Sant Shri Asharamji Bapu

Sant Shri Asharamji Bapu is a Self-Realized Saint from India, who preaches the existence of One Supreme Conscious in every human being.

Search This Blog

संत श्री आशारामजी बापू

भारत के संत श्री आशारामजी बापू आत्मज्ञानी संत हैं, जो मानवमात्र मे एक सच्चिदानंद इश्वर के अस्तित्व का उपदेश देते है

आते न वह परमेश जो गुरुदेव के आकार में

आते न वह परमेश जो गुरूदेव के आकार में

रहता अँधेरा ही अँधेरा मोह के संसार में...


अन्तःकरण तम नाश हित निज वचन किरण प्रकाश के

हैं इस तरह से कौन लगता जीव के उद्धार में

आते न वह परमेश जो....


होते सभी रत भोग में अपना ही स्वार्थ साधते

हैं कौन निष्कामी बना देता लगा उपकार में

आते न वह परमेश जो....


गुरुदेव के चरणारविन्दों की शरण जबतक नहीं

दिन जिंदगी के इसतरह कितने गए बेकार में

आते न वह परमेश जो....

Audio


हे परम् गुरो महान

 हे समर्थ शक्तिमान

हे परम् गुरो महान....

हे निज जन मनरंजन

हे सत्वर भय भंजन

हे समर्थ शक्तिमान...


हे नरहरी मदगंजन

परम् वन्द्य जगत प्राण

कोमल करुणा अवतार

सर्वोपरि सुख आधार

हे समर्थ शक्तिमान...


सबके प्रति अमित प्यार

दुःखहारी दयावान

अतिशय गम्भीर धीर

हे सुंदर परमवीर

तुम तम का ह्रदय चीर

देते हो दिव्य ज्ञान

हे समर्थ शक्तिमान...


हे निर्भय परम बुद्ध

माया और ममता विरुद्ध

हे प्रभु सर्वांग शुद्ध

चाहे यह पथिक ध्यान

हे समर्थ शक्तिमान...

Audio

जो गुरू कृपा करें

 जो गुरु कृपा करें 

कोटी का कर्म कटत पलछिन में ...


प्रथम नमन करूँ गुरु चरणन में

अड़सठ तीरथ उन चरणन में

पूरण होत मनोरथ मन के

जो गुरु कृपा करें ....


गुरू की महिमा हरिसो भायी

वेद पुराणन सबही बखानी 

ब्रह्मा व्यास राचे पलछिन में 

जो गुरु कृपा करें ...

Audio

अब तो यहीं कहीं बापू

 अब तो यहीं कहीं बापू मेरे आस पास हो

आते नजर नहीं पर मेरे साथ-साथ हो...


बहते पवन के झोंके एहसास ये दिलाते

संग संग हो तुम हमारे महसूस ये कराते

ह्रदय में जोगी आप ही करते निवास हो 

आते नजर नहीं पर मेरे साथ-साथ हो

अब तो यहीं कहीं बापू....


हम तो ये मानते हैं आज्ञा में चल रहे हैं

पर हैं सच ये जोगी कृपा पे पल रहे हैं

बच्चों को अपने प्यार का देते सकास हो 

आते नजर नहीं पर मेरे साथ-साथ हो

अब तो यहीं कहीं बापू....


करते हैं प्रेम तुमसे मेरी तुम हो उपासना

यादें अनोखी ऐसी मिट जाए वासना

बनकर के ज्ञान चंद्रमा देते प्रकाश हो

आते नजर नहीं पर मेरे साथ-साथ हो

अब तो यहीं कहीं बापू....

Audio

श्रीकृष्णाष्टकं

 श्रीः॥ नन्दनन्दन-श्रीकृष्णाष्टकम्॥

भजे व्रजैकमण्डनं समस्तपापखण्डनं

स्वभक्तचित्तरञ्जनं सदैव नन्दनन्दनम्।

सुपिच्छगुच्छमस्तकं सुनादवेणुहस्तकं

अनङ्गरङ्गसागरं नमामि कृष्णनागरम् ॥ १ ॥

मनोजगर्वमोचनं विशाललोललोचनं

विधूतगोपशोचनं नमामि पद्मलोचनम्।

करारविन्दभूधरं स्मितावलोकसुन्दरं

महेन्द्रमानदारणं नमामि कृष्णवारणम् ॥ २ ॥

कदम्बसूनकुण्डलं सचारुगण्डमण्डलं

व्रजाङ्गनैकवल्लभं नमामि कृष्णदुर्लभम्।

यशोदया समोदया सगोपया सनन्दया

युतं सुखैकदायकं नमामि गोपनायकम्॥ ३॥

सदैव पादपङ्कजं मदीय मानसे निजं

दधानमुत्तमालकं नमामि नन्दबालकम् ।

समस्तदोषशोषणं समस्तलोकपोषणं

समस्तगोपमानसं नमामि नन्दलालसम्॥ ४॥

भुवो भरावतारकं भवाब्धिकर्णधारकं

यशोमतीकिशोरकं नमामि दुग्धचोरकम् ।

दृगन्तकान्तभङ्गिनं सदासदालसङ्गिनं

दिनेदिने नवं नवं नमामि नन्दसंभवम् ॥ ५ ॥

गुणाकरं सुखाकरं कृपाकरं कृपावरं

सुरद्विषन्निकन्दनं नमामि गोपनन्दनम्।

नवीनगोपनागरं नवीनकेलिलम्पटं

नमामि मेघसुन्दरं तडित्प्रभालसत्पटम् ॥ ६ ॥

समस्तगोपनन्दनं हृदंबुजैकमोदनं

नमामि कुञ्जमध्यगं प्रसन्नभानुशोभनम्।

निकामकामदायकं दृगन्तचारुसायकं

रसालवेणुगायकं नमामि कुञ्जनायकम्॥ ७॥

विदग्धगोपिकामनोमनोज्ञतल्पशायिनं

नमामि कुञ्जकानने प्रवृद्धवह्निपायिनम्।

किशोरकान्तिरञ्जितं दृगञ्जनं सुशोभितं

गजेन्द्रमोक्षकारिणं नमामि श्रीविहारिणम् ॥ ८ ॥

यदा तदा यथा तथा तथैव कृष्णसत्कथा

मया सदैव गीयतां तथा कृपा विधीयताम्।

प्रमाणिकाष्टकद्वयं जपत्यधीत्य यः पुमान्

भवेत्स नन्दनन्दने भवे भवे सुभक्तिमान् ॥ ९ ॥

॥ इति नन्दनन्दन - - श्रीकृष्णाष्टकं समाप्तम् ॥

Audio


मुरलीमनोहर गोविंद गिरधर

 तेरा नाम हैं मुरलीधारी

तू ही ब्रह्मा तू मुरारी

सब दुःख हरते हैं मेरे बाँके बिहारी 

मुरलीमनोहर गोविंद गिरधर

नमामी कॄष्णम नमामी कॄष्णम ...

राजीव लोचन अतीव सुंदर

ये कृष्ण प्रेमी कहे निरंतर

मुरलीमनोहर गोविंद गिरधर

नमामी कॄष्णम नमामी कॄष्णम 


सबके उर में रहते तुम हो 

तुम हो सबके स्वामी

फिर भी तुमको देख न पाते

ये कैसी कुर्बानी

भक्तों का सहारा तू बाँसुरी वाला

सबके दिल को तू मोहनेवाला

तेरी भक्ति में नाचे ता था थैया

मुरलीमनोहर गोविंद गिरधर

नमामी कॄष्णम नमामी कॄष्णम 

राजीव लोचन अतीव सुंदर

ये कृष्ण प्रेमी कहे निरंतर


बंदे दिल के तुम अवतारी

कहीं जन्मे कहीं पले मुरारी

सारी दुनिया तेरी दीवानी

हैं अद्भुत हर लीला तुम्हारी ...

Audio