली सबकी भरें मेरे “गुरुवर”
सबको मार्ग दिलाने वाले
तुम ही मुक्ति का द्वार
प्रेम पियाला पिलायें मेरे “गुरुवर”
ज्ञान निराला सुनायें मेरे “गुरुवर”
द्वैत का भाव मिटानेवाले
हमको करो स्वीकार
सबके भाग्य विधाया मेरे “गुरुवर”
भक्ति-मुक्ति दाता मेरे “गुरुवर”
चौरासी को हटाने वाले
टूटे न तुमसे (ये) तार, एक तू ही
आधार - - -
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