तुम न आए प्रभूजी कि शाम हो गई
मेरी पूजा की थाली सजी रह गई
भोग रखा फूल रखे मुरझा गए
आरती भी जली की जली रह गई
तुम न आए प्रभूजी...
हमसे रूठे हो क्या आप आते नही
भूल अपराध मेरे बताते नही
तेरे चरणों में बैठे बैठे शाम हो गई
मन में दर्शन की इच्छा बनी रह गई
तुम न आए प्रभूजी...
ध्यान भी कर लिया ज्ञान भी सुन लिया
तेरे चरणों मे रहकर के सब मिल गया
मन में आशा अब ये ही बनी रह गई
आरती भी जली की जली रह गई
तुम न आए गुरुजी...
कईं जन्मों से नाता मेरा आपका
आप मेरे प्रभु मैं हूँ अब आपका
तेरी करूणा से नई जिंदगी मिल गई
मन में दर्शन की इच्छा बनी रह गई
तुम न आए गुरुजी...
राहों में तेरे पलकें बिछा रहे
आ जाओ गुरुदेव हम बुला रहे
तेरे बिन ये जीवन वीरान हो गए
आरती भी जली की जली रह गई
तुम न आए प्रभूजी...
कब आओगे अब तो बता दो जरा
राह आने की अब तो दिखा दो जरा
झलक कैसे मिले अँखियाँ तरस गई
आरती भी जली की जली रह गई
तुम न आए प्रभूजी...
Audio
No comments:
Post a Comment