Sant Shri Asharamji Bapu

Sant Shri Asharamji Bapu is a Self-Realized Saint from India, who preaches the existence of One Supreme Conscious in every human being.

Search This Blog

संत श्री आशारामजी बापू

भारत के संत श्री आशारामजी बापू आत्मज्ञानी संत हैं, जो मानवमात्र मे एक सच्चिदानंद इश्वर के अस्तित्व का उपदेश देते है

आकाश गंगा में जब तक सितारे रहें




आकाश गंगा में जब तक सितारे रहें, मेरे सदगुरु तेरी जिंदगानी रहे ।
गुरुदेवा, ओ गुरुदेवा, गुरुदेवा, ओ गुरुदेवा

ज्ञान अपने गुरु से जो पाया, उसको घर घर में जाकर लुटाया ।
पूजा मन से करें, सेवा तन से करें, अपना जीवन तेजस्वी बनाते रहें ।। 
गुरुदेवा, ओ गुरुदेवा, गुरुदेवा, ओ गुरुदेवा

भार भूमि का तुमने उठाया, विश्व शांति का बिगुल बजाया ।
सबको समझें परिवार चाहे नर हो या नार, जो भी आया शरण में उठाते रहे॥
गुरुदेवा, ओ गुरुदेवा, गुरुदेवा, ओ गुरुदेवा

छोड़ वैकुण्ठ को जग में वो आये, अपनी प्रभुता और वैभव भुलाये ।
लीला ऐसी करें जैसे मानव लगें, ईश्वर हो के भी बापू कहाते रहे ॥
गुरुदेवा, ओ गुरुदेवा, गुरुदेवा, ओ गुरुदेवा

दीन दुखियों के तुम हो सहारे, विश्व बगिया के तुम रखवाले ।
कहते सत्य वचन व्यर्थ हो ना जनम, हर जनम में गुरूजी को पाते रहें ॥
गुरुदेवा, ओ गुरुदेवा, गुरुदेवा, ओ गुरुदेवा

इनको गुरुवर कहो चाहे ईश्वर, इनको नटवर कहो या तो रघुवर
ब्रह्मज्ञानी यही अंतर्यामी यही, सभी रूपों में भगवान आते रहे
गुरुदेवा, ओ गुरुदेवा, गुरुदेवा, ओ गुरुदेवा

अपनी सूरत ह्रदय में बसा दो, प्रीत करने की रीति सिखा दो
करके चरणों का ध्यान पायें भक्ति और ज्ञान, गुरु भक्ति में मन को मिटाते रहें
गुरुदेवा, ओ गुरुदेवा, गुरुदेवा, ओ गुरुदेवा

ज्योत गुरुवर से जिसने जगाई, उसने जीवन में खुशियाँ ही छायीं।
दुःख में रोये नहीं सुख में सोये नहीं, अपनी नैया किनारे लगाते रहे
गुरुदेवा, ओ गुरुदेवा, गुरुदेवा, ओ गुरुदेवा

तुम्हारे प्यार ने गुरुवर.....



तुम्हारे प्यार ने गुरुवर हमको तुमसे जोड़ा है
तुम्हारे प्यार के बल पर हमने जग को छोड़ा है

तुम्ही से ओ मेरे गुरुवर ये रोशन चाँद सितारे हैं
तुम्ही से चलती है सृष्टि अजब तेरे नज़ारे हैं
हम रहते थे जिस भ्रम में उसे अब तुमने तोड़ा है

तुम्ही तीरथ हो मंदिर हो तुम्ही हो मेरी बंदगी
तुम्ही धड़कन हमारी हो तुम्ही हो मेरी जिंदगी
तेरी करुणा ने ही गुरुवर हमें खुशियों से जोड़ा है

तेरा ही नाम हो गुरुवर सब दुखों को हरता है
है सचमुच धन्य वो प्राणी जो तेरा ध्यान धरता है
तुम्हारे ज्ञान ने ही हमको सही दिशा में मोड़ा है

धरा पर तुमने यूँ आकर बड़ा उपकार किया है
करुणावश होकर तुमने बापू का रूप लिया है
तेरी लीला के वर्णन में जो कहूँ वो थोड़ा है

तेरे चरणों में ओ गुरुवर झुके सारी ये सृष्टि है
भले कहीं भी रहें हम पर तुम्हारी प्रेम दृष्टि है
तुम्हारे नाम की चादर को अब तो हमने ओढ़ा है

तुम्ही धड़कन में मेरी हो तुम्ही नजरों में समाये हो
मेरा वीरान था जीवन तुम्ही बहार लाए हो
तेरी कृपा ने ही हमको सच्चे सुख से जोड़ा है

तुम्हारी याद में गुरुवर आँसू आँख से बहते है
तुम्हे जो देख न पायें तो हम बेचैन रहते है
तुम्हारे प्यार के आगे सभी का प्यार थोड़ा है

तुम्हारे वचनों से मिलती सबको आत्मशांति है
तुम्हारे ज्ञान से मिटती जिज्ञासुओं की भ्रान्ति है
हम भटके थे जिन राहों पे वहाँ से तुमने मोड़ा है

तुम्हारी दीक्षा को पाकर हो जाते धन्य प्राणी है
सभी को पावन कर देती तुम्हारी मधुर ये वाणी है
तेर दर्शन से इस मन ने अब विषयों को छोड़ा है

तुम्हारा साथ अब गुरुवर कभी भी हमसे छूटे ना
बंधा जो प्रेम का रिश्ता वो कभी हमसे टूटे ना
कभी टूटे ना कभी छूटे ना वो नाता तुमसे जोड़ा है

तुम्हारे बिन जगत में ना कोई भी हमारा है
तुम्हारा प्यार ही गुरुवर हमारा तारणहारा है
तुम्हारे प्रेम की चादर को अब तो हमने ओढ़ा है

तुम्ही सच्चे वो दाता हो जो हर पल साथ निभाते हो
जन्म जन्म से भटके हम तुम्ही भव पार कराते हो
मोह माया के घेरे को गुरुवर तुमने तोड़ा है

तुम्हारे नाम को पाकर ही हमारे भाग्य जागे है
तुम्हारे नाम को जपकर ही दुर्गुण सारे भागे है
तेरे दर पे आके थम जाता मन का चंचल घोड़ा है

भटके पथिकों को गुरुवर सही तुम राह दिखाते हो
जीने का क्या है मकसद हमें ये भी सिखाते हो
मेरी अज्ञान की गागर को गुरुवर तुमने तोड़ा है

तेरे दर्शन और सत्संग की अब आदत पड़ गई हमको
तेरे बिन रह नहीं सकते बतायें ये कैसे तुमको
तुम्हारे प्रेम ने हमको तुम्हारी ओर मोड़ा है

हे करुणा के सागर गुरुवर हमारी एक ही अर्जी है
करें हम सदा ही वो तुम्हारी जिसमें मर्जी है
हमारे हित के लिए गुरुवर तुमने वैकुण्ठ छोड़ा है

हरि हरि गायेजा...



हरि हरि गायेजा बिगड़ी बनायेजा
गुरु एक प्यारा है जीवन सहारा है

सच्चा खजाना तो गुरु दर से मिलता है
गुरुवर की कृपा से जीवन ये खिलता है
गुरुसेवा करता जा  ध्यान उनका धरता जा
गुरु एक प्यारा है जीवन सहारा है


गुरुद्वार आकर के पाप मिट जाते है
गुरुवाणी से सारे बंधन कट जाते है
प्रीत को बढाता जा ध्यान उनका धरता जा
गुरुद्वार प्यारा है मुक्ति का द्वारा है

जीवन का अंधियार मिटे गुरुज्ञान से
सच्ची शांति मिलती है गुरुवर के ध्यान से
लगन तू लगाता जा दोषों को भगाता जा
गुरुनाम प्यारा है जीवन सहारा है

गुरु करते आत्मा के रूप को उजागर है
गुरु भरते सब भक्तों की गागर है
गुरुगुण गाता जा कृपा को पाता जा
वो ही एक प्यारा है मुक्ति का दाता है

गुरु ही तो प्राणी की उन्नति का आधार है
गुरु ही तो भक्तों को करते भवपार है
गुरुनाम ध्याता जा विश्रांति पाता जा
गुरुमंत्र प्यारा है  सबका सहारा है

हरि हरि गायेजा.............

मेरे दिल में बसे गुरुदेव तुम हो



मेरे दिल में बसे गुरुदेव तुम हो
हमारे प्यार की मूरत तुम हो

तेरे मिलने को दिल बेचैन रहता
तुझे देखे तो दिल को चैन पड़ता
मेरे मालिक मेरी धड़कन तुम हो

जमाना राह में कांटे बिछाता
मुझे क्या मैं तो तेरी राह चलता
मेरे दिलबर मेरी दुनिया तुम  हो

मुझे मंदिर तीरथ को क्या करना
तेर चरणों में तीरथ आके झुकता
मेरे भगवन मेरे हरिहर तुम हो

ना चाहूँ मैं कोई नश्वर की पूंजी
तेरी वाणी के अमृत में है रूचि
मेरे हो राम मेरे कृष्ण तुम हो

जुदा रहना गवारा कैसे होगा
तुझे चाहत की झोली भरना होगा
मेरे प्रियतम मेरे सरताज तुम हो


मेरी प्रीति लगा दो गुरुवर .....



मेरीप्रीति लगा दो गुरुवर
मेरीप्रीति लगा दो गुरुवर
मेरीभक्ति बढ़ा दो गुरुवर
आपकेचरणों में आपके वचनों में
मेरीप्रीति लगा दो गुरुवर
मेरीप्रीति लगा दो गुरुवर .....

नचित्त अब चंचल हो,सुमिरनहर पल हो
ऐसीभक्ति दे दो गुरुवर.......

जिधरदेखूँ उधर आयें आप नजर
ऐसीदृष्टि दे दो गुरुवर ......

युगोंसे भटका हूँ,कहाँकहाँ अटका हूँ
अबमुक्ति दे दो गुरुवर .......

मेरीजीवन नैया,भँवरमें है डोली
अबपार लगा दो गुरुवर .....

सुखमें सोऊं नहीं दुःख में रोऊंनहीं
ऐसीसमता दे दो गुरुवर ......

गुरुवरही ईश्वर गुरु ही परमेश्वर
गुरुवरही हरिहर गुरु है सर्वेश्वर
मेरीप्रीत लगा दो.....

कोई श्वास मेरी व्यर्थ ना जाये अब
ऐसी युक्ति दे दो गुरुवर ......

गुणों (भक्ति) का अर्जन हो
अहम (विषय) विसर्जन हो
ऐसी नीति दे दो गुरुवर .....

मेरा मैं अर्पण हो तुम्ही मेरा दर्पण हो
मेरी 'मैं' को मिटा दो गुरुवर ....

मेरा जीवन महके प्रेम की खुशबू से
मेरा प्रेम बढ़ा दो गुरुवर......

मैं अपने कर्मों से तुम्हे प्रसन्न करूँ
ऐसी रीत सिखा दो गुरुवर .....

आओ जो भी कहें वही शिरोधार्य हो
ऐसी श्रद्धा दे दो गुरुवर......

अडिग मेरी श्रद्धा हो दृढ मेरी भक्ति हो
शुभ भाव जगा दो गुरुवर.....

ये क्षणभंगुर माया ये नश्वर है काया
मेरे मोह को मिटा दो गुरुवर.....

तेरा ही नाम धरूं तेरी ही सेवा करूँ
ऐसी लगन लगा दो गुरुवर ......

मैं मन और बुद्धि पर विजय अब पाता रहूँ
ऐसी जीत दिला दो गुरुवर ......

(हम) भोगों को तजें तेरा ही नाम भजें
भ्रमजाल हटा दो गुरुवर .....

तुम्ही मेरी चाहत हो तुम्ही मेरी राहत हो
अब दर्श दिखा दो गुरुवर......
मेरी प्रीत लगा दो गुरुवर .....



सदगुरु के चरणों में सारे तीर्थ और स्नान


सदगुरु के चरणों में सारे तीर्थ और स्नान 
लगी रहे जो लगन गुरु से हो जाये कल्याण 
गुरु का प्यार निराला ......

गुरु चरणों की धूलि जो माथे पर लग जाये 
किस्मत रेखा बदले खुशियाँ सारी मिल जाये 
दुखी रहे ना वो नर जग में जिसको तेरा ध्यान 
लगी रहे जो लगन......

गुरु ही ब्रह्मा गुरु ही विष्णु गुरु ही शिव कहाए 
ऐसे गुरु के श्रीचरणों में हम सब शीश नवायें 
न भूलें हम न छोड़ें हम सदगुरु तेरा ध्यान 
लगी रहे जो लगन......

गुरु चाहे तो पंगु भी पर्वत चढ जाये 
सूर दुनिया देखे गूंगा भी राग सुनाये 
राय को पर्वत कर डाले रंक बने धनवान 
लगी रहे जो लगन......

ऐसे श्री सदगुरु का आशीष मिल जाए 
पाप ताप सब कट जाये भाग्य जाग जाए 
गुरु चरणों की सेवा करके राजी हो भगवान 
लगी रहे जो लगन......
गुरु का प्यार निराला ......

कोई नहीं दुनिया में.....



कोई नहीं दुनिया में, गुरु सम महा दानी 
जो प्यार भी करते हैं, और पार भी करते हैं 

आया जो शरण उनकी सतज्ञान का रस भरते 
अज्ञानी की मूढ़ता को, वो पल में ही हैं हरते 

करते ही दरस उनके दो नैन बरस पड़ते 
भीतर से उठे आनंद, सतसुख के तरंग उठते

दृढ शरणागति गुरु की, भव पार हमें करती 
श्रद्धा गुरुचरणों की, भव पार हमें करती 

गुरु का सुमिरन करके सत् प्रीति का रंग निखरे 
गुरुवाणी मनन करके, सतबुद्धि सतत उभरे 

गुरुवाणी श्रवण करने, सब साधक खूब तरसे
मुख मीठी मधुर गंगा, सतशिष्य का शुभ करदे 

कोई नहीं दुनियां में, गुरु सम महादानी
जो प्यार भी करते हैं, और पार भी करते हैं - - -
गुरु बिन तो किसी का भी
कल्याण नहीं होता
गुरु ज्ञान बिना मानव
जग में सदा है रोता -2
गुरु बिन ना कोई तरता
चाहे कितना भी हो ज्ञानी
कोई नहीं दुनियां - - -
गुरुवर की करुणा से,
खुशियाँ है सभी मिलती
गुरुदर्शन से मन की,
मुरझाई कली खिलती -2
गुरु दर पे जो ना आया,
वो तो है अज्ञानी
कोई नहीं दुनियां में - - -
गुरुवर की भक्ति ही, सबके हैं दुख हरती
गुरुद्वार की सेवा ही, सबका मंगल करती -2
तरना है गर तुझको, गुरु शरण तू ले प्राणी
कोई नहीं दुनियां में - - -
माया में क्यूँ अटका है,

गुरुवर की शरण आजा

जो न पाया कहीं तूने

गुरुद्वारे पे तू पाजा -2

पावन हमें करती हैं

गुरुवर की मधुर वाणी

कोई नहीं दुनियाँ में - - -



मेरे तीरथ चारों धाम.....



मेरेतीरथ चारों धाम,गुरुद्वाराऔर गुरुनाम |
गुरुद्वाराऔर गुरुनाम,करतेहैं पूरण काम ||

भोग-रोगसे वो ही बचाते,मोहमाया के बंध छुड़ाते
मिलेशाश्वत शांति अपार,गुरुद्वाराऔर गुरुनाम

नश्वरतन-मन-धनसे उठाते,शाश्वतआत्म-रंगहै लगाते
लगेनारायण का ध्यान, गुरुद्वाराऔर गुरुनाम

क्योंमाया में दीवाना है,कुछदिन में तो जाना है
श्रीसदगुरु का आश्रय करले,अपनाह्रदय भक्ति से भर ले
होजाये भव से पार, गुरुद्वाराऔर गुरुनाम

जोमन भोगों में फँसाएगा,वोउतना ही दुःख पायेगा
येकुछ भी काम ना आएगा,तुखली हाथ चला जायेगा
तूकर अपना उद्धार, गुरुद्वाराऔर गुरुनाम

जबजाग गया तब सोना क्या,यदिसमझ गया तो रोना क्या
पाकरके फिर अब खोना क्या,जीवनव्यर्थ ही खोना क्या
गुरुद्वारामुक्ति का धाम, गुरुद्वाराऔर गुरुनाम