दीप जलाकर ज्ञान के,दूर करो अंधकार
समता,करुणा,स्नेह से भरो दिल के भण्डार
दिप जलाकर ज्ञान के...
राग द्वेष ना मोह हो हमको,दूर हो विषय विकार
कर उपकार उनपर सदा,जो दीन हीन लाचार
दिप जलाकर ज्ञान के....
हरदम रहता साथ सदा वो,फिर भी है निःसंग
तन मन पावन हो जाता है,पी जब नाम की भंग
दिप जलाकर ज्ञान के...
लीन हुआ चित् नाम नशे में,पाया प्रेम का सार
निज आनंद में मस्त रहे मन,सपना ये संसार
दिप जलाकर ज्ञान के...
वन में तू खोजे ईश कहाँ है,साहिब सब के संग
स्व से मिलने की दिल में जागे तीव्र तरंग
दिप जलाकर ज्ञान के...
भेद भरम संशय को मिटाकर छूट गया अहंकार
रोम रोम में छा गयी है हरि रस की खुमार
दिप जलाकर ज्ञान के...
पा लिया मन के मन्दिर में दिलबर का दीदार
छलका दरिया आनंद का,खुला जो दिल का द्वार
दिप जलाकर ज्ञान के...
मन बुद्धि वाणी से परे है ना रूप रंग आकार
साक्षी सद्गुरु वेश में मेरे प्रभु आये साकार
दिप जलाकर ज्ञान के...
दीप जलाकर ज्ञान के,दूर करो अंधकार
समता,करुणा,स्नेह से भरो दिल के भण्डार
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