तसवीर को निहारूँ ,चहूँ ओर ढूँढ आऊँ
गुरुवर तुम्हें पुकारू,चहूँ ओर ढूँढ आऊँ।।धृ।।
कब आओगे गुरुजी,कबसे टेर लगाऊँ
तसवीर को निहारूँ...
हम सब भटक रहे है, तुम बिन अनाथ होकर
तुम दूर जा बसे हो, औरों के साथ होकर
अब तुमही ये बताओ कैसे तुम्हें बुलाऊँ
तसवीर को निहारूँ...
नियमों को दिल न माने,कानून भी न जाने
दुनिया समझ रही है हम हो गए दिवाने
है अब ये जिद हमारी वापस तुम्हें ले आऊँ
तसवीर को निहारूँ...
निर्दोष हो प्रभूजी ,हम सब ये जानते है
जग माने या न माने, साधक तो मानते है
अब तुमही ये बताओ कैसे तुम्हें बुलाएँ
तसवीर को निहारूँ....
लीला तुम्हारी प्रभूजी जानी है कब किसीने
संतों की सत्य वाणी मानी है कब सभी ने
दुनिया की रीत है ये चाहूँ न बदल पाऊँ
तसवीर को निहारुँ,चहूँ ओर ढूँढ आऊँ
कब आओगे गुरुजी,कबसे टेर लगाऊँ
गुरुवर तुम्हें पुकारुँ,चहूँ ओर ढूँढ आऊँ
तसवीर को निहारुँ....
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