Sant Shri Asharamji Bapu

Sant Shri Asharamji Bapu is a Self-Realized Saint from India, who preaches the existence of One Supreme Conscious in every human being.

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संत श्री आशारामजी बापू

भारत के संत श्री आशारामजी बापू आत्मज्ञानी संत हैं, जो मानवमात्र मे एक सच्चिदानंद इश्वर के अस्तित्व का उपदेश देते है

तुम्हारे प्यार ने गुरुवर.....



तुम्हारे प्यार ने गुरुवर हमको तुमसे जोड़ा है
तुम्हारे प्यार के बल पर हमने जग को छोड़ा है

तुम्ही से ओ मेरे गुरुवर ये रोशन चाँद सितारे हैं
तुम्ही से चलती है सृष्टि अजब तेरे नज़ारे हैं
हम रहते थे जिस भ्रम में उसे अब तुमने तोड़ा है

तुम्ही तीरथ हो मंदिर हो तुम्ही हो मेरी बंदगी
तुम्ही धड़कन हमारी हो तुम्ही हो मेरी जिंदगी
तेरी करुणा ने ही गुरुवर हमें खुशियों से जोड़ा है

तेरा ही नाम हो गुरुवर सब दुखों को हरता है
है सचमुच धन्य वो प्राणी जो तेरा ध्यान धरता है
तुम्हारे ज्ञान ने ही हमको सही दिशा में मोड़ा है

धरा पर तुमने यूँ आकर बड़ा उपकार किया है
करुणावश होकर तुमने बापू का रूप लिया है
तेरी लीला के वर्णन में जो कहूँ वो थोड़ा है

तेरे चरणों में ओ गुरुवर झुके सारी ये सृष्टि है
भले कहीं भी रहें हम पर तुम्हारी प्रेम दृष्टि है
तुम्हारे नाम की चादर को अब तो हमने ओढ़ा है

तुम्ही धड़कन में मेरी हो तुम्ही नजरों में समाये हो
मेरा वीरान था जीवन तुम्ही बहार लाए हो
तेरी कृपा ने ही हमको सच्चे सुख से जोड़ा है

तुम्हारी याद में गुरुवर आँसू आँख से बहते है
तुम्हे जो देख न पायें तो हम बेचैन रहते है
तुम्हारे प्यार के आगे सभी का प्यार थोड़ा है

तुम्हारे वचनों से मिलती सबको आत्मशांति है
तुम्हारे ज्ञान से मिटती जिज्ञासुओं की भ्रान्ति है
हम भटके थे जिन राहों पे वहाँ से तुमने मोड़ा है

तुम्हारी दीक्षा को पाकर हो जाते धन्य प्राणी है
सभी को पावन कर देती तुम्हारी मधुर ये वाणी है
तेर दर्शन से इस मन ने अब विषयों को छोड़ा है

तुम्हारा साथ अब गुरुवर कभी भी हमसे छूटे ना
बंधा जो प्रेम का रिश्ता वो कभी हमसे टूटे ना
कभी टूटे ना कभी छूटे ना वो नाता तुमसे जोड़ा है

तुम्हारे बिन जगत में ना कोई भी हमारा है
तुम्हारा प्यार ही गुरुवर हमारा तारणहारा है
तुम्हारे प्रेम की चादर को अब तो हमने ओढ़ा है

तुम्ही सच्चे वो दाता हो जो हर पल साथ निभाते हो
जन्म जन्म से भटके हम तुम्ही भव पार कराते हो
मोह माया के घेरे को गुरुवर तुमने तोड़ा है

तुम्हारे नाम को पाकर ही हमारे भाग्य जागे है
तुम्हारे नाम को जपकर ही दुर्गुण सारे भागे है
तेरे दर पे आके थम जाता मन का चंचल घोड़ा है

भटके पथिकों को गुरुवर सही तुम राह दिखाते हो
जीने का क्या है मकसद हमें ये भी सिखाते हो
मेरी अज्ञान की गागर को गुरुवर तुमने तोड़ा है

तेरे दर्शन और सत्संग की अब आदत पड़ गई हमको
तेरे बिन रह नहीं सकते बतायें ये कैसे तुमको
तुम्हारे प्रेम ने हमको तुम्हारी ओर मोड़ा है

हे करुणा के सागर गुरुवर हमारी एक ही अर्जी है
करें हम सदा ही वो तुम्हारी जिसमें मर्जी है
हमारे हित के लिए गुरुवर तुमने वैकुण्ठ छोड़ा है

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