चाहे जैसे मुझे रख लो कुछ ना कहूँगा मैं
तेरा ही था तेरा ही हूँ तेरा रहूँगा मैं
चाहे जैसे मुझे रख लो...
तुम्हारे नाम का का मोती मेरी दौलत है
ये रुतबा और ये शोहरत भी तेरी बदौलत है
तू है सागर मैं हूँ कतरा तुझ संग बहूँगा मैं
चाहे जैसे मुझे रख लो...
मेरा मन अब नही लगता है जग की बातों में
अपनी उंगली थमा दी मैंने तेरे हाथों में
जिस तरफ ले चलो मुझको वही चलूँगा मैं
चाहे जैसे मुझे रख लो...
गम की रातें लगें कि जैसे सुख का सवेरा है
बस तू एक बार कह दे कि हाँ तू मेरा है
फिर तो हर एक सितम हँस कर ही सहूँगा मैं
चाहे जैसे मुझे रख लो...
जिसकी अटकी है जान तुझमें मैं वो परिंदा हूँ
तू मेरे साथ है इस आस पे मैं तो जिंदा हूँ
हमारी आस जो टूटी तो जी ना सकूँगा मैं
चाहे जैसे मुझे रख लो...
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