आ जाओ हे दयालू गुरुवर ,देर न हो अब आने को
आँखें मेरी तरस गयी है,गुरुवर दर्शन पाने को
आ जाओ हे दयालू गुरुवर ,देर न हो अब आने को।।धृ।।
जब जब गुरुवर याद है आते,आँख मेरी भर आये
मुख से कुछ ना बोल सकु मैं, दिल रोता ही जाए
लख चौरासी रोता आया,भूल गया मुस्काने को
आँखें मेरी तरस गयी है,गुरुवर दर्शन पाने को
आ जाओ हे दयालू गुरुवर ,देर न हो अब आने को
त्रेता में राम बने हो,हर मर्यादा निभायी
द्वापर में तुम कृष्ण कन्हैया ,प्रेम की मुरली बजाई
आपके बाग़ का छोटा फूल हूँ,आ जाओ महकाने को
आँखें मेरी तरस गयी है,गुरुवर दर्शन पाने को
आ जाओ हे दयालू गुरुवर ,देर न हो अब आने को
ऐसा लगा गुरु दर पे मैंने जब गुरु दर्शन पाए
लाखों बरस के प्यासे को अमृत सागर मिल जाए
भटक गया गुरुवर मैं जग में,राह मिले अनजाने को
आँखें मेरी तरस गयी है,गुरुवर दर्शन पाने को
आ जाओ हे दयालू गुरुवर ,देर न हो अब आने को
कल- कल में मैंने जीवन खोया ,जीवन की हो श्याम
श्याम से पहले मुझको जाना गुरुवर के निज धाम
आये हो तो मेरे गुरुवर ना कहना अब जाने को
आँखें मेरी तरस गयी है,गुरुवर दर्शन पाने को
आ जाओ हे दयालू गुरुवर ,देर न हो अब आने को
जिस सरिता से बेहता सुधारस,वो गुरु अमृतवाणी
जिस ज्योति से मोह विनाशे, वो ज्योति है जगानी
अँधियारा छाया है गुरुवर,आओ ज्योत जलाने को
आँखें मेरी तरस गयी है,गुरुवर दर्शन पाने को
आ जाओ हे दयालू गुरुवर ,देर न हो अब आने को
No comments:
Post a Comment