मेरेतीरथ चारों धाम,गुरुद्वाराऔर गुरुनाम |
गुरुद्वाराऔर गुरुनाम,करतेहैं पूरण काम ||
भोग-रोगसे वो ही बचाते,मोहमाया के बंध छुड़ाते
मिलेशाश्वत शांति अपार,गुरुद्वाराऔर गुरुनाम
नश्वरतन-मन-धनसे उठाते,शाश्वतआत्म-रंगहै लगाते
लगेनारायण का ध्यान, गुरुद्वाराऔर गुरुनाम
क्योंमाया में दीवाना है,कुछदिन में तो जाना है
श्रीसदगुरु का आश्रय करले,अपनाह्रदय भक्ति से भर ले
होजाये भव से पार, गुरुद्वाराऔर गुरुनाम
जोमन भोगों में फँसाएगा,वोउतना ही दुःख पायेगा
येकुछ भी काम ना आएगा,तुखली हाथ चला जायेगा
तूकर अपना उद्धार, गुरुद्वाराऔर गुरुनाम
जबजाग गया तब सोना क्या,यदिसमझ गया तो रोना क्या
पाकरके फिर अब खोना क्या,जीवनव्यर्थ ही खोना क्या
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