उलझ मत दिल बहारों में ,बहारों का भरोसा क्या
सहारे टूट जाते है,सहारों का भरोसा क्या
तमन्नायें जो तेरी है फुहारे है ये सावन की
फुहारे सूख जाती है फुहारों का भरोसा क्या
दिलासे जो जहाँ के है,सभी रंगी बहारें है
बहारे रूठ जाती है,बहारों का भरोसा क्या
तू इन फूले गुब्बारों पर अरे दिल क्यों फ़िदा होता
गुब्बारे फूट जाते है,गुब्बारों का भरोसा क्या
तू सम -बल नाम का लेकर किनारों से किनारा कर
किनारे टूट जाते है किनारों का भरोसा क्या
तू अपनी अक्लमंदी पर विचारों पर न इतराना
जो लहरों की तरह चंचल विचारों का भरोसा क्या
परम प्रभू की शरण लेकर विकारों से सजग रहना
कहाँ कब मन बिगड़ जाए विकारों का भरोसा क्या
उलझ मत दिल बहारों में ,बहारों का भरोसा क्या
1 comment:
अद्भूत। इस गीत को सुनकर जिन्दगानी से रुबरु हो गए हम। धन्यवाद ।
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